सिलिगुड़ी।
सिलीगुड़ी में हुए ‘अंतरराष्ट्रीय कलवार, कलाल, कलार एकता महाकुंभ’ के दो दिनों की बात, उसकी तीन शामों के जिक्र के बिना अधूरी ही रह जाएगी। देशभर से आए स्वजातीय प्रतिनिधियों के दो पूरे-पूरे दिन एक पंडाल में बैठकर एक जैसे वक्तव्यों व विचारों को सुनने में गुजरे, और स्थानीय कलवार समाजबंधु हर शाम अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से संगीत, नृत्य और संस्कृति के अलग-अलग रंग बिखेरकर उनमें अगले दिन के लिए ऊर्जा भरते रहे। स्थानीय कलवार समाज के लोगों ने अपनी सादगी, बोल-चाल, व्यवहार और कलात्मक अभिरुचियों से एक सभ्य, सुशिक्षित, समृद्ध औऱ सुस्संकृत समाज होने की अपनी अमिट छाप स्वजातीय अतिथियों के मन-मस्तिष्क पर छोड़ी है।
समापन की शाम को स्थानीय समाज की युवक-युवतियों, महिलाओं और पुरुषों ने एक के एक शानदार प्रस्तुतियों का मंचन किया। यूट्यूब सिंगर और सांग राइटर संदीप गुप्ता की प्रस्तुति ने लोगों को भावुक कर दिया। संदीप गुप्ता ने फिल्म ‘ऐसी भी क्या जल्दी है’ के सांग ‘पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों’ के बोल संशोधित कर ‘बिटिया तू छोटी से बड़ी हो गई क्यों’ प्रस्तुत किया। गाना संदीप गुप्ता ने स्वयं गाया, जबकि इसके बोलों पर गोपाल प्रसाद और रिचा प्रसाद (पुत्री राजकुमार ब्याहुत) ने पिता-पुत्री प्रेम की ऐसी नृत्यनाटिका प्रस्तुत की, कि सभी की आंखें नम हो गईं।
वहीं, स्थानीय कलवार महिलाओं के सामूहिक नृत्य से लोगों का दिल जीत लिया। इस नृत्य में महिलाओं ने 8 कड़ियों में देश की विभिन्न संस्कृतियो और उनके त्योहारों को प्रस्तुत किया, अंतिम प्रस्तुत छठ मैया की पूजा की थी। इस प्रस्तुति पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वहां विराजमान संत स्वामी हरिहरदासजी महाराज (वृंदावन) तो इस नृत्य से इस कदर अभिभूत हुए, कि मंच पर तालियां बजाकर नाचने हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। इस नृत्य में डौली जायसवाल, पूनम़ जायसवाल, जूही, प्रीति, किरऩ प्रसाद, रीता प्रसाद, लिलि जायसवाल, मीनाक्षी जायसवाल, मिनिया प्रसाद, रितु जायसवाल, पूजा गुप्ता, प्रीती प्रसाद, प्रिया सौरभ जायसवाल, पूनम चौधरी, रानी प्रसाद, रोजी, रोमा, रुक्मणी, संगीता जायसवाल, सारिका आर्या, सरस्वती प्रसाद, सोनी जायसवाल, रीता गुप्ता, रेखा बिस्वास भगत, स्वाति प्रसाद, रीना गुप्ता, अंकिता, पंखुड़ी, मोनिका आदि ने भाग लिया।
रीता प्रसाद ने देश की सीमाओं पर तैनात जवानों को समर्पित एक भोजपुरी गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य में सैनिक की भूमिका स्वयं उनकी पुत्रवधु ने की। उम्र के छह दशक पूरे कर चुकीं रीता जायसवाल के नृत्य की सभी ने सराहना की। उदय जाससवाल ने एक लोकप्रिय फिल्मी सांग गाया, वहीं आदित्य, अंकित औऱ आकाश ने नृत्य प्रस्तुत किया। अंत में कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहीं श्रीमती प्रतिमा गुप्ता ने कोरस के साथ विदाई गीत प्रस्तुत किया।
तीन रंगारंग संध्याओं की परिकल्पना औऱ रूपरेखा श्रीमती प्रतिमा गुप्ता ने तैयार की जो कलवार महिला समाज सिलिगुड़ी की अध्यक्ष भी हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होने कहा कि महिलाओं ने 15 दिन के रिहर्सल में अपने-अपने प्रोग्राम तैयार किए। इतने कम समय में इतनी अच्छी तैयारी सिलिगुड़ी के कलवार समाज के संस्कृति, संगीत, नृत्य और कलाप्रेम के बिना संभव नहीं हो सकती थी। बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की सीमाओं से सटकर पूर्वोत्तर का रस्ता देने वाले छोटे से शहर सिलिगुड़ी में इस कदर सुशिक्षित, सुसंस्कृत, विनम्र और अदभुत कलात्मक अभिरुचियों वाला अपना समाज भी बसता है, यहां देशभर से आए स्वजातीय अतिथियों ने शायद कल्पना नहीं की होगी।
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