October 8, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

तुलसी की रामचरितमानस में सहस्रबाहु अर्जुन; हनुमानजी ने सहस्रबाहु का नाम लेकर कुरेदा रावण का ‘जख्म’

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुंदरकांड में एक प्रसंग है। (दोहा क्रमांक 21 के बाद) जिसमें सीता की खोज में लंका गए श्री राम भक्त हनुमान जी को रक्षकों ने बंदी बनाकर दशानन लंकेश रावण के समक्ष राजसभा में पेश किया, तब अहंकारी रावण के द्वारा अपनी वीरता के बखान पर हनुमान जी रावण का उपहास करते हुए भगवान श्री कार्तवीर्यार्जुन का गुणगान करते हैं। हनुमानजी कहते हैं कि मैं तुम्हारी इस झूठी महानता को जानता हूं, जब माहिष्मती के चक्रवर्ती सम्राट, योगयोगेश्वर, बाहुबली सहस्रार्जुन से लड़ाई में तुम्हारी हार हुई और उन्होंने तुमको बंदी बनाकर रखा था।
हनुमान जी कहते है-
जानऊँ मैं तुम्हरि प्रभुताई,
सहसबाहु सन परी लड़ाई।

सनातन हिन्दू धर्म के कई धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि पावन सलिला माँ नर्मदा के तट पर भगवान श्री सहस्रार्जुन और रावण का युद्ध हुआ था और इस युद्ध में रावण को हराकर श्री सहस्रार्जुन ने माहिष्मती के बंदीगृह में रखा था। कुछ समय बाद महर्षि पुलस्त्य के निवेदन पर रावण को मुक्त किया गया था।

ऊपर बॉक्स में शीर्षक के साथ दिया चित्र सोलहवीं सदी काचिंताला वेंकट रमण (वैकुंठ रमण) स्वामी मंदिर, ताडीपत्री, जिला- अनंतपुर, आंध्र प्रदेश में बना शिल्प इसी प्रसंग को दर्शाता है। गैलरी स्लाइड में इसी प्रसंग को दर्शाता रामानंद सागर के सुप्रसिद्ध टेलीविजन सिरियल, रामायण का दृश्य।
पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरुकता अभियान
संवाद, संदेश- 94217 88630*
अमरावती, विदर्भ, महाराष्ट्र

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video