प्रयागराज।
पवित्र नगरी प्रयागराज के कलचुरी समाज ने अपने आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की व्रत-कथा की प्रथम प्रस्तुति के साथ अब देशभर में इसके आयोजन कराने की तैयारी है। रामकथा वाचक संत अभिराम दास ने तीन घंटे की इस व्रतकथा का वाचन किया, औऱ कहा कि अब वह जहां-जहां भी रामकथा कहेंगे, वहां बीच-बीच में भगवान सहस्त्रबाहु कथा के संदर्भों को भी जोड़ेंगे। वहीं, इलाहाबाद की जायसवाल बुद्धिजीवी परिषद के अध्यक्ष कमलेंद्र जायसवाल ने इसे शुभ शुरुआत बताते हुए कहा कि स्वजातीय संत द्वारा सहस्त्रबाहु कथा के वाचन की यह पहल दरअसल ब्राह्मणवाद पर बड़ा प्रहार है। हमारा प्रयास यही है कि संत अभिराम दास जी जैसे स्वजातीय संत देशभर में कलवार, कलाल, कलार समाज के बीच भगवान सहस्त्रबाहु की कथा कहकर उन्हें अपने आराध्य की महिमा और महानता से अवगत कराएं।
संत अभिराम दास ने शिवहरेवाणी को बताया कि प्रयागराज के जायसवाल समाज की ओर से उन्हें भगवान सहस्त्रबाहु के बारे में पर्याप्त साहित्य उपलब्ध कराया है। इसमें मुख्य रूप से रामलखन जायसवाल द्वारा रचित सहस्त्रबाहु कथा भी है जिसके सार-संक्षेप रूप में सहस्त्रबाहु व्रत-कथा का प्रकाशन कराया गया है। संत अभिराम दास ने बताया कि वह रामकथा का वाचन करते हैं, और सहस्त्रबाहु कथा में ऐसे कई प्रसंग हैं जिनका प्रयोग रामकथा में किया जा सकता है। जैसे, रामकथा में रावण के प्रसंग के साथ भगवान सहस्त्रबाहु कथा के अंशों को जोड़ा सकता है, इसी प्रकार परशुराम प्रसंग में भी सहस्त्रबाहु भगवान के वर्णन को जोड़ना महत्वपूर्ण होगा। फिलहाल वह जायसवाल बुद्धिजीवी परिषद की ओर से उपलब्ध साहित्य का गहनता से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आगामी गुरूपूर्णिमा पर्व पर वह गोवर्धन (मथुरा) में रामकथा के आयोजन का विचार कर रहे हैं, और तब पहली बार रामकथा में भगवान सहस्त्रबाहु कथा से जुड़े प्रसंग कहेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान सहस्त्रबाहु कथा सुनने के बहुत लाभ हैं, यहां तक कि खोया हुआ धन भी वापस मिल सकता है। इसीलिए समाजबंधुओं को अपने आराध्य की कथा का आयोजन करना चाहिए।
बता दें कि संत अभिराम दास बीते दिनों प्रयागराज में थे, और इस दौरान जायसवाल बुद्धिजीवी परिषद के आग्रह पर उन्होंने कटघर स्थित जायसवाल धर्मशाला में पहली बार भगवान सहस्त्रबाहु व्रत-कथा का वाचन किया था। सहस्त्रबाहु व्रत-कथा बीएसएनएल से रिटायर्ड मंडलीय अभियंता रामलखन जायसवालजी द्वारा अशोक आनंद, अमरीश जायसवाल एवं टीएन जायसवाल के सहयोग से रचित सहस्त्रबाहु कथा का ही सार-संक्षेप है जिसे सत्यनारायण कथा की तरह ही लिखा गया है और उसी तरह पढ़ा जाता है। सत्यनारायण कथा की तरह सहस्त्रबाहु व्रतकथा में भी पांच अध्याय रखे गए हैं। इसका प्रकाशन जायसवाल समाज प्रयागराज के सहयोग से कराया गया है।
कमलेंद्र जायसवाल ने बताया कि संत अभिराम दासजी ने पहली बार सहस्त्रबाहु व्रत-कथा का वाचन किया था, और पहले प्रयास में ही उनकी रोचक प्रस्तुति श्रद्धालुओं को बांधे रखने में सक्षम थी, जाहिर है कि आने वाले दिनों में वह और बेहतर प्रस्तुति देंगे। उन्होंने बताया कि संत अभिराम दासजी के प्रवास के दौरान उन्होंने उनसे सहस्त्रबाहु कथा का वाचन करान का प्रस्ताव परिषद के साथियों के समक्ष रखा जिसे सभी ने पसंद किया और जल्दी-जल्दी में इसके आयोजन की रूपरेखा तैयार की गई। संत अभिराम दास को सभी उपस्थित समाजबंधुओं ने व्यास पीठ पर विधिवत विराजमान कराया। कमलेंद्र जायसवाल ने अभिराम दासजी को पुष्पाहार पहना कर उनका स्वागत किया। समाजसेवी पीएन जायसवाल ने व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक को अंगवस्त्रम भेंट किए, बृजेश जायसवाल ने पटका पहनाया, तो धर्मेंद्र जायसवाल ने तिलक लगाया, जबकि डा. हरीश जायसवाल ने संत को दक्षिणा के रूप में नगद धनराशि प्रदान की। इस दौरान वहां उपस्थित एडवोकेट सुधीर जायसवाल, अभिषेक जायसवाल (मारुति ट्रांसपोर्ट), संजय जायसवाल (अपना घर), जितेंद्र जायसवाल (बिस्कुट वाले) तथा समाज के विभिन्न लोगों ने कथावाचक का सम्मान किया। कथा के उपरांत हवन एवं प्रसाद वितरण किया गया।
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