November 22, 2024
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समाचार समाज

ग्वालियर में सहस्त्रबाहु कीर्ति गाथा..संतों ने कहा-हमने घर-परिवार छोड़ा है, समाज नहीं छोड़ा

ग्वालियर। 
महर्षि गालब की तपोभूमि ग्वालियर नगरी बीते रोज कलचुरी संतों के श्रीमुख से भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की महिमा के पुण्य वर्णन से धन्य हो गई। ग्वालियर कलचुरी महासंघ के तत्वावधान में आयोजित संत समागम समारोह में संतों ने कहा कि हमने संन्यास लिया, घर परिवार छोड़ा है लेकिन समाज को नहीं छोड़ा है। क्योंकि संन्यास का लक्ष्य ही समाज का कल्याण होता और चूंकि कलचुरी समाज वृहत्तर भारतीय समाज का ही एक विशाल अंग है, अतः इसे कैसे छोड़ सकते हैं भला। हरिद्वार से पधारे महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी संतोषानंद देवजी महाराज ने कलचुरी समाज की एकजुटता का महत्व बताते हुए कहा कि धर्म की डोर ही समाज को एकजुट कर सकती है। 
ग्वालियर में तानसेन नगर स्थित मिलन गार्डन में रविवार (21 मार्च) को हुए कार्यक्रम में मुख्य वक्ता महामंडलेश्वर ने अपने व्याख्या में कहा कि कलचुरी समाज जनसंख्या के लिहाज से  मारवाड़ी समाज के बाद दूसरे नंबर का समाज है, लेकिन इस अनुपात में धर्म के क्षेत्र में हमारे समाज की भागीदारी लगभग शून्य है। और, कहीं न कहीं यही वजह है कि राजनीति में भी कलचुरी समाज की भागीदारी उसकी संख्या के अनुपात में बहुत बहुत कम है। हरिद्वार स्थित अवधूत मंडल आश्रम के परमपूज्य सदगुरुदेव महामंडलेश्वर 1008 स्वामी संतोषानंद देवजी महाराज ने संत समागम के आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन कलचुरी समाज को धर्म, राजनीति, शिक्षा, व्यवसाय और नैतिक उत्थान के लिए उत्प्रेरक का काम करेंगे। 

वरिष्ठ समाजसेवी, राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना जायसवाल के मुख्य आतिथ्य और अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल की अध्यक्षता में आयोजित संत समागम में योगाचार्य श्री ओमप्रकाशजी (ओमप्रकाश फाउंडेशन, दिल्ली) ने अपने व्याख्यान में बहुत रोचक तरीके से जीवन में योग के महत्व को इंगित किया। उन्होंने कहा कि भगवान सहस्त्रबाहु की हजार भुजाओं का होना एक प्रतीक है इस बात का कि एक महाव्यक्तित्व हजार कामों को भी कुशलता से कर सकता है और हम उनके वंशज होते हुए भी एक-दो कामों को भी कुशलता से नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा, ‘बहुत कर लिया भजन कीर्तन, अब अपने अंदर लौटो, अपने शरीर को जानो।’ नेट क्वालिफाई उच्च शिक्षित संत योगाचार्य श्री ओमप्रकाश ने कई रोचक उदाहरण देते हुए बताया कि धर्म के मर्म को जानने से पहले सोचो क्या हम स्वयं को जानते हैं, हम स्वयं को जान सकते हैं योग से। हम दैनिक जीवन के कुछ घंटे, घंटे नहीं तो मिनट, मिनट नहीं तो सेकेंड का समय योग के लिए अवश्य निकालें। कुछ नहीं तो बैठे-बैठे जोर-जोर से पूरी ताकत से तालियां बजाएं, पूरे जोर से हंसे, ऐसा करने भर से ही शरीर का रक्तप्रवाह दुरुस्त हो जाएगा और आभामंडल मजबूत होगा, शरीर संक्रमण से दूर हो सकेगा। समाज में साधु-संतों के सम्मान के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि आज जो समाज शीर्ष पर हैं, साधु-संतों के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा देखते ही बनती है। चाहे वह अग्रवाल समाज हो या जैन समाज, और सिख समाज के तो कहने ही क्या। 

गुरुकुल आश्रम इंदौर से पधारे कार्तवीर्य कुलभूषण स्वामी श्री पूर्णानंद महाराज ने कहा कि भगवान कार्तवीर्य अर्जुन का चित्र और चरित्र, दोनों ही पूज्नीय हैं, वह अपने अस्तित्व का आधार हैं। भगवान सहस्त्रबाहु हमारे संपूर्ण कलेवर, हमारे अंदर, हमारे बाहर, हमारे जीवन में होना चाहिए क्योंकि वह हमारी पहचान हैं। जो व्यक्ति अपनी पहचान को गतिशील नहीं रख सकता, वह उनकी भावी पीढ़ी कहलाने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान सहस्त्रबाहु के वंशजों को कालांतर में बहुत प्रताड़ना, और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इसकी वजह यही है कि ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज ने बड़ी कुटिलता से तलवार का बदला कलम से लिया है, भगवान सहस्त्रबाहु के चरित्र को गलत तथ्यों और घटनाक्रमों के आधार पर गलत तरीके से वर्णित किया है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन कुटिलताओं का नाकाम करें, भगवान सहस्त्रबाहु की महिमा को पुनर्स्थापित करें। उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक कलचुरी अपने घर, मंदिर और प्रतिष्ठान भगवान सहस्त्रबाहु की प्रतिमा या चित्र अवश्य रखें। 

हाथरस से पधारे आचार्य विनोद शास्त्री ने अपने व्याख्यान में पुराणों से अनेक उद्धरण देते हुए यह तथ्य स्थापित किया कि ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान सहस्त्रबाहु के बारे में कपोल-कल्पित कथाओं को प्रचारित किया है, यह भी गलत है कि परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध किया था, जबकि स्वयं ब्राह्मण द्वारा लिखित पुराणों के उद्धरण स्पष्ट करते हैं कि सहस्रबाहु का वध हो ही नहीं सकता था। उन्होंने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब कलचुरी समाज वृहतर भारतीय समाज के शीर्ष पर होगा, वो दिन भी जाएगा जब क्षत्रिय कथा कहेंगे और ब्राह्मण उसे सुनेंगे। 
वृंदावन से पधारे विद्वान संत शिरोमणि हरिहर दास ने अपने अंग्रेजी और हिंदी मिश्रित भाषा में व्याख्यान देते हुए भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की कीर्ति गाथा वर्णन किया। जबलपुर से पधारे स्वामी पगलानंद महाराज (दिव्य मानव मंदिर, जबलपुर) और स्वामी अशोक आनंदजी ने अपने संबोधन में आयोजन की भूरि-भूरि सराहना करते हुए आयोजकों को शुभकामनाएं दीं। 
मुख्य अतिथि श्रीमती अर्चना जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि कलचुरी समाज पूरे देश में व्याप्त है लेकिन राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों में इसकी झलक नहीं मिल पाती है, इसकी वजह से एकजुटता का अभाव। उन्होंने भगवान सहस्त्रबाहु की राजधानी महिष्मती (वर्तमान महेश्वर) में भगवान सहस्त्रबाहु के मंदिर को भव्य रूप देने के लिए समाज से आगे आने की अपील की। वहीं श्री अशोक जायसवाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि इस बार भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के जन्मोत्सव पर समाज को अपनी ताकत दिखानी होगी, इसके लिए दिल्ली में भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है जिसमें करोड़ों की आबादी वाले कलचुरी समाज के लाखों लोगो की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास है। इस कार्यक्रम को कलचुरी महासंघ या महाकुंभ का नाम दिया जा सकता है ताकि कलचुरी समाज के सभी वर्गों की भागीदारी उसमें हो सके। 
कार्यक्रम में संतों ने बाहर से आए अतिथियों श्री अनिल कुमार जायसवाल एवं श्रीमती सुषमा जायसवाल (अहमदाबाद), श्री संजय जायसवाल (इंदौर), ‘आधार कार्ड के जनक’ श्री सुनील जायसवाल (इंदौर),  राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ के राष्ट्रीय सचिव श्री विष्णु शिवहरे (झांसी), कलचुरी वार्ता के संपादक श्री राजेश राय (इंदौर), शिवहरेवाणी के संपादक श्री सोम साहू (आगरा), संतोष आनंद (जबलपुर), किशन पवैया आदि को मोतियों की माला पहनाकर और बैच व स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। 
अहमदाबाद से आए श्री अनिल कुमार जायसवाल ने कलचुरी महासंघ ग्वालियर के सतीश जायसवाल (अध्यक्ष), शिवरंजन गुप्ता (महामंत्री), राकेश शिवहरे (कोषाध्यक्ष), ओमप्रकाश राय, रामस्वरूप जायसवाल (कार्यकारी अध्यक्ष), संजय शिवहरे, योगेश शिवहरे, हरिओम राय (उपाध्यक्ष), हरी मोहन शिवहरे, राजेंद्र शिवहरे, महेश जायसवाल (सचिव), नरेंद्र राय (मीडिया प्रभारी) समेत पूरी टीम का सम्मान किया। वहीं श्रीमती सुषमा जायसवाल ने ग्वालियर कलचुरी महासंघ महिला इकाई की अरुणा गुप्ता (अध्यक्ष), अर्चना जायसवाल (महामंत्री), माला शिवहरे, रेखा जायसवाल (कार्यकारी अध्यक्ष), अंजना राय, निधि जायसवाल (उपाध्यक्ष), खुश्बू जायसवाल, करुणा चौधरी जायसवाल (सचिव), अर्चना जायसवाल (मीडिया प्रभारी) समेत पूरी टीम को सम्मानित किया। 
श्री वासुदेव शिवहरे (शिवहरे इलेक्ट्रिकल्स), श्री वेदप्रकाश शिवहरे, श्री सुरेशचंद्र शिवहरे, श्री ब्रजेश राय, श्रीमती मीना शिवहरे पत्नी स्व. श्री विनोद शिवहरे एवं श्री विक्की शिवहरे, श्री रघुवीर राय, श्री हरीशंकर शिवहरे, श्री किशन पवैया एवं कलचुरी महिला मंडल की हेमलता पवैया, प्रियंका गुप्ता, अनीता गुप्ता, सुषमा गुप्ता, पार्वती गुप्ता आदि ने सभी संतों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अरुणा गुप्ता एवं श्रीमती अर्चना जायसवाल ने किया।  कार्यक्रम के अंत में सभी संतों और अतिथियों की ओर से ग्वालियर कलचुरी महासंघ के अध्यक्ष श्री सतीश जायसवाल को सम्मानित किया गया। 
इससे पूर्व वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी श्री वेदप्रकाश शिवहरे के गौसपुरा नं-2 स्थित आवास पर सभी साधु संतों एवं अतिथियों के लिए नाश्ते की विशेष व्यवस्था की गई, जिसके बाद उनके आवास से ही साधु संतों की शोभायात्रा आयोजन स्थल मिलन गार्डन के लिए रवाना हुई। रथों पर सवार साधु संतो का जगह-जगह कलचुरी समाज बंधुओं की ओर से स्वागत किया गया। 
 

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