by Som Sahu August 09, 2017 जानकारियां, साक्षात्कार 426
- पहले ही प्रयास में कामयाबी हासिल करने वाली भोपाल की सुश्री पलक राय से शिवहरे वाणी की विशेष बातचीत
शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
ख्वाबों से प्यार है तो उनको पलकों पर रखना,
जब तक मंजिल न मिले आंख मत झपकना।
कामयाबी का कोई फार्मूला नहीं होता। हर व्यक्ति अपने-अपने रास्ते से अपनी मंजिल पर पहुंचता है। इसीलिए हर कामयाब शख्स की कामयाबी के राज भी अलग-अलग होते हैं। फिर भी कुछ मूल बातें समान होती हैं। आज हम आपसे मिलवा रहे हैं सुश्री पलक राय से जिन्होंने पहले प्रयास में सिविल जज परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। खास बात यह है कि उन्होंने कोचिंग में स्पर्धात्मक माहौल प्राप्त करने के बजाय स्वाध्याय कर प्रतिदिन स्वयं से स्पर्धा करते हुए मंजिल तय की है। यही उनका सक्सेस मंत्रा है, कहती हैं- ‘अनुशासित और नियोजित (स्मार्ट) तरीके से सतत स्वाध्याय मंजिल पर पहुंचने की गारंटी है।‘
बीती 3 अगस्त को मध्य प्रदेश शिविल जज परीक्षा का परिणाम आया तो भोपाल की सुश्री पलक राय के परिजनों और गुरुजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हालांकि पलक की कामयाबी पर उन्हें कोई आश्चर्य नहीं था, बल्कि वे इसे लेकर बहुत आश्वस्त थे। वजह यही थी कि पलक की तैयारी बेहद अनुशासित और नियोजित थी। शिवहरे वाणी से बातचीत में सुश्री पलक ने बताया कि उन्होंने हमेशा सेल्फ-स्टडीज को प्राथमिकता दी है और कभी कोचिंग नहीं ली। जरूरत पड़ने पर अपने करियर लॉ कालेज के फैकल्टीज श्री प्रमोद सर और श्री अरविंद सर से गाइडेंस जरूर ली, जिसके लिए वह उनका आभार व्यक्त करती हैं। प्रारंभिक परीक्षा के लिए उन्होंने वैकल्पिक प्रश्नों के मॉक टेस्ट किए और मुख्य परीक्षा के लिए खुद नोट्स तैयार किए। इंटरव्यू के लिए उन्होंने अपने गुरुजनों की मदद ली। वह मानती हैं सारगर्भित और बिंदुवार अध्ययन प्रणाली इस तरह की परीक्षाओं में बेहद उपयोगी होती हैं। वह कहती हैं कि किसी भी परीक्षा की तैयारी कैसे करनी है, यह तय करने के लिए उस परीक्षा के पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का गंभीर मूल्यांकन करना जरूरी होता है। यही उन्होंने भी किया। सिविल जज परीक्षाओं के पिछले वर्ष के प्रश्नपत्रों का अवलोकन किया और उसके आधार पर अपनी तैयारी को नियोजित किया। सिविल जज या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों सुश्री पलक सुझाव देती हैं कि वे दूसरों से स्पर्धा करने के बजाय खुद से कंप्टीशन करें, हर रोज अपनी प्रगति का आकलन करें। कठिन परिश्रम के साथ सारपूर्ण अध्ययन करें। साथ ही अपने आपमें पर भरोसा रखें, जो सबसे जरूरी है।
सुश्री पलक ने इस बात पर खुसी जाहिर की कि उनकी कामयाबी पर समाज के लोगों, खासकर महिला वर्ग ने जिस तरह उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं दीं, वह समाज के सुखद भविष्य की उम्मीद जगाता है। वह खुद भी चाहती हैं कि उनकी कामयाबी महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे। वह खुद भी समाज की महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की दिशा में काम करना चाहेंगी।
सुश्री पलक अपनी सपलता के लिए ईश्वर और परिजनों को पहला श्रेय देती हैं। खासकर मां को जिन्होंने अपनी बेटी को जज बनाने का ख्वाब देखा और उसे पूरा करने के लिए बेटी का संबल बनीं। अपने मेंटर श्री प्रमोद जी का विशेष आभार व्यक्त करती हैं जिन्होंने कठिन परिश्रम करने के लिए उन्हें हमेशा प्रेरित किया। साथ ही अपने भाई और मित्रों की अहम भूमिका का भी उतना ही सम्मान करती हैं।
मूल रूप से रायसेन जिले की तहसील बरेली के रहने वाले सरकारी कर्मचारी श्री बीएम राय और श्रीमती आशा राय की पुत्री सुश्री पलक राय की ज्यादातर शिक्षा बरेली में हुई है। पढ़ाई में शुरू से होनहार सुश्री पलक राय ने 2009 में हाईस्कूल और 2011 में इंटरमीडियेट टॉप किया। इसके बाद बीएएलएलबी (ऑनर्स) के लिए इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ में दाखिला लिया। इसके बाद करीब पांच साल पहले पापा का ट्रांसफर भोपाल हो गया। परिवार भोपाल शिफ्ट हो गया तो सुश्री पलक ने भी सेकेंड ईयर मे भोपाल के करियर लॉ कालेज में ट्रांसफर ले लिया। यहां थर्ड ईयर में उन्होंने यूनीवर्सिटी टॉप किया। यह उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ, जब उन्होंने सिविल जज बनने की ठानी। और, अब मंजिल पा भी ली। सुश्री पलक का छोटा भाई पल्लव राय अपनी दीदी की सफलता से बेहद प्रेरित है।
सुश्री पलक राय कहती हैं कि जीवन की चुनौतियां कभी खत्म नहीं होतीं। अब नई चुनौतियां सामने है। जैसा कि वह कहती हैं, हमारी न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे भरोसेमंद न्यायिक व्यवस्थाओं में से एक है लेकिन वाद के निपटारे में विलंब जैसे कुछ चुनौतियां भी हैं। हालांकि न्याय प्रणाली में हमारे कुशल जज इन चुनौतियों से निरंतर निपट रहे हैं। बकौल सुश्री पलक राय, वह खुद इस बात का ध्यान रखेंगी कि याची को न्याय जल्द मिल सके।
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