आगरा।
परिवर्तन समाज का नियम है, और परंपराओं के पैरोकारों को भी यह समझ लेना चाहिए कि परिवर्तन ही सबसे पुरानी परंपरा है। किसी भी परंपरा या पुरानी पहचान अथवा धरोहर को हम तभी संरक्षित कर सकते हैं जब उसमें वक्त-जरूरत के हिसाब से परिवर्तन होता रहे। आगरा मे शिवहरे समाज की सबसे सशक्त पहचान ‘दाऊजी मंदिर’ इस बार दाऊजी पूनो के पर्व पर नए आकर्षण में नजर आएगा।
फिलहाल मंदिर के मुख्य परिसर में तीव्र गति से काम चल रहा है। धौलपुर सैंडस्टोन से बना मंदिर का मुख्य गुंबद साफ-सुथरा होकर दमकने लगा है। मुख्य परिसर का फर्श बदलने का काम भी अंतिम चरण में है। कुल मिलाकर, 19 दिसंबर को दाऊजी की पूनो के पावन अवसर पर मंदिर की आभा श्रद्धालुओं को चकाचौंध कर सकती है। खास बात यह है कि मंदिर के आंगन का फव्वारे पर भी इस दिन सालों बाद पानी की फुहारें अटखेलियां करती नजर आएंगी।
दाऊजी मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे ने बताया कि मंदिर के मुख्य परिसर के जीर्णोद्धार में प्राचीनता को बरकरार रखने का पूरा प्रयास किया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर सहन-चबूतरे और मुख्य दरबार तक मंदिर के फर्श को संगमरमर के पत्थरों से आच्छादित करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। आंगन में थोड़ा-बहुत काम बाकी रह गया है। सहन-चबूतरे के प्रवेश द्वार, सीढ़ियों और पत्थर की जालीदार बालकनी को तथावत रखते हुए उसे चमकाया जा रहा है। समिति के उपाध्यक्ष श्री नवनीत गुप्ता का कहना है कि इस जीर्णोद्धार कार्य में केवल उन्हीं जगहों पर काम कराया जा रहा है जहां इसकी बहुत जरूरत महसूस की जा रही थी। मंदिर की दीवारों पर नए सिरे से पेंट किया गया है। कल से पैनलिंग का काम भी शुरू हो जाने की संभावना है जो मुख्यतः रवि गुप्ता (ए टु जेड इंटीरियर प्रोडक्ट) की देखरेख में किया जाएगा।
फव्वारे के जीर्णोद्धार का कार्य स्व. श्री गोपीचंद शिवहरे की पौत्रवधु श्रीमती गीता शिवहरे द्वारा कराया जा रहा रहै। सफेद संगमरमर के इस फव्वारे की पुनर्स्थापना एवं मरम्मत का कार्य कुशल कारीगरों द्वारा किया गया है, वहीं वाटर इनफ्लो-आउटफ्लो तथा लाइटिंग के कार्य में मैकेनिकल कांट्रेक्टर श्री अविरल गुप्ता की सहायता ली जा रही है। मंदिर की बाहरी दीवारें भी केसरिया रंग में पेंट कराई गई हैं, वहीं सीमेंट के दोनों छोटे गुंबद भी नए पेंट से चमक रहे हैं। मंदिर का मुख्य गुंबद जो धौलपुर सेंडस्टोन का बना है, उसकी साफ-सफाई कराई गई है, जिसके बाद उसपर कलात्मक पच्चीकारी काफी समय बाद उभरकर सामने आई है।
मंदिर प्रबंध समिति के महासचिव श्री आशीष शिवहरे (जिज्ञासा पैलेस) ने बताया कि मुख्य मंदिर में एक साथ इतना कार्य शायद ही पहले कभी नहीं हुआ हो। नई पीढ़ी के लिए, और यहां तक कि हमारी पीढ़ी के लोगों के लिए भी यह बिल्कुल नया अनुभव होगा। कुल मिलाकर दाऊजी पूनो पर मंदिर परिसर नई रंगत में नजर आएगा। और, इस अवसर पर मंदिर की लाइटिंग और साउंड सिस्टम भी नया और आधुनिक होगा।
बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब मंदिर में दाऊजी पूनो के पर्व पर सुबह दाऊजी महाराज का दरबार परंपरागत भव्यता के साथ सुसज्जित होगा जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करेंगे। सभी दरबारों में देवी-देवताओं के लिए एक ही रंग, डिजायन और फैब्रिक की पोशाकें तैयार कराई जा रही हैं, जिसकी जिम्मेदारी उपाध्यक्ष श्री नवनीत गुप्ता को सौंपी गई है। दाऊजी पूनो की शाम को भजन संध्या और रात को भोजन-प्रसादी का आयोजन किया गया है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि समाजबंधु दिन और रात, दोनों ही पहरों में मंदिर में हुए कार्यों के हर पहलू को अच्छी तरह देख-परख सकें। फिलहाल मंदिर कार्यकारिणी के सभी प्रमुख पदाधिकारी दाऊजी पूनो के पर्व की तैयारी में जुटे हैं। उन्हें उम्मीद ही नहीं, भरोसा भी है कि मंदिर जीर्णोद्धार के कार्य को समाजबंधुओं द्वारा सराहा जाएगा।
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