आगरा।
सेवा के भाव संस्कारों से आते हैं और संस्कार परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते हैं। मगर आज के दौर में देखा जा रहा है कि नई पीढ़ी अपने बुजुर्गों के कारोबार पर तो अपना हक मानती है लेकिन उनके द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों से विमुख रहती है। धन्य है सिकंदरा का शिवहरे परिवार, जो पिछले आठ दशक से आगरा के ऐतिहासक कैलाश मेले में निःस्वार्थ भाव से शिवभक्तों की निशुल्क जलसेवा एवं भोजनसेवा करता आ रहा है। इस बार यह जिम्मेदारी नई नौजवान पीढ़ी ने बड़ी शिद्दत से साथ अपने कंधों पर ली, और अपने बुजुर्गों के इस सेवाकार्य को आगे बढ़ाया।
बता दें कि आगरा के सिकंदरा में यमुना तट पर कैलाश महादेव मंदिर है, पौराणिक महत्व के इस मंदिर पर हर वर्ष सावन माह के तीसरे सोमवार को भव्य मेला लगता है जिसमें आगरा शहर और जनपद के ग्रामीण इलाकों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु और कांवड़िये महादेव पर जल चढ़ाने पहुंचते हैं। आगरा में इस मेले का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि इसकी वजह से हर सावन के तीसरे सोमवार को लोकल होलीडे रहता है, सारे सरकारी दफ्तर, बैंक, स्कूल-कालेज आदि बंद रहते हैं। इस बार 5 अगस्त को मेले का आयोजन हुआ जिसमें हर बार की तरह सिकंदरा के प्रतिष्ठित शिवहरे परिवार की ओर से विशाल भंडारे और जलसेवा के शिविर लगाए गए।
करीब 80 वर्ष पूर्व कांग्रेस नेता एवं समाजसेवी स्व. श्री जौहरीलाल शिवहरे ने कैलाश मेले में प्याऊ की शुरुआत की थी, और उसके बाद से हर वर्ष प्याऊ लगाते रहे। 1991 से उनके दो पुत्रों श्री केके शिवहरे (चेयरमैन-केंद्रीय उपभोक्ता भंडार सहकारी समिति, आगरा) और श्री भूपेंद्र शिवहरे ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। इसी तरह करीब 24 वर्षों पूर्व स्व. श्री जौहरीलाल शिवहरे के भाई स्व. श्री रामदयाल शिवहरे के पुत्र श्री अनिल शिवहरे (महानगर अध्यक्ष-अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन) ने भी कैलाश मेले में भंडारे एवं प्याऊ का आयोजन शुरू किया, और तब से हर वर्ष यह शिविर लगाते आ रहे हैं।
इस बार श्री केके शिवहरे के जलसेवा शिविर की पूरी व्यवस्था उनके दोनों पुत्रों श्री अंशुल शिवहरे (अध्यक्ष-शिवहरे समाज एकता परिषद) और श्री हिमांशु शिवहरे ने अपने हाथ में लीं, वहीं श्री अनिल शिवहरे के भंडारे एवं प्याऊ का प्रबंध उनके युवा पुत्र श्री निखिल शिवहरे‘गोलू’ने संभाली।
श्री केके शिवहरे ने बताया कि पहले प्याऊ में पानी कुएं से लाया जाता था और परिवार के सभी लोगों को इस काम में लगना पड़ता था। वर्षों तक यही क्रम चलता रहा, बाद में नगर निगम से पानी के टैंकर मंगाए जाने लगे, समरसेबल पंप से भी शिविर में पानी की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन गत तीन वर्षों से आरओ के पानी की व्यवस्था कर दी गई है। एक-एक हजार लीटर की क्षमता वाली दो टंकियां हैं जिसे करीब तीन बार भरवाना पड़ जाता है। इस बार बर्फ की 15 सिल्लियां मंगाई गईं ताकि शीतल जल से शिवभक्तों की सेवा की जा सके। श्री केके शिवहरे ने बताया कि उनके दोनों पुत्रों ने जिस जिम्मेदारी के साथ व्यवस्थाएं संभालीं, उसने उनके मन को यह सुखद विश्वास दिया है कि पिताजी की विरासत हमारी प्याऊ आगे भी कैलाश मेले इसी तरह चलती रहेगी। खास बात यह है कि श्री अंशुल शिवहरे का पांच वर्षीय पुत्र भी बड़े उत्साह से हाथ में गंगासागर लेकर दिनभर शिवभक्तों की जलसेवा करता रहा। सुबह आठ बजे से शुरू हुई यह प्याऊ शाम सात बजे दिन ढलने तक जारी रही।
सेवा का ऐसा ही नजारा श्री अनिल शिवहरे के शिविर में भी था जिसे उनके प्रतिष्ठान शिवा हार्डवेयर के आगे लगाया गया था। पूर्वाह्न 11 बजे भगवान को भोग चढ़ाकर भंडारे औऱ प्याऊ का शुभारंभ किया गया। शिविर मे शिवभक्तों की जलसेवा आरओ पानी के पाउच और ब्रांडेड‘लाहौरी जीरा सोडा’की बोतलों से की गई, जबकि बच्चों के लिए फ्रूटी के ट्रेटा पैक रखे गए थे। वहीं भंडारे में पूड़ी-सब्जी और छोले-चावल की अटूट सेवा की गई। भंडारे में करीब सात कुंटल आटे की पूड़ियां बनाईं गई। जबकि पानी के 20 हजार से अधिक पाउच बंट गए, लाहौरी जीरा-सोडा और फ्रूटी की तो गिनती ही नहीं पाई। भंडारा और प्याऊ शाम 5.30 तक चले। शिविर में श्री सतीश शिवहरे, श्री मोहनचंद शिवहरे, श्री महेशचंद शिवहरे, श्री धर्मेश शिवहरे, श्री भूपेंद्र शिवहरे, श्री राजीव शिवहरे, श्री सुमित शिवहरे, श्री रिंकू शिवहरे, श्री विजय शिवहरे समेत अन्य परिवारीजनों ने व्यवस्थाओं में योगदान किया।
श्री अनिल शिवहरे ने बताया कि वर्ष 2000 से वह कैलाश मेले में भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार भंडारे एवं प्याऊ की पूरी योजना व प्रबंध उनके पुत्र निखिल शिवहरे गोलू के हाथों में रही। और, उनके हिस्से एकमात्र काम शिविर में आगंतुक परिचितों का स्वागत करना रह गया था। एक ओर शिविर के काउंटर पर पूड़ी-सब्जी की परसादी प्राप्त करने के लिए शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती रही, वहीं दूसरी तरफ शिविर के अंदर वैश्य एकता परिषद के पदाधिकारियों, व्यापारी मित्रों और रिश्तेदारों का आना-जाना बना रहा, जिनका स्वागत श्री अनिल शिवहरे ने शिवनामी पट्टा और कैप पहनाकर किया।
इसी मेले में सिकंदार शिवहरे परिवार के ही श्री संजय शिवहरे भी गत दो वर्षों से प्याऊ लगाने लगे हैं।
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