November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
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ताकि न बिछड़े किसी की ‘निकिता’…अतुल कुमार चौकसे ने पैदल तय किया 1551 किलोमीटर का मुश्किल रास्ता

बठिडा। 
समाज में व्याप्त रूढ़ियों और अंधविश्वासों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने और  युवाओं को अवसाद  से बचाने के उद्देश्य से अनोखे अभियान पर निकले अतुल कुमार चौकसे बेहद मुश्किल रस्ते तय कर मंजिल पर पहुंच गए हैं। बीती 31 दिसंबर को गुजरात के कच्छ की खाड़ी से शुरू हुई उनकी 1551 किलोमीटर की पैदल यात्रा बीते रोज पंजाब के बठिंडा पर समाप्त हुई, जहां स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। 

बता दें कि अतुल कुमार चौकसे की पत्नी निकिता मांगलिक होने के अंधविश्वास पर भरोसा कर अनहोनी की आशंका से डिप्रेशन में आ गईं थीं, और बीते वर्ष 13 जून को उन्होंने खुदकुशी कर ली। इस घटना से आहत अतुल कुमार चौकसे ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, रूढ़ियों के खिलाफ और युवाओं को अवसाद से बचाने के लिए अभियान छेड़ रखा है। उन्होंने अतुलनीय फाउंडेशन नाम से एक संस्था भी बनाई है जो रूढ़ियों और अंधविश्वासों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही है। युवाओं को डिप्रेशन से उबारने के साथ ही टेली-काउंसलिंग से उन लोगों मदद व मार्गदर्शन कर रही है जिनके दिमाग में आत्महत्या के विचार आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक हेल्पलाइन 7276022300 शुरू की है।

शिवहरेवाणी से अपनी यात्रा के अनुभव साझा करते हुए अतुल कुमार चौकसे ने बताया कि उनका सफर बहुत मुश्किल रहा, खासकर रेगिस्तान के कंटीले, रेतीले और कभी दलदली इलाकों को पार करने के दौरान इस बाद उनके पांव में बड़े-बड़े घाव हुए, तीन बार इन घावों की वजह से पांव की खाल तक बदल गई, लेकिन मुश्किलें उन्हें डिगा नहीं पाईं। उन्होंने बताया कि यह यात्रा सेटेलाइट मैप के आधार पर 1200 किलोमीटर की निर्धारित थी जिसे 26 जनवरी को पूरा करना था। लेकिन, वास्तविक बाधाओं के चलते सफर लंबा खिंचता गया और 1551 किलोमीटर हो गया, यात्रा भी 26 जनवरी के बजाय 21 फरवरी तक खिंच गई। 
पेशे से कंप्यूटर टीचर चौकसे ने यात्रा के दौरान मिले युवाओं को सकारात्मक सोच रखने, परिस्थितियों का डटकर सामना करने, तनावमुक्त जीवन जीने व नशा न करने का संदेश दिया गया। चौकसे ने बताया कि इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है। अपनी सोच को हमेशा सकरात्मक रखना चाहिए। आज के समय में तनावपूर्ण जिदगी में अपने आपको फिट रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले अपनी सोच को सही रखना बहुत जरूरी है। इसके बाद ही हम कुछ कर सकते हैं।

अपनी यात्रा के दौरान अतुल कुमार चौकसे ने राजस्थान के अंदरूनी इलाकों में वहां के लोगों की लाइफस्टाइल, संस्कृति, मानसिकता, सामाजिक कुरीतियों पर आधारित के कई वीडियो शूट किए हैं जिन्हें डॉक्युमेंट्री के रूप में क्रमबद्ध तरीके से जारी करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि 20-25 दिन में पहली डॉक्युमेंट्री रिलीज कर देंगे। फिलहाल वह नागपुर लौटने की तैयारी में हैं। 23 फरवरी की शाम ट्रेन से इटारसी के लिए रवाना होंगे और वहां से 25 फरवरी की सुबह नौ बजे नागपुर पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि पूरे 53 दिन तक मुश्किल रास्तों पर पैदल चलने के कारण फिलहाल काफी थकान महसूस कर रहे हैं, बॉडी क्लॉक को फिर से सेट होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। 

चौकसे करीब 71 राष्ट्रीय व 35 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। अतुल अफ्रीका, के सहारा रेगिस्तान में विश्व की सबसे कठिन अल्ट्रा मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं। इसके अलावा हिमालय, लद्दाख में दौड़ने का अनुभव है। अपनी इस थार डेजर्ट यात्रा को उन्होंने विश्व रिकार्ड, एशिया बुक आफ रिकार्ड, इंडिया बुक आफ रिकार्ड, लिम्का बुक आफ रिकार्ड के लिए पंजीकृत किया है। अपना नाम रिकार्ड बुक्स में दर्ज कराने के लिए वह नागपुर पहुंचकर वह इस यात्रा की डिटेल्स इन संस्थाओं को भेजेंगे। 
 

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