November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

2021 के समापन पर आज दाऊजी मंदिर में गूंजेगी श्री कौशिकजी महाराज की दिव्य वाणी; बलराम चरित्र कथा जो मन में सकारात्मकता का संचार करेगी

आगरा। 
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर दाऊजी मंदिर में शुक्रवार 31 दिसंबर को वृंदावन के विख्यात कथावाचक आचार्य प्रवर श्री कौशिकजी महाराज ‘बलराम चरित्र कथा’ का वाचन करेंगे। खास बात यह है कि कथा के लिए सदरभट्टी चौराहा स्थित दाऊजी मंदिर का चयन स्वयं कौशिकजी महाराज ने किया है। सत्संग चैनल पर इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। शिवहरे समाजबंधुओं के लिए यह एक अवसर हो सकता है कि 2021 का समापन की वेला में अपने बुजुर्गों की विरासत दाऊजी महाराज मंदिर परिसर में दाऊजी महाराज यानी बलराम जी की कथा का पावन श्रवण करें, और नए वर्ष की चुनौतियों का सामना करने के लिए मन में सकारात्मकता का संचार करें। 

यह आयोजन वृंदावन स्थित तुलसी तपोवन गौशाला द्वारा दाऊजी मंदिर प्रबंध समिति के सहयोग से किया जा रहा है। खास बात यह है कि प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य प्रवर श्री कौशिशजी महाराज का दाऊजी मंदिर से विशेष प्रेम रहा है। मंदिर के पुजारी रामू पंडितजी के गुरुभाई और मित्र होने के नाते वह पहले भी कई बार मंदिर आ चुके हैं। करीब सप्ताहभर पूर्व ही उन्होंने रामू पंडितजी से मंदिर परिसर में ‘बलराम चरित्र कथा’ करने की इच्छा व्यक्त की थी। रामू पंडितजी के आग्रह पर मंदिर समिति इसके लिए सहर्ष राजी हो गई। 30 दिसंबर की रात्रि समाचार लिखे जाते वक्त मंदिर में आयोजन की पूरी तैयारी हो चुकी है। वृंदावन से श्री कौशिकजी महाराज की पूरी टीम अपने साउंड सिस्टम तथा अन्य साजोसामान के साथ आ चुकी है। आचार्य श्री शुक्रवार सुबह 9 बजे मंदिर में पधारेंगे, जहां समिति के पदाधिकारी व सदस्य उनका स्वागत करेंगे, जिसके उपरांत दाऊजी महाराज की पूजा-अर्चना की जाएगी। पूर्वाह्न 11 बजे से बलराम चरित्र कथा का आरंभ होगा जो सायं 4 बजे तक चलेगा। 

26 मार्च 1974 को आगरा के तसोद गांव में जन्मे श्री कौशिकजी महाराज बचपन से साधु संतों की संगत में रहे। बांके बिहारी के अनन्य भक्त श्री कौशिकजी महाराज ने वृंदावन में जाकर श्रीमद्भागवत कथा की कक्षाओं में भाग लिया और संस्कृत भाषा में मास्टर डिग्री ली। परमपूज्य आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद गिरिजी महाराज के शिष्य श्री कौशिकजी महाराज का नाम आज पूरी दुनिया में जाना जाता है। श्री कौशिकजी महाराज का सार्वभौमिक और सीधा-सरल संदेश यही है कि प्रेम और ज्ञान के माध्यम से ही घृणा और संकट पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इनके प्रवचनो का प्रभाव इतना गहरा है कि कई सुनने वालों का जीवन बदल गया है और वे अपने जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन के लिए स्वयं को इनका ऋणी मानते हैं। आपके भजन, श्रद्धालुओं के अंतर्मन मे उतर कर मानो मन और आत्मा को परिष्कृत कर देते हैं। नए वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके लिए भी एक शुभ अवसर है कि इनके श्रीमुख से बलराम चरित्र कथा और भजनों का श्रवण कर स्वयं में सकारात्मकता का संचार करें जो वर्ष 2022 में आपके तनावमुक्त और शांतिपूर्ण जीवन का आधार बने।

बलराम ही दाऊजी महाराज
बलराम श्री कृष्ण के बड़े भाई थे जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। बलभद्र, हलधर, हलायुध, संकर्षण आदि इनके अनेक नाम हैं, भगवान श्रीकृष्ण इन्हें बलदाऊ कहा करते थे, जिसके चलते इन्हें दाऊजी भी कहा जाने लगा। दाऊजी महाराज के सगे सात भाई और एक बहन सुभद्रा थी जिन्हें चित्रा भी कहते हैं। इनका ब्याह रेवत की कन्या रेवती से हुआ था। कहते हैं, रेवती 21 हाथ लंबी थीं और बलभद्र जी ने अपने हल से खींचकर इन्हें छोटी किया था। इन्हें नागराज अनंत का अंश कहा जाता है और इनके पराक्रम की अनेक कथाएँ पुराणों में वर्णित हैं। ये गदायुद्ध में विशेष प्रवीण थे। श्रीकृष्ण के पुत्र शांब जब दुर्योधन की कन्या लक्ष्मणा का हरण करते समय कौरव सेना द्वारा बंदी कर लिए गए तो बलभद्र ने ही उन्हें दुड़ाया था। स्यमंतक मणि लाने के समय भी ये श्रीकृष्ण के साथ गए थे। मृत्यु के समय इनके मुँह से एक बड़ा नाग निकला और प्रभास के समुद्र में प्रवेश कर गया था।
 

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