November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर समाचार

IAS success story: आईआईटीयन आयुष कुमार शिवहरे की कड़ी मेहनत रंग लाई; IRS officer भाई से प्रेरित होकर नौकरी छोड़ की तैयारी; यूपीएससी में पाई 391वीं रैंक; IFS को देंगे प्राथमिकता

लखनऊ।
लखनऊ के आयुष कुमार शिवहरे आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के बाद मुंबई में एक प्रतिष्ठित कंपनी के लिए जॉब कर रहे थे, लेकिन इस बीच बड़े भाई शशांक शिवहरे के  IRS अधिकारी बनने से इस कदर प्रेरित हुए कि खुद आईएएस बनने की ठान ली और अच्छी खासी नौकरी छोड़कर तैयारी में जुट गए। यूपीएससी परीक्षा के बीते माह घोषित रिजल्ट में उन्हें 391वीं रैंक हासिल हुई है। यह उनका तीसरा प्रयास था, इससे पहले दूसरे प्रयास में उनका सलेक्शन भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी के तौर पर हुआ था। 

लखनऊ में गोमती नगर ‘विशाल खंड’ निवासी श्री रवि शिवहरे एवं श्रीमती सुषमा शिवहरे के पुत्र आयुष कुमार शिवहरे ने शिवहरेवाणी को बताया कि इस बार उनकी रैंक के अनुसार उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) मिलना तो लगभग तय है लेकिन यदि भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में जाने का विकल्प मिला तो उसे ही चुनेंगे। मूल रूप से बांदा शहर के रहने वाले श्री रवि शिवहरे नव्वे के दशक में यूपी सरकार के उपक्रम ‘अपट्रॉन’में अपनी नौकरी के चलते लखनऊ शिफ्ट हुए थे। बाद में अपट्रॉन के बंद होने पर उन्होंने भारतीय रेल में टैक्नीकल कांट्रेक्टर के रूप में काम किया। जीवन के तमाम संघर्षों के बावजूद उन्होंने अपने दोनों पुत्रों शशांक शिवहरे और आयुष शिवहरे की शिक्षा और तरबियत में कोई कमी नहीं रखी। बड़े पुत्र शशांक शिवहरे ने भी यूपीएससी परीक्षा में सफलता अर्जित की थी, वह भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं और वर्तमान में अहमदाबाद में आयकर आयुक्त के पद पर हैं। बड़े भाई से प्रेरणा लेकर ही आयुष ने सिविल सर्विसेज में जाने की ठानी थी। 

लखनऊ के प्रतिष्ठित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से हाईस्कूल और इंटरमीडियेट करने के बाद आयुष ने आईआईटी दिल्ली से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) किया और करीब डेढ़ साल मुंबई में एक्सिस बैंक को सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में सेवाएं दीं। इसी बीच उनके बड़े भाई शशांक शिवहरे, जो आईआईटी गांधीनगर से बीटेक हैं, यूपीएससी की परीक्षा में सफलता अर्जित कर आईआरएस बने तो इससे प्रेरित होकर आयुष ने भी सिविल सेवा में जाने का एहद कर लिया। इसके बाद वह नौकरी छोड़कर तैयारी में जुट गए। उन्होंने एग्रीकल्चर को अपना मुख्य विषय बनाया। चूंकि यह उनके लिए बिल्कुल नया सब्जेक्ट था, लिहाजा कुछ दिन इस विषय पर कोचिंग की सहायता ली। बाकी पूरी तैयारी लखनऊ में घर पर रहते हुए सेल्फ स्टडी से की। 
दूसरे प्रयास में वह यूपीएससी परीक्षा में सफल हुए और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी बने। यह उनका तीसरा प्रयास था जिसमें उन्हें 391वीं रैंक हासिल हुई। शिवहरेवाणी से बातचीत में आयुष ने बताया कि ज्यादातर अभ्यर्थी यूपीएससी के सफल परीक्षार्थियों के इंटरव्यू पढ़कर परीक्षा की रणनीति निर्धारित करते हैं। उनके अनुसार, यह उचित नहीं है। अच्छा तो यही है कि अभ्यर्थी दूसरों की रणनीति का अनुपालन करने के बजाय अपने मजबूत पक्ष और कमजोरियों को पहचानकर अपनी रणनीति स्वयं निर्धारित करें। दूसरी बात यह कि एक-दो विफलताओं से हताश न हों। बहुत ही लकी लोग होते हैं, जो पहले ही अटेंप्ट में यूपीएससी परीक्षा में सफल हो जाते हैं। पूरे मनोयोग से कड़ी मेहनत के साथ तैयारी करते रहें, सफलता अवश्य मिलेगी। 
आयुष अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं। उनके पिता श्री रवि शिवहरे एवं मम्मी श्रीमती सुषमा शिवहरे की हरदम कोशिश रही कि आयुष का पूरा फोकस उसकी तैयारी पर रहे, उसे किसी प्रकार की दिक्कत पेश न आए। बड़े भाई श्री शशांक शिवहरे छोटे भाई के लिए प्रेरणास्रोत तो थे ही, मेंटर और गाइड भी बन गए। 
खास बात यह है कि लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल के सात पूर्व छात्र-छात्राओं ने इस बार यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। स्कूल प्रशासन ने बीते दिनों इस उपलब्धि को सेलिब्रेट किया और सातों सफल अभ्यर्थियों के अभिभावकों का सम्मान समारोह स्कूल में आयोजित किया। श्रीमती सुषमा शिवहरे का कहना है कि यह उनके जीवन का सबसे गौरवशाली क्षण था। वह इसके लिए ईश्वर का आभार मनाती हैं।
 

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