September 7, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर समाचार

शिक्षक दिवस विशेषः घनश्याम शिवहरे ने पहली ही सैलरी से अपने टीचर को गिफ्ट की बुलेट बाइक; ग्वालियर से गुरू-शिष्य संबंधों की प्रेरक कहानी

ग्वालियर।
शिष्य एक खाली दीपक के समान होता है, गुरु उसमें ज्ञान रूपी तेल भरकर और संस्कार रूपी बाती डालकर प्रकाशित करता है। यह गुरू-शिष्य संबंध की महज एक मिसाल है, लेकिन यदि इसे ठीक से समझना है तो ग्वालियर के शिक्षक उमेश पाठक और छात्र घनश्याम शिवहरे की कहानी को जानना जरूरी है, जिन्होंने इस महान रिश्ते का एक आदर्श समाज के सामने प्रस्तुत किया है।

उमेश पाठक ग्वालियर में ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ (शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1) में मैथ्स के टीचर हैं, और घनश्याम शिवहरे आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक (मैकेनिकल) करने के बाद वर्तमान में हीरो मोटरकॉर्प में डिजायन इंजीनियर के पद पर जयपुर में पोस्टेड हैं। दो वर्ष पहले इंजीनियरिंग करने के बाद घनश्याम शिवहरे के करियर पहली जॉब ‘ओला’ कंपनी में बेंगलुरू में लगी थी, और अपनी पहली सैलरी से उन्होंने अपने टीचर को बुलेट बाइक गिफ्ट कर उनके उपकारों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। खास बात यह है कि शिवहरेवाणी ने जब घनश्याम शिवहरे से संपर्क किया तो वह इसके प्रकाशन को बिल्कुल तैयार नहीं थे। बड़े मान-मनौव्वल करने पर इजाजत दी।

ग्वालियर में मुरार निवासी सिविल कांट्रेक्टर श्रीकृष्ण शिवहरे एवं श्रीमती ममता शिवहरे के पुत्र घनश्याम शिवहरे शुरू से होनहार छात्र रहे हैं। ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ में 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के दौरान उमेश पाठक उनके मैथ्स टीचर थे। घनश्याम शिवहरे ने बताया कि उमेश पाठक सर एक कुशल शिक्षक तो थे ही, अपने छात्रों के प्रति उनका व्यवहार बहुत संवेदनशील और मददगार था। घनश्याम शिवहरे इंटरमीडियेट के बाद जेईई की तैयारी के लिए कोटा की एक कोचिंग ज्वाइन करना चाहते थे। लेकिन, उस वक्त ऐसी परिस्थितियां बन गईं कि परिवार की आर्थिक स्थिति उन्हें कोटा भेजने की नहीं रही। यह बात जब उमेश पाठक सर के पास पहुंची तो उन्होंने घनश्याम को बुलाकर पूरी जानकारी ली। घनश्याम ने बताया कि कोचिंग के लिए डेढ़ लाख रुपये चाहिए लेकिन काम में लॉस के चलते पापा पैसा देने की स्थिति में नहीं हैं। उमेश पाठक सर ने घनश्याम की पीठ पर हाथ रखकर कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं है, तुम कोटा जाने की तैयार करो। इसके बाद उमेश पाठक सर ने कोटा की उक्त कोचिंग से संपर्क किया, एक लाख रुपये अपने पास से जमा कराए और पचास हजार रुपये कह-सुनकर माफ करा दिए।

घनश्याम ने कोटा में मन लगाकर पढ़ाई की और पहले ही प्रयास में जेईई एडवांस परीक्षा क्वालीफाई कर आईआईटी गुवाहटी में बीटेक (मेकेनिकल) में प्रवेश पा लिया। दो वर्ष पूर्व बीटेक करने के बाद उनकी पहली नौकरी ओला कंपनी में लगी। नौकरी की पहली सैलरी एकाउंट में आते ही घनश्याम ने एक बुलेट बुक कराई और उमेश पाठक सर को सौंप दी।


उमेश पाठक बताते हैं कि वह अपने हर छात्र का सपना पूरा होते देखना चाहते हैं, इसीलिए छात्रों से उनके रिश्ते व्यक्तिगत हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि घनश्याम ने अपनी मेहनत से यह मुकाम पाया है, उन्होने तो उसमें थोड़ी मदद भर की है जो हर टीचर का फर्ज है। उन्होंने कहा कि घनश्याम की तरह और भी कई छात्र हैं जिन्होंने करियर सेटल होने पर उन्हें उपहार दिए हैं।
बता दें कि 25 वर्षीय घनश्याम शिवहरे बाड़ी में ‘शिवहरे कलचुरी समाज’ के पूर्व अध्यक्ष श्री मिट्ठनलाल शिवहरे के पौत्र हैं। घनवश्याम के पापा श्रीकृष्ण शिवहरे करीब 20 साल पहले काम के सिलसिले में परिवार के साथ ग्वालियर आ बसे थे। घनश्याम के बड़े भाई पुष्पेंद्र शिवहरे हैवेल्स कंपनी में महाप्रबंधक (सेल्स) पद पर हैं। वर्तमान में अलवर में पोस्टेड घनश्याम शिवहरे नेवल एनसीसी में शिप मॉडलिंग में टॉपर रहे हैं जिसके लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था। बहन रोशनी शिवहरे विवाहित हैं।

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