November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

एक होनहार क्रिकेटर ‘कानून की पिच’ पर अंपायर बनकर उतरा; पहले ही प्रयास में यूपी पीसीए-जे में शानदार कामयाबी; 153वीं रैंक हासिल की

मुगलसराय।
कभी प्रतिभावान क्रिकेटर रहे शिवेश राज जायसवाल अब ‘कानून की पिच’ पर अंपायर बनकर उतरे हैं…. यानी वह जज बन गए हैं। वीनू मनकड नेशनल ट्रॉफी खेल चुके मुगलसराय के शिवेश राज जायसवाल ने पहले ही प्रयास में यूपी पीसीएस-जे की परीक्षा में शानदार सफलता अर्जित की है। एलएलएम गोल्ड मैडलिस्ट शिवेश ने 153वीं रैंक हासिल की है। भगवान कृष्ण के उपासक शिवेश अपनी कामयाबी का श्रेय परमपिता परमेश्वर, माता-पिता और गुरुजनों को देते हैं। 
बीती 30 अगस्त को रिजल्ट घोषित होने के बाद से शिवेश के मुगलसराय में लाठ नंबर-2 शाहकुटी स्थित घर पर जश्न का माहौल है, जहां उनके पिता डा. मृत्युंजय जायसवाल और माताजी श्रीमती ममता जायसवाल को बधाई देने वालों का तांता अब तक लगा हुआ है। शिवेश ने कक्षा-8 तक की पढ़ाई मुगलसराय से ही की है। वह बचपन से ही अच्छा क्रिकेट खेलते थे। नगर के सीनियर क्रिकेटर भी उसकी बल्लेबाजी और मीडियम पेस बॉलिंग से काफी प्रभावित रहते थे। शिवेश शुरू में तो क्रिकेटर ही बनना चाहते थे, सुरेश रैना और आरपी सिंह के फैन थे और उनकी तरह देश के लिए खेलने का सपना देखते थे। पिता ने बेटे की प्रतिभा और इच्छा का ख्याल कर लखनऊ में गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज में उनका दाखिला करा दिया। यहां उनकी फिटनेस व क्रिकेट में और निखार आया। वह वीनू मनकड नेशनल स्कूल चैंपियनशिप (अंडर-19) खेले, पूर्वांचल ट्राफी भी खेले। बिहार का प्रतिष्ठित वीर फोर्सिंग टूर्नामेंट (अंडर-19) उनके लिए खास रहा जिसमें उन्होंने टीम के सबसे कम उम्र खिलाड़ी होते हुए भी शानदार खेल की बदौलत ‘मैन ऑफ द सीरीज’ का अवार्ड प्राप्त किया। शिवेश ने यूं ही खेलते-खेलते हाईस्कूल और इंटरमीडियेट की बोर्ड परीक्षाएं दीं । 12वीं करने तक शिवेश अपने भविष्य को लेकर एक असुरक्षा महसूस करने लगा था, सोचता था कि क्रिकेट में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं…टीम इंडिया में खेलने का उसका सपना यदि सपना ही रह गया तो क्या होगा! 
लिहाजा शिवेश ने तय किया कि उसे पढाई पर फोकस करना है और अच्छा करियर बनाना है। इंटरमीडियेट के बाद उन्होंने प्रयागराज विवि की सीयूईटी-यूजी परीक्षा उत्तीर्ण कर बीए-एलएलबी के पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में एडमिशन ले लिया। साथ ही क्लैट की तैयारी भी शुरू कर दी। अगले ही वर्ष शिवेश ने क्लैट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली जिससे उन्हें लखनऊ की प्रतिष्ठित डा. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया। 2021 में शिवेश ने सिल्वर मैडल के साथ बीए-एलएलबी (ऑनर्स) कंप्लीट की। फिर क्लैट-पीजी क्वालीफाई कर इसी नेशनल लॉ यूनीवर्सिटी से एलएलएम भी किया जिसमें उन्होंने टॉप कर गोल्ड मैडल हासिल किया। इसके बाद शिवेश ने दिल्ली स्थित एक लॉ फर्म में कुछ समय कार्य किया। उसका चयन एनटीपीसी झारखंड में लॉ आफिसर के पद पर भी हो गया था। लेकिन कई अच्छे विकल्प छोड़कर एक कोचिंग ज्वाइन कर ली और न्यायिक सेवा परीक्षाओं की तैयारी में जुट गये। उन्होंने एक के बाद एक दिल्ली, पंजाब और राजस्थान के एग्जाम दिए। दिल्ली औऱ पंजाब की परीक्षाओं में वह मेन्स उत्तीर्ण कर इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन अंतिम सफलता नहीं मिली। इसी दौरान उसने यूपी पीसीएस-जे की परीक्षा भी दी और 30 अगस्त को घोषित रिजल्ट में शानदार सफलता हासिल की। 
शिवेश राज जायसवाल ने शिवहरेवाणी से बातचीत में कहा, ‘मैं अपनी सफलता का सर्वप्रथम श्रेय लॉर्ड कृष्णा और माता-पिता को देना चाहूंगा, मेरी सफलता में मेरे गुरुजनों का विशेष योगदान और आशीर्वाद रहा है। खासकर परीक्षा मंथन कोचिंग के आशीष सिंघल व समर्थ अग्रवाल सर, और इंटरव्यू के लिए एसके पांडेय सर को जरूर आभार व्यक्त करना चाहूंगा।‘ उन्होंने कहा कि जो भी अभ्यर्थी न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वे बुनियादी स्तर से तैयारी शुरू करें, अच्छे नोट्स बनाएं। और, यदि समर्थ हों तो कोचिंग अवश्य ज्वाइन करना चाहिए। इससे तैयारी की निरंतरता के साथ कंप्टीशन की भावना भी मजबूत होती है। उनका कहना है कि हमारे दिन-प्रतिदिन की अच्छी-बुरी आदतें ही फलीभूत होकर भविष्य में अच्छे-बुरे परिणाम देती हैं। लिहाजा हर अभ्यर्थी को एक योगी की तरह अपनी आदतों पर नियंत्रण करना चाहिए, बुरी आदतें त्यागें और अच्छी बातों को अपनी आदत बना लें। साथ ही अभ्यर्थी को प्रतिदिन पढ़ाई का समय बढ़ाते जाना चाहिए, और तैयारी में निरंतरता रखें। अपने गुरु या शिक्षक से कुछ पूछने में संकोच न करें। आजकल इंटरनेट पर भी हर विषय पर बहुत सामग्री उपलब्ध है।

 

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