November 21, 2024
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शिक्षा/करियर

INSPIRING STORY रिक्शाचालक ने बेटे को आईएएस बनाया और बहू आईपीएस ढूंढ कर लाया

by Som Sahu October 17, 2017  जानकारियांशख्सियत 841

  • ईमानदारी से किया गया संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता, बताती है वाराणसी के रिक्शा चालक नारायण जायसवाल की कहानी
  • आईएएस बेटा गोविंद जायसवाल और आईपीएस बहु चंदना जायसवाल गोवा में हैं तैनात

शिवहरे वाणी नेटवर्क
वाराणसी।

दीपावली का मूल संदेश यह है कि हमें  जिंदगी के अंधेरों यानी मुश्किलों से घबराना नहीं चाहिए। भगवान राम ने वानर सेना के साथ तमाम मुश्किलों का सामना किया, समुद्र पार किया और अंततः लंका पर विजय पायी। जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, बशर्ते आपका संकल्प दृढ़ होना चाहिए। श्री नारायण जायसवाल से आप प्रेरणा ले सकते हैं, जो कभी रिक्शा चलाते थे लेकिन ठान लिया था कि बेटे को आईएएस बनाना है, तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए न केवल बेटे को आईएएस बनाया, बल्कि बहू भी ढूंढी तो आईपीएस अधिकारी। बेटा और बहु, दोनों गोवा में पोस्टेड हैं। श्री नारायण जायसवाल वाराणसी में रहते हैं। श्री नारायण जायसवाल और श्री गोविंद जायसवाल की कहानी अब दुनिया जानती है। आप भी जानते होंगे, फिर भी इस दीपावली पर एक प्रेरक कहानी के तौर पर एक बार फिर सही।

श्री नारायण जायसवाल की तीन बेटियां हैं जिनके नाम हैं निर्मला, ममता और गीता, एक बेटा है गोविंद। वाराणसी के अलईपुरा के एक छोटे से मकान में किराये पर रहा करते थे। उनके पास 35 रिक्शे थे जिन्हें किराये पर चलवाते थे। उस समय घर का गुजारा ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन एक दिन उनकी पत्नी इंदु को ब्रेन हेमरेज हो गया, लंबा इलाज चला जिसमें न केवल जमा पूंजी खर्च हो गई, बल्कि 20 रिक्शे भी बेचने पड़े। उस समय बेटा गोविंद 7वीं क्लास में पड़ता था। गरीबी का आलम यह था कि घर में रूखी-सूखी खाकर गुजारा चल रहा था। वह खुद गोविंद को अपने ही रिक्शे में बिठाकर स्कूल छो़ड़ने जाया करते थे। तब स्कूल के बच्चे गोविंद को ताना देते थे- आ गया रिक्शेवाले का बेटा। ये बात नारायण जायसवाल को ऐसी चुभी कि उन्होंने बेटे को आइएएस बनाने की ठान ली।

इस बीच श्री नारायण जायसवाल ने तीनों बेटियों की शादी कर दी जिसमें बचे हुए रिक्शे भी बिक गए। सिर्फ एक रिक्शा बचा, जो घर चलाने के लिए उनका एकमात्र माध्यम था। गोविंद का पढ़ाना भी मुश्किल पड़ने लगा, लेकिन गोविंद भी धुन का पक्का निकला, पिता की समस्या को समझते हुए सेकेंड हैंड किताबों से पढ़ाई की। 2006 में गोविंद ने हरिशचंद्र यूनीवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। पिता की मुश्किल देखते हुए वहां गोविंद पार्ट-टाइम काम कर अपनी कोचिंग का खर्च निकालता था। खर्चा करने के लिए चाय पीना ही छोड़ दिया, एक टाइम का टिफिन भी बंद कर दिया। अंततः उसकी मेहनत रंग लाई। एक साल की कोचिंग में ही उसने आईएएस की परीक्षा में 48वीं रैंक हासिल किया। 2007 बैच के आईएएस अफसर गोविंद जायसवाल इस समय गोवा में सेक्रेट्री फोर्ट, सेक्रेट्री स्किल डेवलपमेंट और इंटेलि‍जेंस के डायरेक्टर जैसे 3 पदों पर तैनात हैं।

गोविंद की बड़ी बहन ममता बताती हैं कि 2011 में उनके पति राजेश के वकील मित्र की भांजी चंदना उसी साल आईपीएस में सिलेक्ट हुई थी। उसकी कास्ट दूसरी थी, लेकिन हमारी फैमिली को रिश्ता अच्छा लगा।  इस तरह शादी हो गई। अब आईपीएस अधिकारी श्रीमती  चंदना गोविंद जायसवाल बताती हैं,  शुरुआत में वह शादी के मूड में नहीं थीं, क्योंकि उसकी ट्रेनिंग चल रही थी। लेकिन नानी के कहने पर उसने हामी भर दी। आज वो कहती हैं, “फक्र है ऐसे ससुर मिले जिन्होंने समाज में एक मिसाल कायम की है। गरीबी-अमीरी की दीवार को गिराया।

आईएएस अधिकारी गोविंद जायसवाल ने बताया, बचपन में एक बार दोस्त के घर खेलने गया था, उसके पिता ने मुझे कमरे में बैठा देख बेइज्जत कर घर से बाहर कर दिया और कहा कि दोबारा इस घर में घुसने की हिम्मत न करना। उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि मैं रिक्शा चलाने वाले का बेटा था। उस दिन से किसी भी दोस्त के घर जाना बंद कर दिया। उस समय मेरी उम्र 13 साल थी, मैंने उसी दिन ठान लिया कि मैं आईएएस बनूंगा, क्योंकि तब बस इतना जानता था कि यह सबसे ऊंचा पद होता है। श्री गोविंद जायसवाल बताते हैं, हम 5 लोग एक ही रूम में रहते थे। पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। बहन को लोग दूसरों के घर बर्तन मांजने की वजह से ताने देते थे। बचपन में दीदी ने मुझे पढ़ाया। उनके कोचिंग के लिए दिल्ली जाते समय पिता नारायण जायसवाल ने ने गांव की थोड़ी जो जमीन थी, वो भी बेच दी। यानी गोविंद के ऊपर सबकुछ दांव पर लगा था….उम्मीदभविष्यवर्तमान..सबकुछ। इस बात का अहसास खुद गोविंद जायसवाल को भी था। इंटरव्यू से पहले उन्होंने अपनी बहनों से बोला था कि अगर सिलेक्शन नहीं हुआ तो परिवार का क्या होगा। आज जब वह आईएएस अधिकारी हैं तो इसका पूरा श्रेय अपने पिता को देते हैं। कहते हैंमैं जो कुछ भी हूं, पिता जी की वजह से हूं। उन्होंने मुझे कभी अहसास नहीं होने दिया कि मैं रिक्शेवाले का बेटा हूं।

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