November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

ढाई साल से रखी है बेटे की लाश, पिता रवींद्र जायसवाल लड़ रहे न्याय की जंग

मुंबई।
महानगर मुंबई को लोग भले ही सपनों की नगरी कहते हों, लेकिन रवींद्र जायसवाल इस शहर में एक ऐसे दुःख के साथ जी रहे हैं जो हर सुनने वालों के रौंगटे खड़े कर दे। रवींद्र जायसवाल के 17 साल के बेटे सचिन का शव पिछले ढाई साल से अंतिम संस्कार के इंतजार में इसी शहर के एक अस्पताल में रखा है। उनका कहना है कि मुंबई पुलिस की बर्बरता ने उनके बेटे की जान ली है और जब तक गुनहगारों को सजा नहीं मिलती, तब तक वह उसका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। ढाई साल से न्याय के दरवाजे खटखटा चुके जायसवाल परिवार को अब एक वकील का साथ मिला है जिसने परिवार से किसी प्रकार की कोई फीस न लेते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 
वो 21 जुलाई 2018 की तारीख थी जब अस्पताल में सचिन जायसवाल ने अंतिम सांस ली थी, और आज जनवरी 2021 चल रही है, उसका शव आज भी मुंबई के जेजे अस्पताल में रखा है। मामला यूं है कि 13 जुलाई 2018 को धारावी पुलिस अचानक रवींद्र जायसवाल के घर पहुंची और एक मोबाइल चोरी के एक केस में सचिन से पूछताछ करनी चाही। सचिन उस वक्त बांद्रा में अपने एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में था। रवींद्र ने तत्काल कॉल कर सचिन को घऱ बुलाया। सचिन पार्टी बीच में छोड़कर पहुंचा तो पुलिस ने बताया कि क्षेत्र के एक लड़के ने उसके साथ मारपीट कर उसका मोबाइल छीन लेने की शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बारे में उससे पूछताछ करनी है। रवींद्र जायसवाल के मुताबिक, सचिन ने खूब कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता। लेकिन, पुलिस पूछताछ के लिए जबरन उसे धारावी थाने ले गई और फिर उसके साथ मारपीट की। 
पिता रवींद्र का कहना है कि, जिस लड़के का मोबाइल छीने जाने का मामला था, उसने भी पुलिस के सामने माना था कि सचिन मौका-ए-वारदात पर नहीं था, लिहाजा उसका मामले से संबंध नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद पुलिस ने सचिन की इस कदर पिटाई कि उसकी तबियत खराब हो गई, खून की उल्टियां होने लगीं। इस पर मुंबई के सायन अस्पताल में सचिन को भर्ती कराया गया जहां 21 जुलाई को उसकी मौत हो गई।
रवींद्र जायसवाल का दावा है कि सचिन की मौत के बाद उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की बहुत कोशिश की, उनके समर्थन में कुछ लोग थाने का घेराव करने भी पहुंचे लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया बल्कि उल्टे उन्हीं के खिलाफ केस कर दिया। 
दूसरी तरफ, सायन अस्पताल ने साबित करने की कोशिश की कि सचिन की मौत निमोनिया की वजह से हुई है। जबकि, सचिन के शरीर पर चोटों के कई निशान थे। और जब, सचिन की हालत ज्यादा खराब होने लगी तो पुलिस और अस्पताल के स्टाफ ने सचिन से मिलने से उन्हें रोक दिया था।  सचिन की मौत के अंतिम दिन तक परिवारवालों को उससे मिलने नहीं दिया गया और मौत के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम के लिये सीधे जेजे अस्पताल भेज दिया गया।
इस घटना से टूट चुके जायसवाल परिवार ने तब निर्णय लिया था कि जब तक उनके बेटे की मौत के गुनहगारों को सजा नहीं मिलती है, तब तक न तो उसका शव लेंगे और ना ही अंतिम संस्कार करेंगे। परिवार की तमाम कोशिश के बाद भी पुलिस ने इस मामले में कोई मामला दर्ज नहीं किया। पीड़ित परिवार की शिकायत पर ह्यूमन राइट कमीशन ने मुंबई पुलिस से जवाब मांगा था, जिस पर क्राइम ब्रांच ने आयोग को बताया कि वह मामले की जांच कर रहे हैं। 
अब वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ चंद्रशेखर ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अदालत ने मुंबई पुलिस से इस मामले पर जवाब मांगा है, लेकिन मुंबई पुलिस की तरफ से अभी तक कोई भी जवाब नहीं दिया गया है। 
 

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