बाड़ी (धौलपुर)।
युद्धग्रस्त युक्रेन मे फंसी बाड़ी की बहादुर बेटी विदुषी शिवहरे ने खारकीव शहर छोड़ दिया है। स्थानीय लोगों से तमाम मिन्नतें करने के बाद उसके ग्रुप को बीती देर रात देर रात (1 मार्च, 2022) ट्रेन में एंट्री ही मिल गई , 18 घंटे का लंबा सफर तय करने के बाद कुछ ही घंटों में लिविव पहुंचने वाली है। वक्त तीन दिन की भूख-प्यास के बावजूद चेहरे पर उसकी हल्की सी मुस्कराहट ने बाड़ी में उसके माता-पिता को बड़ी राहत पहुंचाई है।
विडियो कॉल पर विदुषी ने मम्मी वंदना शिवहरे को बताया कि भूख से उसका बुरा हाल है। तीन दिन से कुछ नहीं खाया है। बाजार बंद है, कहीं कुछ खाने को नहीं मिल रहा है। शायद लिविव में कुछ मिल सके। उसने बताया कि लिविव से वे लोग पोलैंड जाएंगे, जो 75 किलोमीटर दूर है। विदुषी ने बताया कि खारकीव में उन्होंने लिविव तक का ट्रेन टिकट लिया था, इसके बाद ट्रेन में घुसने के लिए प्रत्येक बच्चे ने 50-50 डालर स्थानीय लोगों को दिए थे। अब बहुत थोड़े पैसे बचे हैं। लिविव से पोलैंड का सफर कैसे तय होगा, भगवान जाने…। कोई वाहन नहीं मिला तो पैदल ही चल देंगे। हमारा टारगेट पोलैडं पहुंचना है। फिलहाल लगता है हम खतरे की जद से निकल चुके हैं।
हालांकि जिस तरह की जानकारियां मिल रही हैं, उससे लगता है कि लिविव से निकलना भी इन बच्चों के लिए आसान नहीं होगा। दरअसल युक्रेनभर से बाहरी लोग पोलैंड जाने के लिए लिविव पहुंच रहे हैं। स्थिति यह है कि स्टोर्स में खाने-पीने का सामान खत्म हो चुका है। टैक्सियों की भारी मारा-मारी है, जिसके चलते हजारों लोग पैदल ही पोलैंड की सीमा की ओर जा रहे हैं। कड़ाके की सर्दी में उन्हें पूरी-पूरी रात पैदल चलना पड़ रहा है। बता दें कि पोलैंड ने भारतीय छात्रों को बिना किसी वीजा के प्रवेश की अनुमति दी है। विदुषी और उसके ग्रुप के बच्चे पोलैंड. हंगरी या रोमानिया से विमान से भारत लौटने का प्रयास करेंगे। थके-मांदे इन बच्चों ने बताया कि बीते एक हफ्ता वे लोग हालात से अकेले ही लड़े हैं, कहीं से कोई मदद नहीं मिली।
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खारकीव में बमबारी के बीच जान बचाने को फ्लैट से निकल पड़ी विदुषी शिवहरे; बुरे हालात में फंसा है 16 बच्चों का ग्रुप; कहीं से कोई मदद नहीं
बाड़ी।
युक्रेन के युद्धग्रस्त खारकीव शहर में फंसी बाड़ी की विदुषी शिवहरे बेहद घबराई हुई है, कुछ भी हो सकता है। जिस फ्लैट में वह रहती है, उस क्षेत्र में रूसी सेना बमबारी कर रही है। वहां कई बिल्डिंग्स बमबारी में क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ऐसे में आज (मंगलवार 1 मार्च) सुबह जान हथेली पर रखकर वह अपने फ्लैट से निकल पड़ी है। 15 अन्य भारतीय छात्र-छात्राएं उसके साथ हैं, और ये सब फिलहाल वे एक मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में है। आगे बढ़ने की कोई तरतीब नजर नहीं आ रही, ट्रेन में उन्हें बैठने नहीं दिया जा रहा है। टैक्सी भी बंद पड़ी हैं। हाथ में पैसा बहुत थोड़ा है, खाने-पीने का तो कोई इंतजाम ही नहीं। बच्चों का कहना है कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई हैल्पलाइन कोई रेस्पांस नहीं दे रही है।
धौलपुर के बाड़ी कस्बे में रहने वाले सराफा कारोबारी श्री शेखर शिवहरे और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती वंदना शिवहरे बेटी की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। वे फोन पर बेटी को हौसला बंधा रहे हैं, और इससे ज्यादा कुछ कर पाने की स्थिति भी नहीं है। समाचार लिखने से एक घंटे पहले ही विदुषी ने फोन कर बताया कि बमबारी में उनके एक सहपाठी नवीन की मौत हो गई है। इस घटना ने उसके सभी साथियों को भयभीत कर दिया है, वे किसी भी तरह खारकीव से निकलना चाहते हैं, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही। विदुषी ने बताया कि किसी तरह खारकीव से निकल गए तो उनके बाद उनके पास दो रास्ते होंगे, या तो रोमानिया की सीमा पर पहुंचे, या फिर पोलैंड की ओर कूच करें। और, फिलहाल लगता है कि जान का जोखिम लेकर ये लंबा रास्ता उन्हें पैदल ही तय करना होगा, जैसा कि सैकड़ों अन्य इंडियंस कर रहे हैं। रास्ते में उनके दुर्व्यवहार और लूटपाट होने की खबरे भी मिल रही हैं।
फिलहाल आयुषी 5 लड़कियों और 11 लड़कों के ग्रुप में खारकीव के एक मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट में है। स्टेशन के बाहर लगातार बमबारी हो रही है। देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। कुछ देर पहले फोन पर उसने बताया कि मेट्रो स्टेशन पर दो ट्रेनें खड़ी हैं लेकिन उस पर युक्रेनी नागरिकों को ही सवार किया जा रहा है, लोकल लोग हम इंडियन स्टूडेंट्स को चढ़ने नहीं दे रहे हैं, मारपीट की जा रही है। उसने बताया कि युक्रेन में इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह बाधित हैं। एटीएम काम नहीं कर रहे हैं। पापा शेखर शिवहरे यहां से कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह विदुषी तक पैसा पहुंच जाए लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है।
विदुषी शिवहरे खारकीव के एक मेडिकल कालेज में फोर्थ ईयर की स्टूडेंट है। वहां नियम है कि फर्स्ट ईयर और सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स को ही हॉस्टल दिया जाता है। थर्ड ईयर से स्टूडेंट्स को अपना फ्लैट लेकर रहना पड़ता है। विदुषी कालेज के पास ही किराये पर फ्लैट लेकर रही है। वंदना शिवहरे ने बताया कि ऐसी भयानक स्थिति होने का अंदाजा किसी को नहीं था, और ना ही इस तरह का अलर्ट किया गया। 23 फरवरी को विदुषी ने 28 फरवरी का प्लेन का टिकट करा लिया था, लेकिन बाद में हालात बेहद खराब हो गए और फ्लाइट्स कैंसल हो गईं। विदुषी ने बताया कि उसने कालेज एडमिनिस्ट्रेशन से बात की है लेकिन उन्होंने हॉस्टल में आने को कहा है। विदुषी इसे सुरक्षित नहीं मानती क्योंकि कालेज के आसपास रूसी सेना बड़े हमले कर रही है।
विदुषी की मम्मी वंदना शिवहरे ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। बेटी जान पर खेल रही है, हम परेशान हैं, सरकार ने जैसे हाथ खड़े कर दिए हों। साफ कह दिया है कि हम अभी कुछ नहीं कर सकते, वह (विदुषी) जहां है वहीं रहे। विदुषी के संकट ने ग्वालियर से एमबीए कर रही उसकी छोटी बहन अनामिका शिवहरे और इंटरमीडियेट कर रहे भाई कृष्णा शिवहरे को भी विचलित कर दिया है। लेकिन, पूरा परिवार अपनी चिंता छुपा कर विदुषी का हौसला बढ़ाने में जुटा हुआ है, ‘खुद को बचाते हुए आगे बढ़ो बहादुर बिटिया, कोई साथ हो न हो…भगवान तुम्हारे साथ है।’
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