November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर

तीर्थराज पुष्कर में भी है सहस्रबाहु के वंशजों की शानदार धरोहर; कलाल समाज मंदिर एवं धर्मशाला; सहकार की मिसाल

पुष्कर (अजमेर)।
सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा की यज्ञस्थली और ऋषि-मुनियों की तपोभूमि तीर्थराज पुष्कर में भी कलचुरी(कलाल) समाज की एक शानदार धरोहर है, जो पिछले दो दशकों से स्वजातीय बंधुओं की सेवा में सक्रिय है। ‘अखिल राजस्थान सर्ववर्गीय कलाल समाज मंदिर एवं धर्मशाला’ नाम की यह धरोहर अपने आपमें समाजबंधुओं के सहकार की अदभुत मिसाल है।

अजमेर से पश्मिच दिशा में 15 किलोमीटर दूर पुष्कर में स्थित इस धर्मशाला में फिलहाल 22 कमरे हैं। इनमें छह वातानुकूलित (एसी) समेत 16 कमरे ‘लैट-बाथ अटैच’ हैं। बाकी 6 कमरे बिना लैट-बाथ के हैं। धर्मशाला के मौजूदा अध्यक्ष युवा एवं सक्रिय समाजसेवी श्री सत्यनारायण मेवाड़ा (केकड़ी) ने शिवहरेवाणी को बताया कि धर्मशाला में 9 और कमरों का निर्माण कार्य चल रहा है जिसे अगले तीन महीनों में पूरा कर समाज को समर्पित कर दिया जाएगा।। ये सभी 9 कमरे ‘वातानुकूलित’ और ‘लैट-बाथ’ अटैच होंगे। कुल 1015 वर्ग गज (यानी 9135 वर्ग फुट) क्षेत्र में विस्तृत इस धर्मशाला में एक सभागार है और चामुंडा मां का मंदिर है जिसे समाज भामाशाह श्री जय सिंह जी चौहान रोहिट फैमिली द्वारा कराया गया था। परिसर में पिछले दिनों एक छोटा मंदिर बनवाकर उसमें कलचुरी समाज के आराध्य भगवान सहस्रबाहु अर्जुन की मूर्ति की स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी।

श्री सत्यनारायण मेवाड़ा ने बताया कि मंदिर और धर्मशाला के विकास में केकड़ी के प्रमुख समाजसेवी एवं संस्था के पूर्व अध्यक्ष श्री जगदीश स्वरूप मेवाड़ा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उन्हीं की पहल व प्रयासों से और उन्हीं के कार्यकाल में समाज का यह सपना साकार हो सका। आज यह धर्मशाला देशभर से पुष्कर आने वाले समाजबंधुओं को नाममात्र के पैसों में सुविधाएं प्रदान करती है। साधारण कमरे जिनमें लैट-बाथ अटैच नहीं है, समाजबंधुओं को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं। लैट-बाथ वाले 10 कमरे समाजबंधुओं को महज 200 रुपये प्रतिदिन के शुल्क पर दिए जाते हैं, जबकि एसी कमरों का शुल्क महज 300 रुपये है। श्री मेवाड़ा ने बताया कि फिलहाल धर्मशाला के रखरखाव का ठेका एक निजी कंपनी (समाज बंधु) को दिया जाता है, लेकिन शर्त यह है कि उसे समाजबंधुओं को प्राथमिकता देनी होगी, साथ ही उनसे उपर्युक्त निर्धारित रियायती शुल्क ही लिया जा सकता है। आम लोगों के लिए अलग शुल्क-दर निर्धारित हैं।

जगदीश स्वरूप मेवाडा की अध्यक्षता में हुआ था निर्माण
पुष्कर तीर्थ में कलचुरी समाज की धर्मशाला के निर्माण का विचार तो पूर्व समाज अध्यक्ष-मदन लाल मेवाड़ा बड़ली बिजयनगर के समय काफी पुराना रहा है। 1994 में समाजसेवी- जगदीश स्वरूप मेवाड़ा की अध्यक्षता में अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा परिक्षेत्र की प्रमुख संस्था ‘मेवाड़ा कलाल समाज विकास समिति, गुलाबपुरा (धुणी)’ ने पुष्कर में धर्मशाला निर्माण के लिए अजमेर रोड पर 35 बाई 29 गज खरीदा। इसके बाद संस्था का दायरा बढ़ाकर संपूर्ण राजस्थान कर 31 जुलाई 1996 को शिलान्यास कर दिया गया, जिसमें राजस्थान के सभी जिलों से आए भामाशाहों ने 45 लाख रुपपे की घोषणाएं कीं। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ। 22 कमरों, एक हॉल के साथ कलाल समाज के भव्य मंदिर का निर्माण होने के बाद 27 मई 2001 को धर्मशाला का उदघाटन हुआ। तब से हर वर्ष 27 मई को समाज की इस धरोहर का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाता है।

विकास का दूसरा चरण
वर्ष 2021 में तत्कालीन अध्यक्ष – मदन लाल जी मेवाड़ा हरपुरा के कार्यकाल में 10 कमरों में आज की जरूरतों के हिसाब से लेटबाथ अटैच कराने समेत पूरी बिल्डिंग का रिनोवेशन कार्य कराया गया। 26 सितंबर, 2021 को मुख्य संरक्षक-जयसिंह चौहान (अजमेर),संरक्षक -जगदीश स्वरूप मेवाड़ा (केकड़ी) एवं समाज बंधुओ के समक्ष में नई कार्यकारिणी गठित हुई जिसमें सत्यनारायण मेवाड़ा केकड़ी को अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
विकास का तीसरा चरण
अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद सत्यनारायण मेवाड़ा ने अपने आभार ज्ञापन में मंदिर की दूसरी मंजिल पर 10-12 लग्जरी कमरे बनवाने की घोषणा की जिसके लिए भामाशाहों के सामने 3.5 लाख रुपये प्रति कमरा के योगदान का प्रस्ताव रखा। साथ ही 11-11 हजार रुपये के आजीवन सदस्य भी संस्था से जोड़ने की योजना भी उदघाटित की। बांसवाड़ा के युवा समाजसेवी हरीशचंद्र कलाल बैठक में ही संस्था के सबसे पहले आजीवन सदस्य बने। भीलवाड़ा के लुहारिया से आए कन्हैया लाल एडवोकेट ने एक कमरे के निर्माण के लिए 3.51 लाख रुपये योगदान की घोषणा मौके पर ही कर दी। 12 मार्च 2022 को संस्था का स्वतंत्र पंजीकरण ‘सर्ववर्गीय कलाल समाज विकास समिति तीर्थराज पुष्कर’ के नाम से कराया गया। 27 मई, 2022 को स्थापना दिवस समारोह में धर्मशाला परिसर में एक छोटा मंदिर समाज भामाशाह- विनोद कुमार जी मेवाड़ा थरोदा का गुलाबपुरा भीलवाड़ा द्वारा बनवा कर उसमें भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की मूर्ति की स्थापना की गई। मूर्ति स्थापना एवं प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में देशभर से पधारे 500-600 समाजबंधुओं के समक्ष धर्मशाला की एक बार फिर 10 कमरों के निर्माण की योजना प्रस्तुत की गई जिस पर आठ और भामाशाहों ने योगदान की घोषणा कर दी। इस तरह नौ कमरों के निर्माण के योगदान की घोषणा जिन भामाशाहों ने की है, वे निम्न हैः-
श्री कन्हैया लाल एडवोकेट (लुहारिया, भीलवाड़ा)
श्री जयसिंह जी चौहान (अजमेर)
श्री जय नारायण जी चौकसे (एलएनसीटी, भोपाल)
श्री रामस्वरूप भगवती प्रसाद, श्री इंद्रजीत मेवाड़ा (देवलियां कलां, बिजयनगर)
श्री जगदीश स्वरूप मेवाड़ा, श्री कैलाश स्वरूप मेवाड़ा (केकड़ी)
श्री भगवती प्रसाद, श्री इंद्रजीत मेवाड़ा (देवलिया,बिजयनगर)
श्री मदन लाल, श्री रामेश्वर लाल, श्री नोरतरमल, श्री सत्यनारायण, श्री ओमप्रकाश मेवाड़ा (हिंगोनियां, केकड़ी)
श्री राजेंद्र कुमार ,श्री अशोक कुमार मेवाड़ा (पाली ,हाल मुकाम पुणे)
श्री शिवचरण जी हाड़ा (रिटायर्ड आयकर अधिकार, जयपुर)
नवनिर्माण में समस्त पंखे आनंद जी मेवाड़ा कोटा
51000/- मायाजी सुवालका का देवली टोंक

2023 में 24वें स्थापना दिवस समारोह में समाज बंधुओ ने निर्माणाधीन कार्य का अवलोकन किया। साथ ही स्वतंत्र संस्था की नियमावली भी विमोचित किया गया। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी श्री अंबालाल सोलंकी (पाली) ने भगवान सहस्रबाहु की मूर्ति के समक्ष राधाकृष्ण की मूर्ति एवं छोटा मंदिर बनवाने के लिए 1.51 लाख रुपये की घोषणा की। श्री सत्यनारायण मेवाड़ा ने बताया कि जल्द ही नौ और कमरों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और धर्मशाला में कुल 31 कमरे हो जाएंगे। धर्मशाला के लिए सहयोग का सिलसिला अनवरत जारी है। इसी क्रम में अब तक देशभर से 188 समाजबंधु मंदिर व धर्मशाला के आजीवन सदस्य बन चुके हैं।
पुष्कर तीर्थ मुख्य रूप से तो ब्रह्माजी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो ब्रह्माजी को समर्पित एकमात्र मंदिर है। इसके अलावा पुष्कर झील, महादेव मंदिर, वराह मंदिर आदि भी हिंदुओं की आस्था के केंद्र हैं। इनके अलावा झील के तट, मेड़ता, नागा पहाड़, रोज गार्डन, सर्राफा बाजार, किशनगढ़, मान महल आदि भी दर्शनीय स्थल हैं।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video