November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

जयंती विशेषः भगवान श्री सहस्रबाहु की प्रतिमा में बार-बार होती हैं ये गलतियां? इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी

बहुत ही हर्ष की बात है कि देशभर में हमारे आराध्य भगवान श्री सहस्रार्जुन की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है लेकिन दु:ख की बात है कि इनमें से ज्यादातर प्रतिमाओं के निर्माण में बहुत सी गलतियां मूर्तिकारों से हुई है। यह पूजन मूर्तियां शास्त्रीय आधार पर गलत है। इन मूर्तियों में अस्त्र-शस्त्र को गलत जगह दर्शाया गया है, तीर-कमान और कंधे पर तीर रखने के तूणीर, (भाता, चोंगा) के साथ भगवान श्री की प्रतिमा और सहस्र भुजाओं की प्रतीकात्मक आभासी प्रतिमा के कद के अनुपात में बेमेल अंतर भी है जो प्रतीमा का निर्माण करने और करवाने वाले के मूर्ती की रचना की जानकारी और ज्ञान का अभाव दर्शाता है। हमारी भगवान श्री पर अपार श्रद्धा के साथ-साथ हमें इस ओर भी सजगता और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सभी से निवेदन है कि कृपया भगवान श्री सहस्रार्जुन की प्रतिमा के निर्माण करने के समय मूर्ती बनाने वाले कलाकार को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि प्रतीमा का निर्माण शास्त्रीय आधार पर किया जाए। कुछ बातें हम अपनी ओर से कह सकते हैं जैसे तीर दाहिने और कमान बाएं हाथ में, तीर रखने का तूणीर (भाता, चोंगा) दाहिने कंधे पर होना चाहिए। मूर्ती के चेहरे पर क्षत्रिय भाव और क्षात्र तेज होना चाहिए, और राजसी-तेजस्वी चेहरे पर वीरों की तरह मूंछ होनी चाहिए। बहुत बड़ी मूंछ चेहरे की भाव-भंगिमा बदल देती है। एक और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भगवान श्री सहस्रार्जुन की सहस्र (हजार) भुजाएं केवल युद्ध के समय ही प्रकट होती थी इसलिए आभासी प्रतीमा की भुजाओं को हमेशा शस्त्र सज्जित और युद्धरत स्थिति में आकाश की ओर दर्शायी जानी चाहिए।
इसके साथ ही इस विषय पर जानकारी और ज्ञान रखनेवाले और अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा के संरक्षक, इंदौर निवासी श्री भारतलाल बाबूलाल जी जायसवाल के अनुसार भगवान श्री सहस्रार्जुन का किरीट (मुकुट), कुण्डल, कंठाभूषण, अलंकार में लालमणि और परिधान लाल रंग के होने चाहिए क्योंकि शास्त्रों में वर्णित ‘श्री कार्त्तवीर्यार्जुन क्षिप्र सिद्धप्रद स्तोत्रम्’ के अनुसार-
“सहस्रबाहुं सशरीर सचापं।
रक्ताम्बरम् रक्त किरीट कुण्डलम्॥
कार्तवीर्य खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली।
सहस्रबाहु शत्रुघ्नो रक्तवासो धनुर्धर:॥
रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मुर्तरभीष्टद;
द्वादशै तानि नामानि कार्तवीर्यस्य य: पठेत्॥

इस संदर्भ में हम अन्य किसी विशेषज्ञ की मदद भी ले सकते हैं।
ॐ स्वस्ति अस्तु।
-पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरुकता अभियान
संवाद, संदेश- 94217 88630
अमरावती, विदर्भ, महाराष्ट्र

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