भीलवाड़ा।
राजस्थान के भीलवाड़ा की गलियों में हाथठेले पर मूंगफली बेचने वाले शांतिलाल सुवालका और उनकी पत्नी रत्नी देवी, बेटी की चाहत में 42 बेटियों के माता-पिता बन गए। तीन पुत्रों वाले इस सुवालका दंपति ने बीते रोज सुवालका कलाल समाज के सामूहिक विवाह में परिणय सूत्र में बंधी 42 युवतियों का कन्यादान किया और 11 लाख रुपये की राशि भेंट की। सामूहिक विवाह में समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ मजबूत संदेश देने के लिए संभवतः पहली बार वर-वधु को कोई वस्तु, आइटम या उपहार नहीं दिया गया, बल्कि प्रत्येक वधु को 31 हजार का चेक भेंट कर विदा किया ।
अखिल राजस्थान सुवालका संघ ट्रस्ट व सुवालका कलाल समाज सेवा समिति भीलवाड़ा, चित्तौण व राजसमंद के संयुक्त तत्वावधान में तुलसी विवाह एवं सामूहिक विवाह का दो दिवसीय समारोह भीलवाड़ा के कोटड़ी कस्बे के चारभुजानाथ मंदिर परिसर में हुआ। पहले दिन बुधवार 15 फरवरी को सुबह गणपति स्थापना के साथ आयोजन का शुभारंभ हुआ, दोपहर हल्दी रस्म के बाद हजारों समाजबंधुओं की मौजूदगी में गाजे-बाजे के साथ तुलसी माता व भगवान शालिगरामजी और 42 वर-वधुओं की शोभायात्रा निकाली गई। शाम को मायरा भरा गया। लेकिन पहले दिन का मुख्य आकर्षण था सुप्रसिद्ध भजन गायक प्रकाश माली की भजन-रात्रि। समाज के लोगों ने पूरी रात माली के भजनों का आनंद लिया। भोर तक चले कार्यक्रम में माली ने कोटड़ी श्याम, चारभुजानाथ, हनुमानजी महाराज, तेजाजी, रामदेवजी, देवनारायण भगवान आदि के भजनों की प्रस्तुति दी। अगले दिन गुरुवार 16 फरवरी की सुबह तोरण की रस्म के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच माता तुलसी और भगवान शालिगराम जी के साथ 42 जोड़ों पाणिग्रहण संस्कार हुआ। दोपहर वर-वधु आशीर्वाद समारोह के बाद उनकी विदाई की गई।
सामूहिक विवाह में सबसे ज्यादा चर्चा रही श्री शांतिलाल सुवालका और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रत्नी देवी सुवालका की जिन्होंने 42 कन्याओं का कन्यादान लिया और 11 लाख रुपये की राशि भेंट की। दरअसल शांतिलाल सुवालका और रत्ना देवी के तीन बेटे हैं लेकिन कोई बेटी नहीं हुई। कन्यादान का फर्ज अदा नहीं कर पाने का उन्हें मलाल था। लेकिन इस सामूहिक विवाह में उन्होंने अपनी साध पूरी कर ली। सुवालका दंपति ने परिणय सूत्र में बंधी 42 कन्याओं के धर्म का माता-पिता बनकर उनका कन्यादान किया। सुवालका दंपति के इस भाव औऱ भावना की सभी ने सराहना की।
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