August 9, 2025
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वर्षा जायसवाल ने भाई को आईएएस बनाकर पूरा किया पिता का सपना; फिर भाई ने कराई उसकी शादी; भाई-बहन के रिश्ते की एक मार्मिक दास्तान

गोरखपुर।
भाई-बहन के बीच परस्पर स्नेह, समर्पण और त्याग के अटूट रिश्ते का जश्न है रक्षाबंधन। यूं को इस पवित्र रिश्ते से जुड़ी तमाम प्रेरक कहानियां हमारे इतिहास का हिस्सा हैं जिन्हें हम सुनते आ रहे हैं, लेकिन यदि अपने आसपास गौर करें तो भी इस रिश्ते की कई मिसालें आपको मिल ही जाएंगी। आज रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हम ऐसी ही सच्ची दास्तान साझा कर रहे हैं, जिसमें एक बहन ने भाई को डाक्टर बनाने के अपने पिता के सपने को पूरा करने में पूरा जीवन झोंक दिया। भाई डाक्टर बनने बाद में आईएएस अधिकारी बना और बहन की शादी कराकर अपना फर्ज अदा दिया।।

बात कर रहे हैं त्रिपुरा कैडर के आईएएस अधिकारी डा. सिद्धार्थ शिव जायसवाल और उनकी बहन वर्षा जायसवाल की। अपने छह भाई बहनों में चौथे नंबर की वर्षा जायसवाल महज 17 वर्ष की थीं जब उनके पिता श्री शिवकुमार जायसवाल की अचानक मौत हो गई थी। गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा तहसील क्षेत्र में आने वाले गांव मुंडेरा बाजार निवासी श्री शिवकुमार जायसवाल गल्ला व्यापारी थे। चार बेटियों और दो बेटों में सबसे बड़ी बेटी की शादी कर चुके थे। बड़े बेटे जो दूसरे नंबर की संतान थे, सिद्धार्थ शिव जायसवाल को वह डाक्टर बनाना चाहते थे। पढ़ाई में शुरू से होनहार रहे सिद्धार्थ ने 2004 में इंटरमीडियेट पास किया तो पिता ने सीपीएमटी की तैयारी के लिए लखनऊ की एक कोचिंग में उनका दाखिला करवा दिया। लेकिन, दुर्भाग्य से इसके एक महीने बाद ही श्री शिवकुमार जायसवाल की तबियत खराब हुई और 20 अगस्त, 2004 को उनका निधन हो गया।

पिता की आकस्मिक मृत्यु से हसते-खेलते परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसें में बड़े बेटे की हैसियत से परिवार को संभालने की जिम्मेदारी सिद्धार्थ शिव जायसवाल पर आ पड़ी। उन्होंने कोचिंग छोड़ घर लौटने का निर्णय किया लेकिन छोटी बहन वर्षा ने उन्हें लेकर पिता के सपने का वास्ता देकर ऐसा करने से रोक दिया और खुद आगे बढ़कर पिता की दुकान और कारोबार को संभाला। वर्षा जायसवाल ने बड़ी मेहनत से पिता के गल्ला कारोबार को आगे बढ़ाया जिसकी कमाई से भाई की कोचिंग की फीस और उलखनऊ में उनके रहने का खर्चा पहुंचाती रही, उसकी पढ़ाई में किसी प्रकार का कोई व्यवधान नहीं आने दिया। साथ ही अन्य भाई-बहनों की शिक्षा, खुद अपनी भी पढ़ाई औऱ परिवार की अन्य जरूरतों का खर्चा भी निकालती रही।

सिद्धार्थ की मेहनत रंग लाई और अगले ही साल सीपीएमटी में सफलता प्राप्त की। सिद्धार्थ को एएफएमसी, पुणे में दाखिला मिला जहां से एमबीबीएस करने के बाद उन्हें भारतीय सेना में नौकरी मिल गई। सेना की नौकरी करते हुए सिद्धार्थ ने सिविल सेवा में जाने का फैसला किया और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। 2015 में सिद्धार्थ शिव जायसवाल यूपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता के साथ आईएएस अधिकारी बन गए।

इधर वर्षा जायसवाल पिता की जिम्मेदारियों को पूरी शिद्दत से उठाती रही। दोनों बहनों की शादी कर दी, भाई सिद्धार्थ शिव जायसवाल की शादी भी करवा दी। छोटे भाई को पिता का गल्ला व्यवसाय सिखाया और खुद सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापिका की नौकरी पा ली। उन्होंने पूरा जीवन पिता के सपने को पूरा करने में लगा दिया, और अपनी शादी नहीं करने का निर्णय लिया। बाद में यह जिम्मेदारी आईएएस अधिकारी बन चुके सिद्धार्थ शिव जायसवाल ने निभाई, वर्षा को विवाह के लिए राजी किया और 2023 में उसकी शादी गोरखपुर के ही रीतेश जायसवाल के साथ धूमधाम से कराई।

वर्षा जायसवाल कहती हैं कि पिता के असमय जाने के बाद उनके सपनों को साकार करने को उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया था। पहले अपने भाई-बहनों की शादी की, उसे लगता था कि यदि पहले अपनी शादी कर लेती तो शायद पिता का सपना पूरा नहीं कर पाती, सब भाई-बहनो को सैटल नहीं कर पातीं। सिद्धार्थ शिव जायसवाल वर्तमान में त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले में डीएम हैं। उन्हें एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी माना जाता है। दो वर्ष पूर्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण अभियान में शानदार योगदान के लिए प्रतिष्ठित भूमि सम्मान प्रदान किया था।

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