नई दिल्ली।
दिल्ली के युवा आर्थोपेडिक चिकित्सक डा. शिव चौकसे मेडिकल साइंस की एक ‘रिकार्ड’ उपलब्धि का हिस्सा बने हैं। आर्थोस्कोपी एवं स्पोर्ट्स इंजुरी स्पेशलिस्ट डा. शिव चौकसे और उनकी टीम ने राष्ट्रीय राजधानी के प्रसिद्ध बीएलके मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में बीते दिनों पांच साल के एक बच्चे रोनित की लिगामेंट सर्जरी की, जिसके बाद यह बच्चा अब अपने पैरों पर चल-फिर पा रहा है। पूरी दुनिया में इससे कम आयु के बच्चे की लिगामेंट सर्जरी का कोई केस अब तक रिपोर्ट नहीं हुआ है। इससे पहले आठ साल के बच्चे की लिगामेंट सर्जरी के केस रिपोर्ट किया गया था।
मूलतः सागर (मध्य प्रदेश) निवासी डा. शैलेंद्र चौकसे (पीएचडी मैनेजमेंट) जो कि जेके लक्ष्मी सीमेंट कंपनी के होलटाइमर डायरेक्टर हैं और सीमेंट इंडस्ट्री की ‘फादरली फिगर’ भी कहे जाते हैं, के होनहार पुत्र डा. शिव चौकसे ने शिवहरे वाणी को बताया कि रोनित की सर्जरी दूरबीन द्वारा की गई जिसमें सिर्फ दो छेद बनाकर हड्डियों में एक टनल बनाकर नए लिगामेंट को बनाया गया। जोड़ों की दूरबीन विधि से सर्जरी में माहिर माने जाने वाले डा. शिव चौकसे ने बताया कि यह बहुत जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें जरा भी चूक की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इसीलिए कम आयु के बच्चों में यह सर्जरी और मुश्किल हो जाती है।
दरअसल रोनित को घर में खेलने के दौरान चोट लगने से लिंगामेंट फ्रैक्चर हो गया था। शुरुआती जांच में तो उसे कोई गंभीर चोट प्रतीत नहीं हो रही थी लेकिन उसका दर्द बढ़ता जा रहा था और यहां तक कि वह घुटना भी मोड़ नहीं पा रहा था। ऐसे में सर्जरी जरूरी हो गई। लेकिन, रोनित की उम्र काफी कम होने के चलते यह एक चुनौतीपूर्ण मिशन था। डाक्टरों ने चुनौती स्वीकार की, और उसके परिजनों को भी किसी तरह राजी कर लिया।
डा. चौकसे ने शिवहरेवाणी को बताया कि इस मामले में असली चुनौती यह थी कि सर्जरी इस तरह करनी थी कि बच्चे की ग्रोथ प्लेट को किसी प्रकार का नुकसान न हो, जिससे कि आगे आने वाले समय में बच्चे की ग्रोथ में कोई कमी न आए। उन्होंने बताया कि 3 महीने पहले रोनित की सर्जरी की गई जिसके अब पॉजिटिव रिजल्ट सामने आ रहे हैं। रोनित अब अपने पैरों से चल फिर पा रहा है और आने वाले कुछ महीनों में दूसरे बच्चों की तरह खेलने-कूदने की स्थिति में आ जाएगा। उन्होंने बताया कि लिंगामेंट फ्रैक्चर अक्सर खिलाड़ियों में होता है और ज्यादातर 20 से 38 साल की उम्र के खिलाड़ियों में देखा जाता है।
डा. चौकसे ने बताया कि दूरबीन विधि सर्जरी के कई फायदें हैं। जैसे इसमें चीरा नहीं लगाना पड़ता है जिससे मरीज का ब्लड लॉस नहीं होता है। खास बात यह है कि दूरबीन विधि से सर्जरी के बाद मरीज उसी दिन चल-फिर सकता है और उसकी रिकवरी भी तीव्र होती है, वह कम समय में ही अपनी सामान्य जीवनचर्या में आ सकता है।
गुजरात के एसबीकेएस मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने के बाद डा. शिव चौकसे ने आर्थोपेडिक से एमएस और एमसीएच की डिग्रियां हासिल कीं और बीते 13 वर्षों के मेडिकल प्रोफेशन में कई जटिल और मुश्किल सर्जरी को कामयाबी से अंजाम दिया है। डा. शिव चौकसे घुटने, कंधे, कोहनी, घुटने और टखने समेत हर जोड़ की दूरबीन विधि से सर्जरी के मामले में देश के अग्रणी चिकित्सकों में शुमार है। वर्तमान में वह बीएलके मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट हैं। इससे पहले वह सफदरजंग अस्पताल के मशहूर स्पोर्ट्स इंजरी सेटर में असिस्टेट प्रोफेसर रह चुके हैं। वह सर गंगाराम अस्पताल और लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें इंडो जर्मन आर्थोपेडिक फाउंडेशन की उर से मोहनदास-वेल्लर गोल्ड मैडल से नवाजा जा चुका है। खास बात यह है कि स्पोर्टस इंजरी स्पेशलिस्ट डा. शिव चौकसे खुद भी एक अच्छे स्पोर्ट्समैन हैं और राजधानी के जाने-माने मैराथन रनर हैं। वह स्टैंडर्ड चार्डर्ड मुंबई हाफ मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं जिसमें उन्होंने 21 किलोमीटर की दूरी 1 घंटे 49 मिनट मे पूरी की थी। वह जेके लक्ष्मी देहली हाफ मैराथन में भी हर साल भागीदारी करते हैं।
डा. शिव चौकसे की धर्मपत्नी डा. श्रीमती जूही चौकसे एमबीबीएस, एमडी (पीडियाट्रिक्स) बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं और वर्तमान में मधुरकर रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में कंसल्टेंट हैं। ग्वालियर के वात्सल्य हॉस्पिटल के चिकित्सक दंपति डा. श्रीकांत गुप्ता एवं डा. श्रीमती रश्मि गुप्ता की पुत्री डा. जूही चौकसे ने कोविड पीडियड में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम किया और कोविड से नवजात और अबोध बच्चों के बचाव के लिए महिलाओं को जागरूक करने का काम भी कर रही हैं। वह एक शानदार पेंटर और एथलीट भी हैं।
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