आगरा।
स्टॉकएड एकेडमी के विशेषज्ञों ने शनिवार को एक लाइव डिस्कशन आयोजित तक केंद्रीय बजट 2025-26 के प्रावधानों का शेयर मार्केट के लिहाज से आकलन किया। इसके मुताबिक, 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को कर-मुक्त रखने के सबसे अहम बजटीय ऐलान से एफएमसीजी के प्रीमियम प्रोडक्ट्स, आटोमोबाइल, ट्रेवलिंग और टूरिज्म इंडस्ट्रीज को बूस्ट मिलने की संभावना है, जिसके चलते इन सेक्टर्स की कंपनियों के शेयर्स अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
संजय प्लेस स्थित स्टॉकएड एकेडमी में सीईओ देवांश शिवहरे, सीए हर्ष बुलाई और सीए अंशुल जैन के पैनल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजटीय घोषणाओं के शेयर मार्केट पर इंपैक्ट का आकलन किया। डिस्कशन के दौरान स्टॉकएड के स्टूडेंट्स के साथ सवाल-जवाब का दौर भी चला। स्टॉकएड के पैनल का मानना था कि 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त करने का प्रावधान मिडिल क्लास को बड़ी राहत देने वाला है। 12 लाख तक कमाई वाले मिडिल क्लास के हाथ में अब खर्च करने के लिए अधिक पैसा होगा, जिससे कुछ खास क्षेत्रों जैसे आटोमोबाइल सेक्टर, ट्रेवलिंग और टूरिज्म की कंपनियों की आय बढ़ने की संभावना है। लिहाजा शेयर मार्केट में इन कंपनियों के शेयर अच्छी कमाई दे सकते हैं।
इसके अलावा एफएमसीजी यानी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं) की मांग बढ़ने की संभावना है, खासकर महंगे प्रीमियम प्रोडक्ट्स की डिमांग काफी बढ़ सकती है जिनमें पिछले कुछ समय से गिरावट देखी जा रही थी। लिहाजा प्रीमियम प्रोडक्ट बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों के शेयर भी अच्छा लाभ दे सकते हैं। विशेषज्ञों ने माना कि 12 लाख की टैक्स-फ्री इनकम से स्टॉक मार्केट में अब अधिक पैसा आएगा। खासकर लोग एसआईपी में अपने निवेश को बढ़ा सकते हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स) की स्टॉक मार्केट में पोजीशन मजबूत होगी।
विशेषज्ञों ने बताया कि निर्मला सीतारमण की घोषणा का पहले दिन तो शेयर बाजार पर कोई खास इंपैक्ट नहीं दिखा लेकिन आने वाले दिनों में इसका असर नजर आना चाहिए। चर्चा के दौरान स्टॉकएड स्टूडेंट्स से सवाल-जवाब के माध्यम से भी बजटीय घोषणाओं के संभावित प्रभावों की जानकारी दी गई। डिस्कशन का लाइव प्रसारण स्टॉकएड के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया गया। शिवहरेवाणी पोर्टल पर भी इस लिंक को शेयर किया गया था। पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू हुआ पैनल डिस्कशन शाम 4 बजे तक चला।
डिस्कशन के अंत में पैनल से यह डिसक्लेमर भी दिया कि उन्होंने बजटीय प्रावधानों के इंपैक्ट का सिर्फ आकलन किया है, कोई भविष्यवाणी नहीं की है। आकलन संभावनाओं पर आधारित होता है और कई बार ये सटीक नहीं होते, मसलन बीते सालों कारपोरेट टैक्स कम करने की बजटीय घोषणा से विदेशी निवेश बढ़ने का अनुमान लगाया गया था लेकिन वह लगातार घट ही रहा है।
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