April 8, 2025
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साहित्य/सृजन

देश के पहले हिंद केसरी बाबू रामचंद्र के जीवन पर फिल्म बनाएंगे मुकेश चौकसे

by Som Sahu August 24, 2017  जानकारियांसृजन 168

  • सितंबर में नेपानगर में शूट होगा मुहूर्त सीन, मेहमान कलाकार के रूप में शूटिंग करेंगे धर्मेंद्र
  • शक्ति कपूर, प्रेम  चोपड़ा, हेमंत बिर्जे जैसे कलाकार भी होंगे इस फिल्म का हिस्सा

शिवहरे वाणी नेटवर्क

इंदौरा।

फिल्म डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और एक्टर मुकेश आर चौकसे अब हिंदुस्तान के पहले हिंद केसरी बाबू रामचंद्र के जीवन पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। फिल्म की शूटिंग सितंबर में बाबू रामचंद्र पहलवान के पुराने अखाड़े से शुरू होगी। खास बात यह है कि शुरुआती सीन स्टार अभिनेता धर्मेंद्र पर शूट होंगे जो फिल्म में मेहमान कलाकार होंगे।

बता दें कि मुकेश आर चौकसे ने हाल ही में डाकू मलखान सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म दद्दू मलखान सिंह पूरी की है, जिसमें बीहड़ के मुश्किल जीवन को बहुत वास्तविक और बडे मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। खास बात यह है कि इस फिल्म के लिए खुद मलखान सिंह ने अपने जीवन से जुड़ी सच्चाइयों से निर्देशक मुकेश आर चौकसे को अवगत कराया था, और फिल्म तैयार करने में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिससे फिल्म काफी प्रभावी बन पड़ी है। अब मुकेश आर चौकसे हिंद केसरी बाबू राम रामचंद्र के जीवन पर आधारित फिल्म का निर्देशन करने जा रहे हैं। इस फिल्म के जरिये वह परंपरागत अखाड़ों में फलने-फूलने वाली देशी कुश्ती के महत्व को चित्रित करेंगे। डायरेक्टर मुकेश आर चौकसे ने शिवहरे वाणी को बताया कि पहलवान बाबू रामचंद्र खुद फिल्म का मुहूर्त शॉट देंगे। यह नेपानगर मे शूट होगा। उन्होने बताया कि दो घंटे की इस फिल्म में बेहद रोचक तरीके से देशी कुश्ती के दांव-पेंच की खूबियों के साथ ही पहलवानों के संघर्ष को भी दर्शाया जाएगा। फिल्म की शूटिंग बुरहानपुर, इंदौर, ओंकारेश्वर, महेश्वर औऱ खंडवा में होगी। सांवरियाजी म्यूजिक एंड फिल्म एक्टिंग एकेडमी द्वारा बनाई जा रही इस फिल्म में रणजीत, शक्ति कपूर, हेमंत बिर्जे, शाहबाज खान, मुश्ताक खान और प्रेम चोपड़ा जैसे मंझे हुए कलाकार काम करेंगे।

कौन थे रामचंद्र बाबू

नेपानगर के रहने वाले रामचंद्र बाबू ने 1958 में पहला हिंद केसरी का खिताब जीत था। 1 जून 1958  को हैदराबाद के गोसा महल स्टेडियम में हुए इस स्पर्धा के फाइनल मुकाबले में बाबू रामचंद्र ने थल सेना के नामचीन पहलवान ज्ञानीराम को महज सात मिनट में धूल चटा दी थी।  उन्हें 15 किलो का चांदी का गदा पुरस्कार के तौर पर दिया था । 85 वर्षीय रामचंद्र पहलवान ने 1950 से 1965 तक 250 से ज्यादा कुश्तियां लड़ीं। साथ ही छोटे-बड़े 100 से ज्यादा पहलवान तैयार किए।

 

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