आगरा
आगरा में हर साल पितृपक्ष की एकादशी को रामबारात निकलती है जिसे उत्तर भारत की सबसे बड़ी रामबारात माना जाता है। दूर-दराज के इलाकों से लोग इसे देखने आते हैं। रामबारात के साथ ही जनकपुरी की भव्यता भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहती है। वैसे तो ये बातें तो सब जानते है, लेकिन हम जब शिवहरेवाणी के लिए यह पोस्ट लिख रहे हैं तो मकसद रामबारात के साथ शिवहरे समाज के गौरवशाली अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोडकर देखने का है। पितृपक्ष की एकादशी के दिन रामबारात सौ से अधिक झांकियों के साथ अपने परंपरागत मार्ग रावतपाड़ा से प्रारंभ होकर जौहरी बाजार, दरेसी, कचहरी घाट, बेलनगंज, पथवारी, धूलियागंज, घटिया, फुलट्टी, फव्वारा होते हुए पुनः रावतपाड़ा आती है और यहां से भगवान राम और उनके तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के स्वरूप जनकपुरी पहुंचते हैं। शिवहरे समाज की कुछ ऐसी शख्सियतें रही हैं जो सालों-साल इस आयोजन में खास भूमिका निभाते रहेः-
महाशय रामभरोसे लाल शिवहरे
139 वर्ष पुराने इस आयोजन में पहली बार करीब 60 साल पहले ऐसा हुआ जब इस अग्रिम पंक्ति में एक शिवहरे हस्ती बीचों-बीचों चल रही थे। सफेद खादी पोशाक में यह थे महाशय रामभरोसे लाल शिवहरे। खास बात यह है कि महाशय जी को यह सम्मान धन के बल पर नहीं, बल्कि देश और समाज की अप्रतिम सेवा एवं त्याग के फलस्वरूप प्राप्त हुआ था। महाशयजी नाई की मंडी निवासी स्व. छोटेलाल शिवहरे के दत्तक पुत्र थे। स्वतंत्रता आंदोलन मे महाशयजी और उनकी पत्नी की गौरवशाली भागीदारी रही थी, जिसके जिक्र हम एक अलग आलेख में करेंंगे। लेकिन महाशयजी शिवहरे समाज के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रामबारात के आयोजन में अग्रणी रहकर शिवहरे समाज का गौरव बढ़ाया।
कैप्टन जेपी भदौरिया
रामबारात में भागीदारी के लिहाज से महाशयजी का दौर शिवहरे समाज के लिए विशेष महत्वपूर्ण रहा है। इसी दौर में कैप्टन जेपी भदौरिया भी रामबारात आयोजन की अग्रिम पंक्ति में रहते थे। कैप्टन भदौरिया दरअसल शिवहरे थे और नाई की मंडी में ही रहते थे। वह स्काउट संगठन के कप्तान थे और उस जमाने में रामबारात की व्यवस्थाओं में इस संगठन की विशेष भागीदारी रहती थी। खासकर सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं में यह संगठन पुलिस का सहयोग करता था।
रामनारायण शिवहरे टालवाले
लगभग इसी दौर में स्व. श्री रामनारायण शिवहरे टालवाले भी थे। वह रामबारात में अपनी घोड़ी लेकर ध्वजवाहक के रूप में आगे-आगे चलते थे। उनकी शानदार घोड़ी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती थी। उस दौर के कुछ लोग ऐसा भी याद करते हैं कि रामनारायणजी शिवहरे के बिना राम बारात आगे नहीं बढ़ती थी।
हालांकि इस पीढ़ी के बाद रामबारात आयोजन में शिवहरे समाज की भागीदारी में कमी आई। हमारी जानकारी में इसके बाद एक लंबा अंतराल रहा जिसमें रामबारात में शिवहरे समाज की चर्चित भागीदारी नहीं रही। यह बात हम इस तरदीद (disclaimer) के साथ कह रहे हैं कि तथ्य जुटाने में हमसे चूक भी हो सकती है। संभव है कि ऐसा कोई नाम हमारी जानकारी में आने से रह गया हो, अगर किसी के पास जानकारी हो तो हमें अवगत अवश्य कराएं। ध्यान रहे कि यहां हम सिर्फ रामबारात की बात कर रहे हैं, जनकपुरी की बात अगली कड़ी में करेंगे।
फिलहाल मौजूदा वक्त में एक नाम है जो रामबारात के आयोजन से तो नहीं जुड़ा है, लेकिन रामबारात के आयोजनों में उन्हें हर बार विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। यह नाम है विधायक श्री विजय शिवहरे का, जो आगरा-फिरोजाबाद क्षेत्र से एमएलसी हैं। वह पिछले दो दशकों से हर वर्ष राजा दशरथ के महल पहुंचकर भगवान के स्वरूपों का पूजा-अर्चन करते हैं, और जनकपुरी में भी उनकी उपस्थिति रहती है। बीते रोज राजदेवम में भगवान राम के मेहंदी उत्सव में उनकी भी उनकी भागीदारी रही। उनके साथ युवा भाजपा नेता श्री नीतेश शिवहरे भी थे।
विधायक श्री विजय शिवहरे का कहना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन और चरित्र दोनों ही आज भी प्रासंगिक हैं। उनके जैसा पुत्र, भाई, पति, शिष्य और हर मानवीय रिश्ते को पूरी गरिमा के साथ निभाने वाला कोई दूसरा चरित्र दुनिया के किसी भी धर्म या आख्यान में नहीं मिलता है। हम आगरा वालों के लिए बड़े गौरव की बात है कि यहां की ऐतिहासिक रामबारात को उत्तर भारत की सबसे भव्य रामबारात का दर्जा दिया जाता है। इस गौरवपूर्ण आयोजन का हिस्सा बनना किसी भी आगरावासी के लिए ब़ड़े सौभाग्य की बात होती है।
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