November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर समाचार

अज्ञानता या अभिशाप? भगवान सहस्रबाहु को लेकर बार-बार एक जैसी गलती क्यों!

॥ जय श्री सहस्रार्जुन ॥
प्रस्तुत चित्र हाथरस (उत्तर प्रदेश) का है। कुछ दिन पहले ही हाथरस के कमला नेहरू बाजार के स्थान पर सहस्रबाहु जी मार्ग का नामकरण कर एक बोर्ड भी लगाया गया। इसके लिए प्रयास करनेवाले सभी व्यक्तियों का अभिनंदन और हाथरस नगरपालिका परिषद के सदस्यों और अध्यक्ष पंडित आशीष शर्मा का बहुत-बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार।
भगवान श्री सहस्रार्जुन के वंशजों और उनको अपना आराध्य मानने वालों ने (विशेषकर राजनीति में सहभागी व्यक्तियों ने) इस तरह के प्रयास अपने गांव-नगर के मार्ग, चौराहा, नगरद्वार, पार्क, पुल, घाट, बाजार जैसी जगह के लिए करने चाहिए। इसके साथ ही एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बात की ओर भी हमने विशेष ध्यान देना चाहिए कि हमने अपने आराध्य का नाम सही और शुद्ध रूप से लिखवाना चाहिए। लेकिन दुःख की बात यह है कि इस बोर्ड पर भी ‘हैहय’ की जगह ‘हैयय’ और ‘सहस्रबाहु’ की जगह ‘सहस्त्रबाहु’ लिखा गया। यह गलती तो मुझे उसी दिन ध्यान में आ गई थी लेकिन संकोचवश इसपर कुछ लिखने को टालता रहा क्योंकि किसी गलती की ओर ध्यान दिलवाने से ऐसे कार्य से जुड़े संकुचित विचार के लोग बुरा मान जाते है। ऐसा मेरे साथ पहले हो चुका है लेकिन फिर भी हमारे समाज की जगहसाई ना हो इसलिए इस सार्वजनिक विषय को मैं नजरअंदाज नहीं कर सका।

इस तरह नाम गलत लिखे जाने का यह कोई पहला उदाहरण नहीं है। सोशल मीडिया पर प्रतिदिन 95% पोस्ट पर यह सब दिखाई देता है और यही नहीं समाज संगठन के लेटरपैड पर, समाचारपत्र और पत्रिकाओं के नाम, कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र, पुस्तिका, कैलेंडर, पोस्टर, बैनर के साथ-साथ भगवान श्री सहस्रार्जुन के चित्र, मंदिर, भवन और भगवान की प्रतिमास्थल की नामपट्टिकाओं में, घाट और नगरद्वार पर भी यह गलत लिखा गया है। उपरोक्त में कुछ जगह के निर्माण के समय मैंने इससे जुड़े व्यक्तियों को इस बारे में बताया भी था फिर भी वही हुआ जिसका डर था। एक जगह एक व्यक्ति ने गलती तो ठीक नहीं की लेकिन उस जगह पर अपनी सेल्फी लेकर मुझे भिजवा दी।

बार-बार इस विषय पर लिखने के बाद भी समाज द्वारा इसे नजरअंदाज किया जा रहा। यह सब देखकर कभी-कभी लगता है कि हैहय, कलचुरि, कार्तवीर्य, सहस्रार्जुन, सहस्रबाहु जैसे शब्दों में हर जगह हमारे ही समाज द्वारा की जानेवाली क्या यह सिर्फ हमारी गलती है, हमारा दुर्भाग्य है, हमारी अज्ञानता है या हैहयवंशियों को मिला यह अभिशाप है?

– पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरूकता अभियान

‘पूर्णिमा’, किशोर नगर, अमरावती- 444606
विदर्भ, महाराष्ट्र
9421788630
pawannayanjaiswal@gmail.com

 

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