हैदराबाद।
उम्र महज 14 साल और हो गए ग्रेजुएट। यह कमाल किया है हैदराबाद के अगस्त्य जायसवाल ने। वैसे अगस्त्य पहले भी कई कमाल कर चुके हैं, जिसके चलते उन्हें गूगल ब्वॉय भी कहा जाता है। मसलन उन्होंने 11 की उम्र में इंटरमीडियेट और महज 9 साल में हाईस्कूल कर लिया था।
अगर आप सोच रहे हैं कि बड़ा पढ़ाकू बच्चा है..किताबों में घुसा रहता होगा। तो आप गलत हैं। अगस्त्य टेबल टेनिस का नेशनल प्लेयर है। गाना गाने का शौकीन है, अच्छा गाता है। बेहतरीन प्यानो बजा लेता है। मोटीवेशनल स्पीकर भी है। अगस्त्य के कमालों की लिस्ट अभी खत्न नहीं हुई है। वह अपने दोनों हाथों को एक साथ इस्तेमाल कर महज 1.72 सेकेंड में A से Z तक पूरी अंग्रेजी वर्णमाला टाइप कर सकती है। मजे की बात यह है कि अगस्त्य महज दो साल की उम्र से ऐसे कमाल कर रहा है। इतनी सी उम्र में वह सामान्य ज्ञान के 300 प्रश्नों का फटाफट उत्तर दे देता था।
हैदराबाद की उस्मानिया यूनीवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म से ग्रेजुएशन करने के बाद अगस्त्य जायसवाल अब डाक्टर बनना चाहता है। आप यदि सोच रहे हैं कि कहां जर्नलिज्म और कहां डाक्टरी। तो जनाब…अगस्त्य साबित कर चुका है कि उनके लिए असंभव कुछ भी नहीं है। हालांकि मेडिकल एंट्रेंस देने के लिए अगस्त्य को तीन साल और इंतजार करना होगा। अब देखना यह है कि 17 साल का होने तक गूगल ब्वॉय और क्या-क्या कमाल करता है।
अगस्त्य अपने परिवार के एकमात्र जीनियस नहीं है। उसकी बड़ी बहन नैना जायसवाल भी इस तरह की कई कामयाबियां हासिल कर चुकी हैं। नैना महज 15 वर्ष की आयु में पोस्ट ग्रेजुएट कर चुकी हैं। अभी 20 वर्ष की हैं और ‘रोल ऑफ माइक्रोफाइनेंस इन वुमन एम्पॉवरमेंट (महिला सशक्तीकरण में सूक्ष्म ऋणों की भूमिका)’ विषय पर पीएचडी कर रही हैं। यही नहीं, खेलों की बात करें तो वह टेबल टेनिस की अंडर-21 श्रेणी में छठी रैंक प्राप्त नेशनल खिलाड़ी हैं। वह नेशनल चैंपियन होने के अळावा साउथ एशिया टूर्नामेंट भी जीत चुकी है। और, वर्तमान में वह ओलंपिक 2024 खेलने का अपना सपना पूरा करने के लिए हाड़-तोड़ मेहनत कर रही है। यही नहीं, नैना पियानो बहुत अच्छा बजा लेती हैं। इसके अलावा उन्होने महज 7 वर्ष की अवस्था मे रामायण की सीडी रिकार्ड कराई थी। सबसे खास बात यह है कि वह दोनों हाथो से लिख लेती हैं। भाई की तरह वह भी अंग्रेजी के ए से लेकर जेड तक की वर्णमाला कंप्यूटर पर महज 2 सेकेंड में टाइप कर सकती हैं।
हैदराबाद के श्री अश्वनी कुमार और श्रीमती भाग्यलक्ष्मी को अपने दोनों बच्चों पर गर्व है। पिता श्री अश्वनी कुमार का कहना है कि ‘प्रत्येक बच्चे में विशेष गुण होते हैं इसलिए यदि माता-पिता अपने बच्चों के प्रति व्यक्तिगत ध्यान दें, तो हर बच्चा अपने क्षेत्र में इतिहास रच सकता है।’ वह कहते हैं, हम अभिभावक अक्सर अपने बच्चों को उनकी कम आयु के कारण कम आंक जाते हैं, जबकि वे हमारी कल्पना से कहीं अधिक प्रतिभाशाली होते हैं। मेरे दोनों बच्चे बहुत इंटेलीजेंट हैं और चीजों को समझने की उनकी क्षमता असाधारण है। अश्विनी कुमार ने कहा, ‘हमने बच्चों को खेल-खेल वाले वातावरण के तहत प्रशिक्षित किया और हमने हमेशा उन्हें विषय समझने और अपनी भाषा के साथ पुन: पेश करने के लिए कहा। वे हमसे कई सवाल पूछते थे और हम उसका जवाब प्रैक्टिकल तरीके से देते थे। हमने उन्हें लिखावट और स्मृति अभ्यास का भी प्रशिक्षण दिया।’ वह जोर देकर कहते हैं उन्होने कभी अपने बच्चों को स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करने दिया जिसकी बच्चे दोनों बच्चे अपनी पढ़ाई पर फोकस कर पाए।
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