प्रयागराज।
प्रयागराज के नैनी औद्योगिक क्षेत्र में व्योहार स्थित जायसवाल नगर में कलचुरी समाज के कुलदेवता भगवान राजराजेश्वर श्री सहस्रबाहु अर्जुन के भव्य मंदिर का लोकार्पण किया गया। व्योहार निवासी वरिष्ठ समाजसेवी श्री जयप्रकाश जायसवाल द्वारा दान की गई भूमि पर उन्हीं की पहल से संभव हो सके इस मंदिर में स्थापित भगवान सहस्रबाहु अर्जुन और शिव-परिवार की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा बीते दिनों धूमधाम से संपन्न ही। 12 अप्रैल से 14 अप्रैल तक चले तीन-दिनी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में यूपी के अलावा पूरे देशभर से प्रतिष्ठित समाजबंधुओं ने भागीदारी की।
तीन दिनी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के सभी कार्यक्रम कलचुरी संत एवं राम-कथावाचक श्री अभिराम दास (श्योपुर, मप्र), श्री पूर्णानंद स्वामी जी (इंदौर, मप्र) एवं श्री विनोद शास्त्री (हाथरस, यूपी) की देखरेख में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूर्ण विधि-विधान से हुए। पहले दिन 12 अप्रैल को मंदिर में पूजन कर देवताओं का आह्वान किया गया, जिसमें मुख्य पूजा मुख्य यजमान श्री जयप्रकाश जायसवाल एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सीमा जायसवाल द्वारा कराई गई। दूसरे दिन 13 अप्रैल को मंदिर में भगवान राजराजेश्वर श्री सहस्त्रबाहु अर्जुन के साथ ही शिवलिंग एवं नंदी की प्रतिमाओं का नगर भ्रमण कराया गया। भव्य शोभायात्रा मंदिर से शुरू हुई और बैंड-बाजों के साथ नगर-भ्रमण कर वापस मंदिर पर आकर संपन्न हुई। मंदिर पहुंचकर भगवान श्री सहस्रबाहु अर्जुन, शिवलिंग और उनके नंदी की पाषाण-प्रतिमाओं को मंदिर में उनके लिए निर्धारित प्लेटफार्म पर स्थापित कराया गया। बता दें कि मंदिर में भगवान सहस्रबाहु की मूर्ति वृंदावन के स्वजातीय संत श्री हरिहरदासजी महाराज द्वारा प्रदान की गई जो स्वास्थ्य संबंधी समस्या के चलते समारोह में नहीं आ सके। 13 अप्रैल की शाम को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूर्ण विधि-विधान से इन प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा कराई गई। अंतिम दिन 14 अप्रैल की दोपहर को भंडारा-प्रसादी का आयोजन किया गया, जिसमें 15 हजार से अधिक लोगों ने भोजन-प्रसादी ग्रहण की। इसी शाम कवि सम्मेलन हुआ जिसमें स्वजातीय साहित्यकारों ने श्री जयप्रकाश जायसवाल का विशेष अभिनंदन किया।
गंगा के निकट 117 वर्गगज में बना है मंदिर
मंदिर की स्थापना के लिए श्री जयप्रकाश जायसवाल के संकल्प औऱ निस्वार्थ भावना की सभी ने खुले दिल से सराहना की। जायसवाल नगर निवासी श्री जयप्रकाश शिवहरे ने बताया कि नगर में हर साल सहस्रबाहु जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन पूरे शहर मे भगवान सहस्रबाहु अर्जुन का कोई मंदिर नहीं है। इसी के चलते उनके मन में मंदिर निर्माण कराने का विचार आया। इसके लिए उन्होंने अपनी 8 बीघा जमीन में से 35 फुट लंबा और 30 फुट चौड़ा भूखंड (कुल क्षेत्रफल लगभग 117 वर्ग गज) को मंदिर निर्माण के लिए दान कर दिया जो कि पवित्र गंगा नदी से महज डेढ़ किलोमीटर और संगम से छह किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बाद समाजबंधुओं के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया। उन्होंने बताया कि मंदिर के ले समाज से 11 लाख 90 हजार रुपये की धनराशि प्राप्त हुई, और मंदिर निर्माण का कुल खर्च (भूमि मूल्य समेत) करीब 1.25 करोड़ रुपये आई है।
आकर्षण का केंद्र रहा 47 फुट ऊंचा गुंबद
35 बाई 30 फुट के मंदिर के बेसमेंट में एक बड़ा बहुउद्देशीय हॉल निकाला गया है जो विशेष रुपये समाज के धार्मिक एवं मांगलिक कार्यों के लिए आरक्षित रहेगा। ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर है जहां भगवान सहस्रबाहु अर्जुन का भव्य दरबार है, ठीक मध्य में शिवलिंग और नंदी महाजार को विराजमान कराया गया है। मंदिर का 47 फुट ऊंचा गुंबद इसे और भव्यता प्रदान करता है।
कौन हैं श्री जयप्रकाश जायसवाल?
श्री जयप्रकाश जायसवाल (पुत्र स्व. श्री रामनारायण जायसवाल) प्रयागराज के प्रमुख पेट्रोलपंप कारोबारियों में एक हैं। नगर में उनके चार पेट्रोलपंप हैं, लुब्रीकेंट कारोबार के साथ ही पारिवारिक खेती भी है। परिवार में पत्नी श्रीमती सीमा जायसवाल हैं। पुत्र जतिन जायसवाल बीटेक के बाद एलएलबी की पढाई कर रहे हैं, साथ ही पिता का कारोबार भी संभालते हैं। श्री जायसवाल की दो पुत्रियां हैं, बड़ी पुत्री डा. ट्विंकल जायसवाल (एमबीबीएस) का विवाह डा. शुभम जायसवाल (एमबीबीएस) के साथ हुआ है, दोनों लखनऊ में सरकारी अस्पताल में काम करते हैं। वहीं छोटी पुत्री सुश्री अक्षिता जायसवाल बीएचयू से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) की पढ़ाई कर रही हैं।


मंदिर के लिए स्वाजातीय पुजारी की तलाश
श्री जयप्रकाश जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि मंदिर से लगी 8 बीघा जमीन पर उनकी योजना एक रिसोर्ट बनाने की है। यदि यह योजना फलीभूत होती है तो रिसोर्ट में कलचुरी समाजबंधुओं को कम से कम 50 फीसदी डिस्काउंट देने का उनका संकल्प है। उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्हें नवनिर्मित सहस्रबाहु मंदिर के एक स्वजातीय पुजारी की आवश्यकता है। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सतना के मेहर से एक 90 वर्षीय स्वजातीय पुजारी को बुलाया गया था। वह कार्यक्रम में आए भी थे लेकिन उन्होंने अधिक आयु का हवाला देते हुए उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार करने से इनकार कर दिया। अभी मंदिर की देखभाल एक अन्य पुजारी कर रहे हैं।
देशभर से पहुंचे प्रतिष्ठित समाजबंधु, शानदार व्यवस्ताएं
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जयपुर से वयोवृद्ध समाजसेवी श्री शिवचरन हाडा, पं. विजय कटारा, डॉ. ओमप्रकाश जायसवाल, झांसी से श्री विष्णु शिवहरे एडवोकेट (राष्ट्रीय सचिव राष्ट्रीय कल्चुरी एकता महासंघ), बृजमोहन राय (प्रदेश सचिव), राजेश महाजन, कोलकाता से गगन जायसवाल, रायपुर से सुनील जायसवाल, कौशांबी से कवि सुजीत जायसवाल समेत बाहर से खासी संख्या में बाहर से समाजबंधु पहुंचे थे, जिनके ठहराने की व्यवस्था श्री जयप्रकाश जायसवाल ने अपने भूखंड में अत्याधुनिक टैंट कोटेज में की थी। उनके नाश्ते और दोपहर-शाम के भोजन की व्यवस्था कैटरिंग को सौंपी थी जिसके 35 कर्मचारी लगातार तीन दिन सेवा में लगे रहे। सभी अतिथियों ने श्री जायसवाल की मेजबानी की दिल खोलकर सराहना की।
इन्होंने संभालीं व्यवस्थाएं
कार्यक्रम में स्थानीय समाजबंधुओं का पूर्ण सहयोग रहा। सर्वश्री टीएन जायसवाल, कमलेंद्र जायसवाल (अध्यक्ष जायसवाल बुद्धि० परिषद), नरेंद्र जायसवाल, लालजी जायसवाल, आनंद जायसवाल, धर्मेंद्र जायसवाल, ब्रजेश जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, जितेंद्र जायसवाल, विद्यासागर जायसवाल आदि ने विभिन्न व्यवस्ताएं संभालीं।
(शिवहरेवाणी के संवाददाता श्री विष्णु शिवहरे के इनपुट पर आधारित)
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