April 12, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
खबरे जरा हटके धरोहर

शरद पूर्णिमा 2017…आज भी याद है वो अदभुत आनंद…शिवहरेवाणी की वो रिपोर्ट आर्काइव से

by Som Sahu October 05, 2017  घटनाक्रम 526

धवल चांदनी में विराजे ठाकुरजी, रात एक बजे तक चला महारास

कम लोगों की मौजूदगी में भी बना माहौल, भजनों की धुन पर नाचे भक्तगण

सोम साहू

आगरा।

क्या फर्क पड़ा कि लोग कम थे, क्या फर्क पड़ता जो इतने भी न होते। और, यदि मंदिर परिसर खचाखच भरा होता तो भी कोई इतिहास तो रचना नहीं था। दरअसल शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास उस महाशक्तिमान का था जिसके लिए संख्या कभी मायने नहीं रखती। उसने तो चावल के एक दाने से गुस्सैल दुर्वासा ऋषि और उनके संतों का पेट भर दिया था, एक मुट्ठी चने खाकर सुदामा की किस्मत बदल दी थी। कहते हैं कि प्रभु भावों का भूखा होता है, और बीती रात मंदिर श्री राधाकृष्ण में यही हुआ। वहां मौजूद चंद लोगों के भक्ति भाव पर रीझकर प्रभु ने ऐसा असीम आनंद बरसाया, कि हरकोई सुधबुध खो बैठा। और, जो आरती रात 12 बजे होनी थी, एक बजे हो सकी। इसे ही कहते हैं ठाकुरजी की कृपा ।

आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण मंदिर परिसर प्रबंध समिति ने इस बार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में एक अदभुत कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की थी। कार्यक्रम के अनुरूप ही मंदिर में तैयारियां की गईं। मंदिर के ठाकुरजी, जिन्होंने 55 साल पहले मंदिर की नींव रखी थी, का दरबार खुले आंगन में लगाया गया, महारास के लिए भजन मंडली बुलाई गई। कार्यक्रम रात्रि साढ़े नौ बजे भजनों के साथ शुरू हुआ, लेकिन साढ़े दस बजे तक चंद गिनती के लोग ही मंदिर परिसर में मौजूद थे। घड़ी की सुई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, मुख्य आयोजक मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अशोक शिवहरे अस्सो भाई, महासचिव श्री मुकुंद शिवहरे, कोषाध्यक्ष श्री कुलभूषण गुप्ता रामभाई के चेहरे पर चिंता के भाव बढ़ते जा रहे थे। दूरदराज के लोगों की बात दूर, मंदिर के बिल्कुल पास रहने वाले ज्यादातर समाजबंधु भी वहां नहीं थे। एक बारगी लगा कि कार्यक्रम अपने ही लोगों की उपेक्षा का शिकार हो गया। कम लोगों की मौजूदगी में भजन गायक भी अपना उत्साह खोते जा रहे थे। माहौल में एक अजीब नीरसता तारी हो रही थी।

 

सवा ग्यारह बजे मंदिर की सारी लाइटें बंद कर दी गईं और सभी लोग मुख्य मंदिर से उठकर आंगन धवल चांदनी में विराजमान ठाकुरजी के समक्ष आ बैठे। भजन थम गए और पंडितजी ने रोचक अंदाज में शरद पूर्णिमा से जुड़ी भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं को कहना शुरू किया। माहौल धीरे-धीरे बनने लगा, सुई बारह बजाने के निकट ही थी, कि श्री कुलभूषण गुप्ता रामभाई ने अचानक माइक संभाल लिया और ऐसा भजन प्रस्तुत किया,  कि महिलाएं और पुरुष अपने स्थान पर खड़े हो गए और नाचने-झूमने लगे। फिर क्या था, रामभाई और भजन मंडली के गायकों के श्रीमुख से भक्ति के भावों में पगी एक से बढ़कर एक ऐसी स्वरलहरियां गूंजी, कि मंदिर परिसर में महारास साक्षात हो गया। लगा मानों नाच-झूम रहे सब लोग गोपियां हैं और भगवान श्रीकृष्ण अदृश्य रूप में इनके साथ महारास कर रहे हैं। माहौल इस कदर बन गया कि जो आरती रात 12 बजे होनी थी, वह रात एक बजे हो सकी। इसके बाद खीर का प्रसाद वितरित किया गया। और, जो लग रहा था कि कार्यक्रम अपने ही लोगों की उपेक्षा का शिकार हो गया है, दरअसल वह उपेक्षा नहीं, बल्कि उनका दुर्भाग्य था जिसने उन्हें अध्यात्मिक आनंद के उन क्षणों से वंचित कर दिया, जिनके लिए हम इस भागदौड़ भरे जीवन में तरसते हैं, जो अब लौटेंगे अगले बरस शरद पूर्णिमा की रात…मगर… शायद…!

(4 अक्टूबर 2017 की रात शरदपूर्णिमा का यह कार्यक्रम फिर दोहराया नहीं जा सका।)

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video

    बिज़नेस

    लाला शिवहरे के आइसक्रीम पार्लर का विजय शिवहरे ने

    बिज़नेस

    लाला शिवहरे के आइसक्रीम पार्लर का विजय शिवहरे ने

    बिज़नेस

    लाला शिवहरे के आइसक्रीम पार्लर का विजय शिवहरे ने