आगरा।
लोहामंडी की शिवहरे गली शारदीय नवरात्र के नौ दिन गुलजार रहने वाले बाद आज दशहरा के दिन मां दुर्गा की विदाई के साथ मानो सूनी हो गई हो। सुबह शिवहरे महिलाओं ने ‘सिंदूर खेला’ की ‘बंगाली रस्म’ निभाते हुए दुर्गा का आशीर्वाद लिया और सुंदर श्रृंगार कर उन्हें पिता के घर (दुर्गा पंडाल) से ससुराल के लिए विदा किया। विदाई की वेला में आलमगंज के शिवहरेजन खासकर महिलाएं व बच्चे भावुक नजर आए। शिवहरे युवा कमेटी लोहामंडी के सदस्यों ने पवित्र यमुना नदी में माता की प्रतिमा को विसर्जित किया।

इस आयोजन से शिवहरे गली में पूरे नौ दिन पूरी उमंग और उत्साह के साथ धर्म व संस्कृति का उत्सव मनाया गया जिसमें महिलाओं और बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों से अपनी प्रतिभा को सामने रखा। पंडाल में नवमी की रात शिवहरे समाज के युवाओं और बच्चों के नाम रही जिन्होंने देवी-देवताओं के स्वरूप बनकर प्रस्तुतियां दीं। इससे पूर्व माता के हवन-यज्ञ के बाद कन्या-भोज एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया गया था जो रात आरती होने तक जारी रहा।

नवमी की रात को झांकियों के दर्शन
नवमी की रात राधा-कृष्ण के स्वरूपों के दर्शन श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे। राधा के रूप में सुश्री दीपा गुप्ता और कृष्ण बने तुषार गुप्ता के नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। बाद में सुश्री दीपा और तुषार ने शिव-पार्वती का रूप धरकर एक और आकर्षक प्रस्तुति दी। इस दौरान श्रीकृष्ण के सुदामा मिलन और उनके पांव पखारने के दृश्य का सुंदर मंचन किया गया। सुदामा के रूप में अमित गुप्ता (कल्लू) के मेकअप को सभी ने खूब सराहा। शेरों वाली माता के रूप में छोटी बच्ची आर्ची गुप्ता ने सभी का दिल जीत लिया। शिव बारात में भूतों की झांकियां भी किसी से कम नहीं थीं। झांकियों की प्रस्तुति का क्रम 12.30 बजे तक चला।

नवमी की सुबह हवन-यज्ञ और भंडारा
इससे पूर्व दिन में पंडाल के मुख्य व्यवस्थापक अमित गुप्ता (गोल्डी) और शिवहरे युवा कमेटी के सभी सदस्यों ने देवी मां के हवन-यज्ञ में भाग लिया, जिसके बाद कन्या पूजन किया गया। राधाकृष्ण मंदिर के बेसमेंट हॉल में कन्याओं को भोजन-दक्षिणा के बाद अटूट भंडारा देर रात संध्या आरती तक चलता रहा जिसमें सैकड़ों समाजबंधुओं ने दिव्य प्रसादी का आनंद लिया।

देवी मां को सुंदर श्नृंगार कर किया विदा
दशहरा की सुबह माता का सुंदर श्रृंगार कर विदाई के लिए तैयार किया गया। इसके बाद मां की आरती हुई जिसमें आलमगंज के ज्यादातर शिवहरे परिवार उपस्थित रहे, और फिर पंडाल में महिलाओं ने माता को सिंदूर लगाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। महिलाओं ने ‘सिंदूर खेला’ की बंगाली परंपरा के अनुरूप ढोल की थापों पर नाचते-गाते एक-दूसरे को सिंदूर और गुलाल लगाया। इसी उत्साह के साथ माता को गली से बाहर लाया गया जिसके बाद उन्हें मेटाडोर पर बिठाकर विदा किया गया। शिवहरे युवा कमेटी लोहामंडी के युवकों ने यमुना नदी लेकर जाकर प्रतिमा का विसर्जन किया।
मान्यता है कि दुर्गा मां शारदीय नवरात्र के नौ दिन पिता के घर आती हैं और फिर ससुराल के लिए प्रस्थान करती हैं। दुर्गा पंडाल को दुर्गा मां के पिता का घर माना जाता है। अगर इसके इतिहास पर नजर डालें तो बताया जाता है करीब 450 वर्ष पहले इस परंपरा का आरंभ बंगाल में हुआ था। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी की तरह ही दुर्गा पंडाल की परंपरा भी काफी प्रचलन में आ चुकी है।
शिवहरे युवा कमेटी के हर्ष शिवहरे ने बताया कि शिवहरे गली में शारदीय नवरात्र में दुर्गा पंडाल का यह लगातार तीसरा आयोजन है। इसकी शुरुआत वर्ष 2023 में की गई थी। हर्ष गुप्ता ने बताया कि कमेटी आगे भी शारदीय नवरात्र में यह आयोजन करते रहने का प्रयास करेगी।
Leave feedback about this