बेतिया।
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है।
शायर जलील आली का यह शेर बेतिया के कुंदन कुमार जायसवाल की हस्ती पर फिट बैठता है जिसने निजी कंपनियों के भारी-भरकम पैकेज का आकर्षण छोड़ देश की सेवा करने का संकल्प लिया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ (ISRO) में वैज्ञानिक बनकर अपना यह सपना साकार कर लिया। कुंदन ने इसरो सेंट्रलाइज्ड रिक्रूटमेंट बोर्ड की परीक्षा-2025 में देश में पहला स्थान प्राप्त कर केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित इसरो केंद्र में ज्वाइनिंग ली है।


खास बात यह है कि कुंदन ने देश-विदेश की कई निजी कंपनियों की भारी-भरकम पैकेज वाली नौकरियों के प्रस्ताव छोड़ दिए। अमेरिका की दो प्रतिष्ठित यूनीवर्सिटी और ऑस्ट्रेलिया की एक यूनीवर्सिटी से सौ फीसदी स्कॉलशिप पर पीएचडी के ऑफऱ भी ठुकरा दिए। यही नहीं, ग्रेजएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग ‘गेट’ (GATE), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और डीआरडीओ जैसी बेहद मुश्किल परीक्षाओं में ऑल इंडिया टॉप किया, लेकिन देश की सेवा करने के लिए इसरो को ही चुना जो उन्होंने तय कर रखा था।


बेतिया में गोहाना प्रखंड के मंगूराहां के रहने वाले कुंदन के पिता श्री विजय जायसवाल एक साधारण किसान हैं जिन्होंने बच्चों की पढ़ाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जिसके चलते कुंदन तो इसरो में वैज्ञानिक बना ही, दूसरा बेटा डॉक्टर है जबकि पुत्री डॉक्टर बन गई है। कुंदन की शुरुआती शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। छठी से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई मिलिट्री स्कूल बेंगलुरू से की है। इसके बाद कोटा में इंटरमीडियेट करने के साथ-साथ इंजीनियरिंग की तैयारी की। 2016 में उनका सलेक्शन आईआईटी कानपुर में हुआ जहां से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ब्रांच से बीटेक और एमटेक की डिग्री ली। इसके बाद कुंदन का कैंपस सलेक्शन अमेरिकी कंपनी कैटरपिलर में हुई। लगभग एक साल बेंगलुरू में कैटरपिलर के लिए काम करने के बाद 2021 में एक परीक्षा के माध्मम से कुंदन का सलेक्शन इसरो-तिरुअनंतनपुरम में हो गया। साथ ही उन्होंने ‘ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग’ (GATE) की तैयारी शुरू कर दी।


कुंदन GATE-2024 में ऑल इंडिया टॉपर रहे। इस बीच अमेरिका की यूनीवर्सिटी ऑफ टैक्सस और शिकागो यूनीवर्सिटी से पीएचडी के लिए उन्हें 100 पर्सेंट स्कॉलशिप के प्रस्ताव मिले, ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनीवर्सिटी से भी बुलावा आया लेकिन कुंदन ने यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिए कि उन्हें देश की सेवा करनी है। 2025 में इसरो की परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर प्रथम रैंक लाकर उन्होंने इसरो में वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करने का अपना सपना साकार कर लिया। हालांकि इस बीच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स की परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया चौथी रैंक हासिल की, और डीआरडीओ की भर्ती-परीक्षा में ऑल इंडिया टॉपर रहे। लेकिन कुंदन ने इसरो में वैज्ञानिक बनने को ही अपना लक्ष्य बनाया था जिसके लिए उन्होंने भारी-भरकम आकर्षक पैकेज वाले कई प्रस्तावों को ठुकारा दिया।


कुंदन की मां श्रीमती प्रभावती देवी एक आम गृहणी हैं। वह बेटी की सफलता के पीछे कुंदन के दादाजी स्व. श्री सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल उर्फ नेता औऱ दादी मां श्रीमती देवंती देवी का बड़ा योगदान मानती हैं। कुंदन की दादी मां पंचाय समिति सदस्य भी रही हैं। कुंदन की छोटी बहन डॉ. लवली कुमारी एसकेएमसीएच अस्पताल मुजफ्फरपुर में काम कर रही है। वहीं कुंदन का छोटा भाई डॉ. कौशल जायसवाल एलएनएम सेंट्रल रेलवे अस्पताल गोरखपुर में है।
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