आगरा।
अमरावती के वरिष्ठ समाजसेवी, कवि एवं साहित्यकार श्री पवन नयन जायसवाल ने स्पष्ट किया है कि शिवहरेवाणी पर प्रकाशित ‘संपादक के नाम उनके पत्र’ में उन्होंने प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री चंपालाल सिसोदिया के ऊपर गबन करने जैसा कोई आरोप नहीं लगाया है। यदि किसी पाठक को ऐसा लगा है तो वह उनसे विनम्र अनुरोध करते हैं कि इस पत्र को दोबारा पढ़ने का कष्ट करें।
बता दें कि श्री पवन नयन जायसवाल के पत्र को लेकर शिवहरेवाणी को सामाजिक सेवा क्षेत्र में सक्रिय कई वरिष्ठजनों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं है। इन सभी का कहना है कि श्री सीएल सिसोदियाजी निस्वार्थ भाव से समाजसेवा को समर्पित एक नेकदिल शख्सियत हैं, और श्री पवन नयन जायसवाल के पत्र में उनके बारे में जो लिखा है, उससे कतई सहमत नहीं हैं और इस पत्र से उन्हें व्यक्तिगत रूप से ठेस पहुंची है।
वाराणसी के समाजसेवी बुद्धिजीवी श्री नरेंद्र जायसवाल यहां तक कह दिया कि सोशल मीडिया ग्रुपों में कई मौकों पर स्वयं श्री पवन नयन जायसवाल की भाषा भी ‘संवाद के शिष्टाचार’ का पालन करती नजर नहीं आती है, ऐसा कई बार हुआ है, और वह स्वयं इसके साक्षी हैं। इसीलिए शिवहरेवाणी ने ‘क्या संवाद के शिष्टाचार खोते जा रहे हम’ शीर्षक से आलेख प्रकाशित कर जो सकारात्मक संदेश समाज को दिया है, उसे बहस का मुद्दा न बनाकर हम सबको उस पर व्यक्तिगत रूप अमल करने की जरूरत है।
वहीं, चंपालालजी सिसोदिया ने शिवहरेवाणी से कहा कि वह श्री पवन नयन जायसवाल को ठीक से जानते तक नहीं हैं। कोई भी व्यक्ति किसी व्हाट्सएप ग्रुप से स्वयं को अलग करने के लिए स्वतंत्र है। किसी व्हाट्सएप ग्रुप में संवाद करते हुए मैंने कभी शिष्टाचार नहीं खोया है, हां किसी बात पर घोर असहमति होने पर मैंने हमेशा स्वयं को उस ग्रुप से अलग करना उचित समझा है, और इसमें कुछ गलत भी नहीं हैं।
बता दें कि एक व्हाट्सएप ग्रुप में सीएल सिसोदिया को लेकर पटना के श्री गोविंद जायसवाल की अमर्यादित टिप्पणी से यह विवाद पैदा हुआ। ग्रुप में जायसवाल की टिप्पणी पर अन्य सदस्यों ने घोर आपत्ति की। इस पर शिवहरेवाणी ने समाज के व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुपों में संवाद के गिरते स्तर के कारण आए दिन होने वाले विवादों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए एक आलेख प्रकाशित किया और संवाद में शिष्टाचार का अनुपालन करने की अपील समाजबंधुओं से की थी।
(क्या संवाद के शिष्टाचार खोते जा रहे हैं!……. समाचार पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक को क्लिक करें)
https://www.shivharevaani.com/post/are-we-losing-the-manners-of-communication-day-to-day-disputes-in-social-media-groups-of-kalchuri-society-controversy-over-remarks-on-cl-sisodia
शिवहरेवाणी के आलेख पर समाजबंधुओं ने सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दीं हैं। लेकिन इसके बाद शिवहरेवाणी पर प्रकाशित श्री पवन नयन जायसवाल के ‘संपादक के नाम’ पत्र ने इस विवाद को नया रुख दे दिया था। इस पत्र से सिसोदियाजी इतने आहत हुए कि अखिल भारतीय कलवार कलाल कलार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री पद से सार्वजनिक रूप से इस्तीफा भी दे दिया। हालांकि उनका इस्तीफा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है।
(शिष्टाचार को सीखने और समझने की ‘इन्हें’ भी जरूरतः पवन नयन। समाचार पढ़ने लिए नीचे गिए लिंक पर क्लिक करें)
https://www.shivharevaani.com/post/letter-to-the-editor-they-also-need-to-learn-and-understand-etiquette-pawan-nayan-jaiswal
अब शिवहरेवाणी इस पूरे मामले को यहीं छोड़ती है। आगे इस मुद्दे पर किसी की टिप्पणी प्रकाशित नहीं की जाएगी। चिंतन के लिए समाज में कई अन्य जरूरी मुद्दे भी हैं, शिवहरेवाणी ऐसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर आपकी टिप्पणी को प्रकाशित करने के लिए तत्पर रहेगी। शिवहरेवाणी अपेक्षा करती है कि आप फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुपों में संवाद में शिष्टाचार बरतेंगे, एडमिन भी अपने-अपने ग्रुपों को पूरी सतर्कता से मैनेज करेंगे, ताकि संवाद का स्तर बना रहे और आएदिन विवाद की स्थिति से बचा जा सके।
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