मित्रो आज शनिवार है, आज हम आपको श्री शनिदेव को अनुकूल कैसे करें का उपाय बतायेगें ?
आप लोगों के समक्ष शनिदेव को अनुकूल करने के उपायों की चर्चा कर रहा हूं। जिन व्यक्तियों के बाल-बच्चों या उनके स्वयं के स्वभाव में निज पूर्वकृत अशुभ कर्मों के फलस्वरूप चिड़चिड़ापन आ जाता है, अपने जीवन-साथी साझीदार व अधिकारियों के साथ अनबन या झगड़े होने लगता है, विद्यार्थियों का विद्याध्ययन में मन नहीं लगता या परीक्षा में परिश्रम के अनुकूल फल प्राप्त नहीं होता तो यह सब शनिदेव की प्रतिकूलता यानी निजपूर्वकृत अशुभ कर्मों के फल भोगने वाली स्थिति का लक्षण है।
यदि व्यक्ति उन्माद, वात, गठिया, क्षय व कैंसर आदि असाध्य व दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित हो जायें तो समझ लेना चाहिए कि जातक के अशुभ कर्मों के अनुसार उसकी जन्म-कुंडली में शनि प्रतिकूल फल प्राप्ति का संकेत कर रहे हैं।
अतः उन्हें श्रद्धा से शनिदेव को अनुकूल करने का उपाय करना चाहिए। यदि शनि प्रतिकूल फल प्राप्त होने का संकेत दे रहे हांे, उसकी महादशा या अन्तर्दशा हो तो उसमें राहत पाने के लिए आप मेरे द्वारा बताये जा रहे इन उपायों का अवलंबन ले अपने जीवन को बड़ी आसानी से सुख-शांति से परिपूर्ण बना सकते हैं।
याद रहे, शनिदेव के अनुकूल या प्रतिकूल होने का अर्थ यह है कि संबंधित जातक के पूर्वकृत कर्मों की वजह से उसे अनुकूलता या प्रतिकूलता का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सबसे पहले जातकों को अपने कर्मों में सुधार लाना चाहिए। उसके बिना किसी भी प्रकार के उपाय काम नहीं करते।
• पीपल के वृक्ष के नीचे सायंकाल (प्रदोष काल) में दीपक जलाकर सात परिक्रमा करें और सात लड्डू कुत्ते को खिलाएं। इससे शनि ग्रह अनुकूल फल प्रदान करता है।
• भैंसा या घोड़े को शनिवार के दिन काला देसी चना खिलाने से भी शनि ग्रह अनुकूल होता है।
• जड़ी-बूटियों द्वारा भी शनि को अनुकूल किया जा सकता है। किसी भी शनिवार को जब पुष्य नक्षत्रा हो तो बिछुवा बूटी की जड़ एवं शमी (छोकर) की जड़ को काले-धागे में बांधकर दाहिनी भुजा में धारण करने से शनि का दुष्प्रभाव कम होने लगता है।
• किसी नौका के पेंदे वाली कील स्वयं खोज कर लायें या कहीं आपको मिल जाये तो उसे शनिवार के दिन स्वयं लुहार से मध्यमा उंगली के नाप के बराबर अपने सामने अंगूठी बनवाकर घर ले आयें। उसे साफ जल से धोकर कच्चे दूध में डुबोकर श्रद्धा से दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर लें। इससे अविलम्ब लाभ मिलता है।
• साढ़ेसाती जनित कष्टों व बाधाओं के निवारण हेतु साढ़ेसाती पीड़ित व्यक्ति को शनिवार को व्रत रखना चाहिए। सूर्यास्त के बाद हनुमान जी का पूजन करके व्रत का पारण करना चाहिए। हनुमान जी के पूजन में सिंदूर, काले तिल का तेल, इसी का दीपक एवं लाल फूल मुख्य पूजा सामग्री हैं।
• शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में तेल भरकर उसमें 7 दाने देशी चने के डाल दें, 7 दानें जौ के, 7 दानें काली उड़द एवं उसमें सवा रुपया रखकर अपना मुँह देखकर डाकौत को दान कर दें या शनि मंदिर में रख दें। यह उपाय सुबह 11.00 बजे तक ही अधिक फलदायी होता है।
• शनि की साढ़ेसाती के प्रतिकूल प्रभावों के शमन के लिए प्रत्येक शनिवार को जल में सौंफ, खिरेंटी, लोध, खस, लोहबान, सुरमा, धमनी, काला तिल, गोंद, शतकुसुम एवं खिल्ला डालकर स्नान करें। इससे शनि के प्रतिकूल प्रभाव शीघ्र ही शान्त हो जाते हैं।
• शुक्रवार की रात में सवा किलो देसी चना 3 जगह भिंगोयें, मात्रा सबकी एक समान हो। शनिवार की सुबह उन्हें सरसों के तेल में छौंककर मन ही मन श्रद्धा से शनिदेव को भोग लगाकर पहला सवा किलो चना घोड़े या भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ठ रोगियों को बाँट दें, तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी वीराने स्थान में जहाँ चार रास्ते मिलते हों, उसके बीच में रखकर आ जाएं, शनि को अनुकूल करने का यह सबसे उत्तम उपाय है।
• शनिवार को बड़ एवं पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पहले कड़वे तेल का दीपक जलाकर उसकी दूध, धूप-दीप आदि से पूजा करना लाभप्रद रहता है।
• गौ माता की सेवा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। गाय के सिर पर रोली लगाकर उसकी सींगों में मौली बांधकर धूप-आरती दिखाते हुए उसकी पूजा करनी चाहिए। अंत में परिक्रमा करके गाय को बूंदी के 4 लड्डू खिला देने से बाधाएं दूर होती हैं।
• शनिवार को बंदरों और कुत्तों को लड्डू खिलाने से भी लाभ होता है।
• किसी शनिवार से प्रारंभ करके 21 दिनों तकं ‘ॐप्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।’ मंत्रा का 23,000 जप करें।
• नीलम शनि का रत्न है। अरिष्ट होने पर इसे धारण करना उत्तम होता है।
• शनि रत्न नीलम को अत्यधिक प्रभावी बनाने के लिए कटोरी में सरसों के तेल का दीप प्रज्वलित कर उसमें नीलम डाल दें। पास ही जल पूरति पात्रा रख लें। ज्योति के सम्मुख बैठकर शनि के बीज मंत्रा का 10 लाख जाप करें एवं दशरथकृत शनि स्तोत्रा का पाठ करें। जप शनिवार को संपन्न करें। इसी दिन संध्या काल में नीलम धारण कर लें। ऐसा करने से नीलम रत्न का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है।
• नीलम रत्न का विकल्प है संगलीलिया, संगजमुनिया व विच्छोल की जड़। इन उपरत्नों एवं औषधिमूलों को धारण करने से पर्याप्त लाभ होता है।
• शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ लंबा काला धागा माला बनाकर पहनें, बहुत लाभ होगा।
• शुक्रवार को भिगोये देशी चने शनिवार को कच्चे कोयले, हल्दी व लोहे की पत्ती को एक साथ एक काले वस्त्रा में बांधकर पानी में मछलियों के मध्य डाल दें। हरेक शनिवार को एक वर्ष तक उक्त क्रिया करने से शनिजनित बाधाएं शांत हो जाती हैं। मछली खाने वाले व्यक्ति प्रयोग काल में मछली का सेवन न करें। इस प्रयोग को मोतीदान कहते हैं।
• नाव की सतह की कील से बना छल्ला पहनना भी साढ़ेसाती के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करता है।
• कुत्ते को प्रति शनिवार तेल चुपड़ी रोटी में मिष्ठान्न रखकर खिलाने से शनिदेव का प्रकोप शांत होता है।
• बिच्छू बूटी अथवा शमी की जड़ श्रवण नक्षत्रा युक्त शनिवार को प्राप्त कर काले रंग के धागे के साथ दायें हाथ में धारण करने से भी शनि जनित बाधाएं दूर होती हैं।
• शनिवार के दिन चोकर युक्त आटे की 2 रोटियां लेकर एक पर तेल चुपड़ दें, दूसरी पर घी। तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान्न रखकर गाय को खिला दें, फिर घी वाली रोटी खिला दें। तत्पश्चात् शनिदेव से सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
• प्रत्येक शनिवार को बंदरों को केला, मीठी खील, गुड़ एवं देशी चने खिलाने से भी शनि जनित प्रतिकूल प्रभावों का शमन होता है।
• शनिवार को पीपल के वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटते हुए शनि के किसी मंत्रा का जप करते रहने से शनि की साढ़ेसाती जनित विकार दूर होते हैं। सूत लपेटने के बाद पीपल का पूजन-दीपक जरूरी है। इस दिन एक समय बिना नमक का भोजन करना चाहिए।
• नित्य सूर्योदय के समय सूर्यदर्शन करते हुए 7 बार अथवा 21 बार ‘सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः। मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनिः।। मंत्रा का जाप करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे और सभी बाधाएं दूर कर देते हैं।
• शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पत्नी के नामों का नित्य पाठ करने का विधान है। यह पाठ करने से जातक को शुभ फल प्राप्त होता है।
• ॐ शं शनैश्चराय नमः ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनिदेव की पत्नी इन श्लोकों के नित्य पाठ से प्रसन्न होती हैं जिसके फलस्वरूप शनिदेव जातक के अनुकूल हो उसकी सभी बाधाएं दूर करते हैं।
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• श्री शनिदेव इंगित प्रतिकूलता शमन के उपाय
श्री शनिदेव इंगित प्रतिकूलता शमन के उपाय बताने से पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि श्री शनिदेव न तो किसी के अनुकूल होते हैं और न प्रतिकूल। वे तो कर्मफलदाता की भूमिका निभाते हैं और किसी का पक्षपात नहीं करते हैं। शनि अनुकूलन के उपाय का तात्पर्य वैसे शास्त्रोक्त अनुष्ठानों व शुभ कर्मों से है जिससे पूर्वकृत कर्मों का प्रायश्चित हो जाता है।
• घर में नीले रंग के वस्त्रा, नीले रंग के पर्दे, नीले रंग की चादरें रखें व दीवारों पर भी नीले रंग का प्रयोग करें।
• लगातार 27 शनिवारों को 7 बादाम और 7 उड़द के दाने किसी धर्म स्थान पर रख के आ जायें।
• मांस-मदिरा से दूर रहें।
• शनिवार के दिन यदि किसी की मौत हो जाये तो लकड़ी का दान करें।
• किसी भी शनिवार को शुरू करके 43 दिनों तक सूर्योदय के समय शनि पर तेल चढ़ाएं।
• मकान के अंधेरी कोठरी में दक्षिण या पश्चिम के कोने में 12 बादाम कपड़े में बांध कर रखें।
• पीपल के वृक्ष को गुरुवार या शनिवार को जल दें।
• चांदी का चौकोर टुकड़ा सदा अपने पास रखें।
• स्नान करते समय पानी में कच्चा दूध डाल कर लकड़ी के पट्टे पर बैठकर नहायें।
• यदि चन्द्रमा ठीक न हो तो 500 उड़द में सरसों का तेल लगाकर पानी में प्रवाहित करें।
• चन्द्रमा प्रतिकूल हो तो 500 ग्राम दूध सोमवार के दिन बहते पानी में प्रवाहित करें और शनिवार के दिन उड़द प्रवाहित करें।
• साधु-महात्माओं को पीले वस्त्रा का दान दें।
• घर की छत पर घास व लकड़ियां आदि न रखें।
• घर के आखिरी हिस्से में अंधेरी कोठरी बनायें।
• शनिवार का व्रत रखें और तेल से शनि का अभिषेक करें।
• किसी गरीब लड़की के विवाह में जलावन के लिए कोयले या ईंधन खरीदकर दें।
• झूठ न बोलें। शराब व मांसाहार से दूर रहें।
• रोटी के टुकड़ों पर सरसों का तेल चुपड़कर कौओं या कुत्ते को खिलायें।
• शनिवार के दिन पत्थर के कोयले लंगर पकाने के लिए किसी धार्मिक स्थान में दान दें।
• लगातार सात शनिवारों को मदार की जड़ में लोहे की सात कीलें चढ़ायें।
• गौ माता की सेवा करें।
• पहला घर खाली हो तो शहद से भरा मिट्टी का बर्तन घर में रखें।
• जब भी घर से कार्य के लिए बाहर निकले तो पानी से भरा घड़ा अपने सामने जरूर रखें।
• केसर का तिलक नियमित करें।
• परस्त्राी गमन बरबादी का कारण होता है, अतः इससे दूर रहें।
• लोहे की वस्तुएं यानी तवा, चिमटा, अंगीठी आदि का दान किसी संत या सज्जन पुरुष को करें।
• यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो लगातार 43 दिनों तक कौओं या कुत्तों के लिए रोटी डालें।
• शनिवार के दिन उड़द के आटे में तिल का तेल मिलाकर लड्डू बनाएं और उन्हें वीरानी भूमि में दबा दें जहां खेती नहीं होती हो।
• उड़द, बादाम व जटा वाले नारियल बहते पानी में प्रवाहित करें।
• लोहे के कटोरे में तिल का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर वह तेल किसी डाकोत को दे दें।
• लगातार सात शनिवारों को कुष्ठ रोगियों को भोजन दें।
• लोहे की बासुरी में खांड भरकर किसी वीरान स्थान में दबा दें।
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