आगरा।
आगरा में सामाजिक सेवा और राजनीति में कभी खास मुकाम हासिल करने वाले स्व. श्री जौहरीलाल शिवहरे की पुण्यतिथि 13 दिसंबर को हर साल की भांति बार भी सिकंदरा गांव स्थित बगीची में भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस दौरान परिवार के अलावा सिकंदरा गांववासियों समेत कई लोगों ने अपने मार्गदर्शक रहे स्व. श्री जौहरीलालजी शिवहरे को श्रद्धासुमन अर्पित कर प्रभु को समर्पित भजनों में श्रवण किया।
स्व. श्री जौहरीलालजी को गए दो दशक हुए, लेकिन आज भी आगरा के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनका नाम हमेशा बड़े आदर से लिया जाता है। जौहरीलाल जी सिर्फ बिरादरी ही नहीं, बल्कि पूरे देश और समाज के हित में सोचते थे। आजादी के संघर्ष में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कांग्रेस पार्टी का सदस्य होने के नाते शहर में पार्टी के नेतृत्व में शामिल तत्कालीन राज्यमंत्री देवकी नंदन विभव, सांसद छत्रपति अम्बेश, सांसद सेठ अचल सिंह से उनकी नजदीकी बढ़ी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजनारायण की प्रेरणा से वह 1945 में स्वतंत्रता आंदोलन में शरीक हुए और जेल भी गए। तब उनके पिता ने अदालत से 60 रुपये की जमानत देकर उन्हें छुड़ाया था।
जौहरीलाल जी कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता थे। वह करीब 28 वर्षों तक सिकंदरा न्याय पंचायत के अध्यक्ष रहे। एक समय इस न्याय पंचायत से आसपास के 23 गांव जुड़े थे। कार्य के प्रति उनकी लगन और कर्मठता का ही परिणाम था कि कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें हमेशा तरजीह दी और पार्टी की लगभग सभी समितियों में उन्हें जिलास्तर के पदों पर आसीन किया। सहकारिता में उनका विशेष योगदान रहा। वह सालों साल उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थाओं में शामिल रहे और फिर जिला सहकारी संस्था के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे। हालांकि बाद में जौहरीलाल जी ने राजनीति से संन्यास ले लिया और शिवहरे समाज की सेवा में जुट गए।
वह सदरभट्टी चौराहा स्थित दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष भी रहे। फिर लोहामंडी स्थित राधाकृष्ण मंदिर समिति की भी अध्यक्षता लंबे समय तक की। यह समाज के प्रति जौहरीलाल जी का समर्पण भाव ही था कि हर सामाजिक कार्यक्रम में हर हाल में शिरकत करते थे। अखिल भारतीय स्तर पर वैश्य समाज का कहीं भी सम्मेलन हो, जौहरीलाल जी को अवश्य निमंत्रित किया जाता था और वह हर हाल में वहां पहुंचते थे। समाज के लोगों के सुख-दुख में साथ खड़े रहते थे और हर हाल में वहां दिखाई देते थे। समय की पाबंदी और स्पष्टवादिता जौहरीलाल जी का विशेष गुण था जिसके लिए उस वक्त के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। वह हर कार्यक्रम में समय पर पहुंच जाते थे, और यदि आयोजक स्वयं लेट हो जाएं तो उनकी खटिया खड़ी कर देते थे।
जौहरीलाल जी मूलतः धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। रामायण और भागवद्गीता उन्हें कंठस्थ थी। अन्य धर्मग्रंथों का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया था और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारा था। यही वजह है कि वह खुले मन से जरूरतमंदों की तन-मन-धन से सहायता करते थे।
जौहरीलालजी का जन्म 1922 में सिकंदरा निवासी श्री तोताराम शिवहरे के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ। उनकी माताजी श्रीमती चमेली देवी धार्मिक विचारों वाली संस्कारवान महिला थीं। पिता कुशल उद्यमी और समाजसेवी। इन दोनों गुणों को जौहरीलाल जी ने बखूबी ग्रहण किया। बचपन से ही जौहरीलाल जी का रुझान शिक्षा की ओर था और पढ़ने के लिए मिढ़ाकुर स्थित जूनियर हाईस्कूल साइकिल से जाया करते थे। जौहरीलालजी के पांच छोटे भाई थे..स्व. श्री मूलचंदजी शिवहरे, स्व. श्री रामदयालजी शिवहरे, स्व. श्री कैलाशचंद्रजी शिवहरे, स्व. श्री रमेशचंद्रजी शिवहरे और स्व. श्री सुरेशचंद्रजी शिवहरे। सभी भाइयों के परिवार सिकंदरा और आसपास के क्षेत्र में ही निवास कर रहे हैं। जौहरीलालजी का विवाह कलाल खेरिया निवासी नारायणी देवी से हुआ था। उनके चार पुत्र हुए जिनमें दो ब़ड़े पुत्र श्री गिरीशचंद्र शिवहरे और श्री श्यामलाल शिवहरे अब नहीं रहे। दो छोटे पुत्र श्री भूपेंद्र शिवहरे और श्री केके शिवहरे पिता के नक्शे-कदम पर आगे बढ़ रहे हैं। सबसे छोटे पुत्र श्री केके शिवहरे ने पिता की राजनीतिक विरासत और सामाजिक संबंधों की विरासत को बखूबी संभाला है। श्री केके शिवहरे पिता की तरह ही वर्षों से जिला सहकारी समितियों में परिवार के प्रभाव को बनाए हुए है। वह स्वयं भी केंद्रीय उपभोक्ता भंडार सहकारी समिति के चेयरमैन हैं, और उनके छोटे पुत्र हिमांशु शिवहरे जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर हैं। ज्येष्ठ पुत्र अंशुल शिवहरे आगरा में स्वजातिय युवाओं की संस्था शिवहरे समाज एकता परिषद के अध्यक्ष हैं।
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स्मृतियों में आज भी जीवित हैं स्व. श्री जौहरीलालजी शिवहरे; पुण्यतिथि पर भजन संध्या; लोगों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
- by admin
- December 13, 2024
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