November 25, 2024
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समाचार

महान फिल्मी गीतकार श्यामलाल राय ‘इंदीवर’ को झांसी के कलवार समाज ने दी श्रद्धांजलि

झांसी।
300 से अधिक फिल्मों में 1000 से ज्यादा गीत लिखने वाले महान गीतकार इंदीवर आज भी बॉलीवुड में झांसी की सबसे सशक्त पहचान हैं। 27 फरवरी को क्षत्रिय कलचुरी कलवार महासंघ झांसी और युवा शक्ति संगठन के संयुक्त तत्वालधान में इंदीवर की 25वीं पुण्यतिथि मनाई गई। 

क्षत्रिय कलचुरी कलवार महासंघ झांसी और युवा शक्ति संगठन के संयुक्त तत्वावधान में श्री अजीत राय के निवास पर इंदीवर को समर्पित ‘कवि गोष्ठी’ आयोजित की गई। कार्यक्रम की मुख्यअतिथि प्रमुख समाजसेविका श्रीमती शिवकुमारी राय औऱ अध्यक्ष श्री अजीत राय ने सर्वप्रथम इंदीवर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। क्षत्रिय कलचुरी कलवार महासंघ झांसी के अध्यक्ष श्री अजीत राय के बारे में बता दें कि वह इंदीवर के भतीजे हैं। 

नाज है इंदीवर पर; संक्षिप्त जीवन-वृत्त
इंदीवर का पूरा नाम श्यामलाल बाबू राय था, उनका जन्म झांसी के गांव धमना के एक कलचुरि परिवार में 15 अगस्त, 1921 में हुआ था। उनके पिता हरदयाल महाजन एक आबकारी ठेकेदार थे। इंदीवर ने इलाहाबाद से एम.ए. किया। साहित्य में शुरू से सुझान रहा और शिक्षाकाल मे कई अच्छी काव्य रचनाएं कर डालीं। ‘आजाद’ के उपनाम से कविताएं लिखते थे। उन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग लिया, 1942 मे अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक कवि सम्मेलन उन्होंने अपना इंकलाबी गीत ‘ओ किरायेदारों, कर दो मकान खाली’ पढ़ा जिसके लिए ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें एक वर्ष के लिए जेल में बंद कर दिया था। इंदीवर की चाह थी कि वह फिल्मों के लिए गीत लिखें। वह मुंबई गए, लंबा संघर्ष किया, लेकिन सफलता मिली 1951 में जब वह महान गायक मुकेश के संपर्क मे आए। उन्हें फिल्म मल्हार के लिए गीत लिखने का मौका मिला। फिल्म के छह गीत उन्होंने लिखे और इस फिल्म के साथ ही वह श्यामलाल बाबू राय से बन गए इंदीवर। इंदीवर ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक लोकप्रिय गीत हिंदी सिनेमा को दिए। 1976 में उन्हें फिल्म अमानुष के गीत ‘दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा’ के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया था।

कवयित्री सुश्री प्रगति शर्मा बया ने इंदीवर को गीतांजलि अर्पित करते हुए कहा, “जीवन उनका था महान अखिल विश्व की बने पहचान, सत् सुंदर साहित्य सर्जन कर वे कर गए जन कल्याण”। वक्ताओं ने इंदीवर के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में रवीश त्रिपाठी जी ने भी अपने श्रद्धा सुमन समर्पित किए, श्रद्धांजलि सभा में हरीश राय, शालिग्राम राय, बालकवी निष्कर्ष शर्मा चिट्टू, दिनेश राय, रामेश्वर राय, आनंद राय, संजीव शर्मा, कपिल राय, कर्फ्यू राय उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन दीपशिखा शर्मा व आभार इंदीवर जी के नाती अंकित राय ने व्यक्त किया
 

इंदीवर के अमर गीत
‘चंदन सा बदन चंचल चितवन’’, ‘‘फूल तुम्हें भेजा है ख़त में’’, ‘‘कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे’’, ‘‘चांद को क्या मालूम चाहता है’’, ‘‘ओह रे ताल मिले नदी के जल में’’, ‘‘नदिया चले, चले रे धारा’’, ‘‘है प्रीत जहाँ की रीत सदा’’, ‘‘जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे’’, ‘‘दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है’’, ‘‘होठों से छू लो तुम’’ 
‘‘नफरत करने वालों के सीने में’’, ‘‘पल भर के लिये कोई हमें’’ (फिल्म-जॉनी मेरा नाम), 
‘‘ये मेरा दिल प्यार का दीवाना’’ (फिल्म-डॉन), 
‘‘नीले नीले अंबर पर चांद जब’’ (फिल्म-कलाकार) 
‘‘कस्मे-वादे, प्यार-वफा’ (फिल्म-उपकार), 
‘‘दुल्हन चली पहन चली’’, ‘‘कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे’’ (फिल्म-पूरब और पश्चिम) 
‘‘आया न हमको प्यार जताना’’ (फिल्म-पहचान), 
‘‘तेरे चेहरे में वो जादू है’’ (फिल्म-धर्मात्मा), 
‘‘क्या देखते हो सूरत तुम्हारी’’(फिल्म-कुर्बानी), 
‘‘तेरा साथ है कितना प्यारा कम’’ (फिल्म-जांबाज) 
‘‘वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते’’ (फिल्म-दिल ने पुकारा), 
‘‘कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे’’ (फिल्म-पूरब और पश्चिम), 
‘‘हम छोड़ चले हैं महफ़िल को’’ (फिल्म-जी चाहता है), 
‘‘जिस दिल में बसा था प्यार तेरा’’ (फिल्म-सहेली), 
‘‘हमने तुमको प्यार किया है कितना’’ (फिल्म-दुल्हा दुल्हन), 
‘‘दरपन को देखा तून जब-जब किया’’ (फिल्म-उपासना), 
‘‘जो प्यार तूने मुझको दिया था’’ (फिल्म-दुल्हा दुल्हन) 
‘‘छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए’’ (फिल्म-सरस्वतीचंद्र), 
‘‘एक तू जो मिला सारी दुनिया मिली’’(फिल्म-हिमालय की गोद में)
‘‘बाबुल प्यारे…’’(फिल्म-जॉनी मेरा नाम), 
‘‘गंगा मइया में जब तक कि पानी रहे’’(फिल्म-सुहागरात), 
‘‘हम थे जिनके सहारे वो’’ (फिल्म-सफर), 
‘‘जिस पथ पे चला, उस पथ’’ (फिल्म-यादगार), 
‘‘शाम हुई चढ़ आई रे बदरिया’’ (फिल्म-आखिर क्यों), 
‘‘साजन मेरा उस पार है’’(फिल्म-गंगा जमुना सरस्वती)।
‘‘मल दे गुलाल मोहे आई होली आई रे’’ (फिल्म-कामचोर), 
‘‘बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है’’ (फिल्म-रेशम की डोरी)
‘‘मैं तो भूल चली बाबुल का देस’’ (फिल्म-सरस्वतीचंद्र), 
‘‘महलों का राजा मिला कि रानी बेटी राज’’ (फिल्म-अनोखी रात), 
‘‘मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनियां’’ (फिल्म-सच्चा झूठा)
“एक तू ना मिला“ (फिल्म-हिमालय की गोद में, साल-1966) 
‘‘समझौता गमों से कर लो’’ (फिल्म-समझौता, साल-1974) 
‘‘बहना ने भाई की कलाई पर प्यार’’ (फिल्म-रेशम की डोरी, साल-1975)
‘‘दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा’’ (फिल्म-अमानुष, साल-1976)
‘‘प्यार का तोहफा तेरा’’ (फिल्म-तोहफा, साल-1985)

 

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