June 18, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

अयोध्या में रामलला को अर्पित की 3 लाख रामनामी मोतियों की ‘महामाला’; शिवानी जायसवाल की आठ महीने की मेहनत ऐसे रंग लाई

लखनऊ।
लखनऊ की शिवानी जायसवाल की आठ महीने की मेहनत शुक्रवार 9 फरवरी को अपने सुखद अंजाम पर पहुंची, जब उनकी राम नामी मोतियों की ‘महा माला’ अयोध्या में रामलला को अर्पित हुई। शिवानी जायसवाल ने देश-दुनिया के रामभक्तों से एक-एक मोती जुटाए और बड़े जतन से 3 लाख मोतियों की 25 किलो से अधिक वजन की 1500 मीटर लंबी माला तैयार की। इसे वह अपना सौभाग्य मानती हैं कि उनके जैसे हजारों रामभक्तों के योगदान से तैयार यह माला रामलला के श्रीचरणों में स्थान पा सकी।
लखनऊ में विकास नगर निवासी श्रीमती शिवानी जायसवाल ने 9 फरवरी को अयोध्या से लौटते समय शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा कि राम नामी मोतियों की यह माला दलअसल भगवान राम को उनके अनुज लक्ष्मण की नगरी लखनपुर (यानी लखनऊ) की ओर से एक भेंट है, और इस कार्य में हनुमानजी की विशेष कृपा रही है। मोतियों की इतनी विशाल माला तैयार करने का विचार कैसे आया, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि जब भी कोई अपने नए घर में प्रवेश करता है तो उसके संबंधी, मित्र लोग उसे कुछ न कुछ उपहार देते हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी एक तरह से रामलला का गृहप्रवेश ही था, सो हमने सोचा कि इस मौके पर अपने आराध्य को हम क्या उपहार समर्पित कर सकते हैं। तब राम नाम के मोतियों की माला तैयार करने का विचार सामने आया। इसके लिए हमने आठ महीने पहले राम नाम के मोतियों की माला बनाने की मुहीम शुरू कर दी। मोती प्राप्त करने के लिए कुछ महिलाओं के साथ मिलकर ‘राम नाम मोती बैंक’ बनाया। घऱ-घर जाकर प्रचार किया लेकिन मुहीम को वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली जैसी हम उम्मीद लगाए थे। शुरूआती तीन महीनों में एक भी मोती कहीं से नहीं आया।
श्रीमती शिवानी ने बताया कि एक दिन बेहद निराश मनःस्थिति में वह अपनी सोसाइटी के निकट प्रसिद्ध बुलाकी मंदिर गईं औऱ वहां के पुरोहित को अपनी व्यथा बताई। पुरोहित ने कहा कि ‘आप सही जगह आई हैं लेकिन गलत व्यक्ति से मिल रही हैं। आप हनुमानजी से मिलिए और उन्हीं से अर्चना कीजिए।‘ तब शिवानी हनुमानजी के दरबार में गईं और उन्हें अपनी व्यथा बताते हुए बुरी तरह रो पड़ीं। लेकिन, इसके बाद हनुमानजी की ऐसी कृपा बरसी कि स्थिति ही बदल गई। पहले ही हफ्ते में उन्हें सात मोती मिले, फिर दूसरे हफ्ते में दस मोती..और यह संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती गई। इधरउन्होंने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, कू जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी मुहीम तेज कर दी। कई कार्यक्रमों में मंच से अपनी बात रखी। परिणाम यह हुआ कि उन्हें घर-घर से मोती मिलने लगे, कोई साधारण मोती देता तो कोई सच्चे मोती, कोई सोने का मोती तो कोई चांदी का मोती। किसी रोज उन्हें 500 मोती मिलते, तो कभी हजार से भी अधिक। लखनऊ के अलावा पूरे भारत से ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी रामभक्तों ने उन्हें मोती मिलने शुरू हो गए। उनके पास 3 लाख से भी अधिक अलग-अलग आकार और अलग-अलग प्रकार के राम नामी मोती एकत्र हो गए जिन्हें उन्हें बड़ी मेहनत के साथ छांटकर मजबूत धागे में पिरोए। खास बात यह है कि उन्होंने 1500 मीटर लंबी इस माला में शुरू से लेकर आखिर तक एक ही धागा चलाया है, मोतियों को उनके आकार और प्रकार के हिसाब से इस तरतीब से पिरोया है कि माला की सुंदरता और मजबूती, दोनों ही बनी रहे।


9 फरवरी को शिवानी जायसवाल ने इस मुहीम में साथ देने वाले रामभक्तों को साथ लेकर एक बस से अयोध्या पहुंचीं, जहां सब लोग सरयू में स्नान कर रामलला के दरबार में गए। शिवानी ने बताया कि रामलला के लिए आने वाले तमाम भेट-उपहार बाहर ही ले ली जाती हैं, वहीं उनका सौभाग्य यह रहा कि उन्हें रामलला के दरबार में अपने हाथ से माला अर्पित करने का अवसर मिला। पुजारियों ने उनके सामने माला को रामलला के श्रीचरणों में समर्पित किया, तो खुशी से शिवानी की आंखें भर आईं। प्रभु राम की इस कृपा ने सभी रामभक्तों को अभिभूत कर दिया। शिवानी ने बताया कि अपनी मुहीम का सुखद अंजाम पर पहुंचना बेहद सुखद रहा, लेकिन दिल थोड़ा उदास भी है, यह सोचकर कि आगे क्या करेंगे, बीते आठ महीने बहुत व्यस्त और सुखद रहे, सारा दिन भगवान की माला में बनाने के उपक्रम में बीत जाता था। शिवानी जायसवाल बताती हैं कि इस पावन मुहीम में उनके परिवारीजन पूरी मजबूती से उनके साथ खड़े रहे, खासतौर पर उनकी मां श्रीमती रेखा गुप्ता का अहम योगदान रहा। श्रीमती रेखा गुप्ता एटा में सामाजिक क्षेत्र में काफी सक्रिय रहती हैं, वह अखिल भारतीय व्यापार संगठन की महिला महासचिव भी हैं। बेटी की मुहीम के प्रचार में वह खासा सक्रिय रहीं, और इस सिलसिले में लखनऊ और अन्य जिलों की यात्राएं भी कीं।
श्रीमती शिवानी के पति श्री उत्कर्ष जायसवाल पेशे से मर्चेंट नेवी में कैप्टन हैं। उनके ससुर श्री केपी जायसवाल लखनऊ के जायसवाल समाज की प्रतिष्ठित शख्सियत हैं। शिवानी का जन्म एटा में हुआ और आगरा मे रहकर शिक्षा प्राप्त की। आगरा में बेलनगंज स्थित अपने पारिवारिक मकान ‘श्रीजी भवन’ में रहकर उन्होंने सेंट जोंस कॉलेज से एमए (इंग्लिश) किया, और फिर यहीं निफ्ट (NIFT) से फैशन डिजायनिंग का कोर्स किया। इसके बाद कुछ समय उन्होंने जॉब भी की। 2012 को उनका विवाह उत्कर्ष जायसवाल से हुआ। उनकी दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी डॉली दस साल की है, जबकि छोटी शिल्पा अभी चार साल की है।

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