गोरखपुर।
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा-2022 में गोरखपुर की दृष्टि जायसवाल ने 255वीं रैंक हासिल कर परिवार और समाज का नाम रोशन किया है। एक साधारण किराना दुकानदार की पुत्री दृष्टि ने चौथे प्रयास में यह सफलता हासिल की है।
आपको बता दें कि यूपीएससी परीक्षा का परिणाम बीते रोज 23 मई को घोषित हुआ था जिसमें अंतिम रूप से कुल 933 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इस परिणाम में 408 अभ्यर्थियों का चयन तीन प्रमुख सेवाओं आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा), आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) और आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) के लिए होना है। इनमें 180 आईएएस, 38 आईएफएस और 200 आईपीएस अधिकारी होंगे। गोरखपुर की दृष्टि जायसवाल ने 255वीं रैंक हासिल की है, और उनका आईएएस में चयन लगभग तय है जो कि उनकी प्राथमिकता में है।
बीते रोज रिजल्ट घोषित होने के बाद से गोरखपुर में मोहद्दीपुर स्थित दृष्टि जायसवाल के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। दृष्टि जायसवाल ने दसवीं की पढ़ाई गोरखपुर के सेंट जूडस और 12वीं की पढ़ाई डिवाइन पब्लिक स्कूल से की। स्नातक करने के बाद 2018 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चली गई जहां एक नामी कोचिंग अटेंड की। यूपीएससी परीक्षा में दृष्टि का यह चौथा प्रयास था। मजे की बात यह है कि दृष्टि ने चौथे प्रयास में पहली बार प्रारंभिक परीक्षा क्वालीफाई कर मुख्य परीक्षा दी और पहली ही बार में मुख्य परीक्षा क्वालीफाई कर इंटरव्यू दिया और उसमें भी सफल रहीं।
दृष्टि जायसवाल के पिता श्री रमाशंकर जायसवाल चार फाटक रोड पर किराना की छोटी सी दुकान चलाते हैं। लेकिन, उन्होंने अपने दोनों बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दृष्टि की माताजी श्रीमती सुनीता जायसवाल ने भी पति की छोटी सी कमाई में हमेशा बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दी। दृष्टि आज अपने लक्ष्य में कामयाब होने के बाद माता-पिता के उस संघर्ष याद करती है तो उसकी आंखें नम हो जाती हैं। शिवहरेवाणी से बातचीत में उसने बताया कि माता-पिता ने हमारे लिए बहुत संघर्ष किया। एक वक्त ऐसा भी आया जब पिताजी की दुकान ठीक से नहीं चल रही थी, मेरी पढ़ाई में दिक्कत आने लगी लेकिन, ऐसे कठिन समय में ईश्वर की अनुकंपा से बड़े भैया को बैंक में नौकरी मिल गई और मेरी पढ़ाई फिर सुचारू हो चली।
दृष्टि अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और भैया को देती है जो उसके आदर्श भी हैं। उसका कहना है कि भैया के प्रोत्साहन से ही उसे दिल्ली में कोचिंग करने का मौका मिला और वह सफल हो सकी। दृष्टि ने बताया कि उसे पहले तीन प्रयासों में सफलता नहीं मिली तो उसकी हिम्मत टूटने लगी थी लेकिन माता-पिता और भैया ने ही उसे हौसला दिया। दृष्टि कहती हैं कि मेरी सफलता का सिर्फ एक ही मूल मंत्र है, हार्डवर्क जो मैंने किया। वह कहती है कि मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से कर सकूं यही मेरी प्राथमिकता होगी।
दृष्टि के पिता रमाशंकर जायसवाल बताते हैं कि छोटी सी दुकान से ही उन्होंने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी पूरी की है। कुछ सालों से दुकान ठीक से चल नहीं रही थी, तो कर्ज लेकर बेटी की पढ़ाई जारी रखी। बिटिया की लगन को देख मैंने ठान लिया था कि कुछ भी हो जाए उसका हौसला टूटने नहीं देंगे। आज जब बेटी ने मेरा सर गर्व से ऊंचा कर दिया है तो खुशी के आंसुओं में जिंदगी के सारे मलाल धुल गए हैं। दृष्टि की मां सुनीता गृहणी हैं। जब से बेटी की सफलता की खबर मिली है, वह लोगों का मुंह मीठा कराने में व्यस्त हैं। गर्व से कहती हैं, यह बेटी की मेहनत और लगन शीलता का परिणाम है हमने तो सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी की तरह ही अन्य बेटियां भी मेहनत करें और सफल हों।
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