झांसी।
महान गांधीवादी एक्टिविस्ट डा. एस.एन सुब्बाराव के बेहद करीबी सोशल एक्टिविस्ट कमलेश राय नहीं रहे। कोरोना से संक्रमित कमलेश राय ने आज ग्वालियर के एक अस्पताल में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। मूल रूप से बबीना के निवासी कमलेश राय काफी समय से झांसी के बिजौली में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए काम कर रहे थे। इन दिनों खाटू-श्यामजी के भजन गायक के रूप में भी प्रतिष्ठित हो चले थे। वह अपने पीछे एमईएस से रिटायर पिता श्री किशनलाल राय, माताजी श्रीमती मालती राय, पत्नी श्रीमती सगुन राय और सात वर्षीय पुत्री अग्रिमा राय को बिलखता छोड़ गए हैं। कमलेश राय के बेहद करीबी रहे झांसी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी श्री निहाल चंद्र शिवहरे ने शिवहरेवाणी के लिए लिखे निम्न आलेख के माध्यम से उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत की हैः-
जिसे रोशन करना था सारे जहाँ को ।
वह सितारा समय से पहले ही खो गया ।।मैं नि:शब्द हूँ ,शब्द धुंधले हो गये हैं, नयनों से बहते हूए नीर में शब्द जैसे तैर रहें हों…। दूर कहीं नेपथ्य से…
‘जय जगत पुकारे जा ,सिर अमन पर वारे जा , सबके हित के वास्ते अपना सुख बिसारे जा…’ गीत की पंक्तियां राष्ट्रीय युवा योजना, झाँसी के कर्णधार, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गांधीवादी डा. एस.एन.सुब्बाराव जी के नवरत्नों में से एक कमलेश राय की कर्णप्रिय आवाज में गूँज रही है जिसे कोरोना के क्रूर हाथों ने असमय हमसे छिन लिया है। मेरे लिए यह अपूरणीय क्षति है जिसका दंश हमेशा ही जब जब कमलेश की चर्चा होगी मुझे पीढ़ा देता रहेगा।
कमलेश का स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए सोचना, आदिवासी बस्ती में शिक्षा के लिए सुब्बाराव जी के नाम से पाठशाला निर्माण करवाना, कोरोनाकाल में “भूखे को भोजन और पानी” के नारे के साथ निरंतर एक वर्ष तक आदिवासी बस्ती में नाश्ते और भोजन की व्यवस्था करना.., राष्ट्रीय एकता के लिए भारतवर्ष के 22 राज्यों के युवाओं का झाँसी में एक सप्ताह का शिविर आयोजन करना, श्रीलंका और बंगलादेश की अन्तर्राष्ट्रीय यात्राएं करना…., नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों, सुनामी, बाढ़ औक सूखा जैसी आपदाओं के लिए सुब्बाराव जी आह्वान पर स्वैच्छिक सेवायें देने के लिए परिवार की चिंता न कर अपनी झाँसी की टीम के साथ तत्काल रवाना होना, इन सबका मैं साक्षी रहा हूँ ।
मैंने कमलेश में नेतृत्व के सभी गुणों को नजदीक से देखा है। सभी को साथ लेकर चलना, आपस में भाईचारा रखना, सभी को सम्मान देना । मन में जो निश्चय कर लिया उसमें तन, मन, धन से योगदान देकर अंतिम आयाम तक उपलब्धि प्राप्त रखने का जुनून रखना।
वंचितों और जरूरतमंदों की सेवा करते हुए इन दिनों ईश्वर के प्रति अनन्य भक्तिभाव उनमें जागृत हो गया था। हाल ही में झाँसी से खाटू श्याम दरबार (राजस्थान) तक लगभग 1200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कमलेश ने आयोजित की जो उनके प्रबंधन कौशल का अप्रतिम उदाहरण है। हैदराबाद सहित देश के विभिन्न शहरों में खाटू श्याम के रात्रि जागरणों में उन्हें बुलाया जाने लगा था। भजन गायन की अपनी विशिष्ट शैली के चलते उनकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही थी।
कमलेश के मन में समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए अनेकों योजनायें थीं जिनपर मुझसे चर्चा होती रहती थी। आज हमारे मध्य कमलेश सशरीर भले ही न हों, लेकिन उनके द्वारा किये गये कार्य हमें उन्हें विस्मृत नहीं करने देंगे। कमलेश राय अपने पीछे पत्नी श्रीमती सगुन राय एवं सात वर्षीय पुत्री अग्रिमा को बिलखता छोड़ गए हैं। हमारा कर्तव्य बनता है हम उनका उसी तरह ध्यान रखे जिस प्रकार कमलेश राय ने अपने जीवन काल मे वंचितों और जरूरतमंदों का ध्यान रखा और समाजिक सेवा के माध्यम से एक आदर्श प्रस्तुत किया है। ई्शवर से यही प्रार्थना है कि कमलेश को अपने श्रीचरणों में स्थान दे एवं शोकसंतृप्त परिवार को धैर्य धारण करने की शक्ति भी दे ।
ऊँ शान्ति ऊँ शान्ति ऊँ शान्ति
-निहाल चंद्र शिवहरे, झांसी
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