December 14, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
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जब एक बच्चे की ‘इच्छा’ पूरी करने एकजुट हुए नाई की मंडी शिवहरे गली के समाजबंधु; पहली बार दहन हुआ रावण का पुतला

आगरा।
नाई की मंडी में हल्का मदन की ‘कुएं वाली शिवहरे गली’ के एक बच्चे ने इस दशहरा पर रावण का पुतला जलाने की जिद पकड़ ली, तो पूरी गली उसका साथ देने में जुट गई। दो दिन मेहनत से लगकर रावण का पुतला तैयार हुआ, और दशहरा की रात पहली बार गली के खरहड़ा में रावण दहन किया गया। रावण में आग लगाई 12 साल के आरव शिवहरे (पुत्र श्री सुगम शिवहरे ‘लवली’) ने, क्योंकि उसी की पहल थी।
आरव ने रावण बनाने की इच्छा सबसे अपने घर में जाहिर की। मम्मी-पापा ने डांटते हुए पढ़ाई पर ध्यान देने की नसीहत दे डाली। इसके बाद आरव में पड़ोस में रहने वाली ‘दीक्षा दीदी’ से बात की जिनसे वह हर शाम ट्यूशन पढ़ने जाता है। पहले तो दीक्षा ने भी मना किया कि दशहरा के तीन दिन ही तो रह गए हैं, इतनी जल्दी रावण तैयार हो नहीं पाएगा। लेकिन इनकार पर आरव के चेहरे की मायूसी उससे देखी न गई औऱ अंततः उसका साथ देने को राजी हो गईं। दीक्षा ने अपने पापा श्री पवन शिवहरे, मम्मी श्रीमती संध्या शिवहरे और बहन आयूषी शिवहरे से भी इस बारे में बात की तो वे भी सहयोग करने के लिए राजी कर लिया। पहला आर्थिक सहयोग भी उन्हीं की ओऱ से आया।
इसके बाद तो गली में यह बात फैल गई और सभी ने आरव का साथ दिया। जिससे जितना भी बन सका, उतनी आर्थिक सहायता की। आरव के साथ हमउम्र बच्चों की टोली जुड़ गई जिसने रावण का पुतला तैयार करने में सहयोग किया। कागज और पन्नियों से साढ़े छह फुट का दस मुंह वाला रावण का पुतला तैयार किया गया। करीब दो हजार रुपये के तेज धमाके वाले पटाखे रावण के पुतले में फूस के बीच छिपाकर भर दिए गए। दशहरा की शाम खरहड़े में रावण का पुतला खड़ा किया गया तो बच्चों का धमाल शुरू हो गया। रात को पूरी गली खरहड़े में जुटी, आरव को राम बनाकर उसी के हाथों से पुतले में आग लगवाई गई। पटाखों के ताबड़तोड़ धमाकों के साथ एक मिनट के अंदर पुतला जल गया। पटाखों के धमाके शांत हो गए, तो खरहड़े में तालियां गूंजने लगीं। बच्चों का जोश और तालियां ऐलान कर रही थीं कि अगले दशहरे पर और अच्छा पुतला बनेगा, और पटाखे गूंजेगे..और धमाल होगा।
रावण दहन में गोला शिवहरे, कंचन शिवहरे, अरविंद शिवहरे, वर्षा, तन्नू, गायू, अंबर, बार्बी, सिद्धी, वान्या, कृषा, माधव, लाडो, मिष्का, ओम का भी योगदान रहा।

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