November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

दाऊजी मंदिर में परंपरा-आधुनिकता के मेल की झांकी; समिति सदस्यों ने किए दाऊजी महाराज के शेषनाग दर्शन

आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर दाऊजी मंदिर परिसर में जन्माष्टमी के पर्व से जुड़ी कुछ परंपराएं दशकों से चली आ रही हैं, और कुछ नए प्रचलन भी हैं। इस जन्माष्टमी की शाम भी दाऊजी मंदिर में इस नए-पुराने के मेल की ‘झांकी’ देखी जा सकती है।
दरअसल जन्माष्टमी उत्सव मनाने के तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है। पहले कभी शिवहरे समाज के उत्साही युवा दाऊजी मंदिर में खूब झांकियां सजाते थे, लेकिन गत छह-सात वर्षों से फूलों और बिजली झालरों की सजावट से ही काम चलाया जा रहा है। इस बार फव्वारे से उठता कृत्रिम धुआं इस सजावट में चार चांद लगाएगा। एक आकर्षक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है जहां युवा अपनी सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकते हैं। ये सब नए प्रचलन हैं। लेकिन, मंदिर में विराजमान स्वरूपों का साज-श्रृंगार आज भी पहले की भांति श्रद्धा भाव और रुचि से किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से जन्माष्टमी पर मंदिर समिति की ओर से ही सभी स्वरूपों की नई पोशाकें अर्पित की जाती हैं। वहीं दाऊजी महाराज व माता रेवती और भगवान श्रीकृष्ण की राधारानी व रुक्मणी के संग दुर्लभ प्रतिमा की नई पोशाक श्री अशोक शिवहरे ‘अस्सो भाई’ की ओर से अर्पित की जाती है। उन्होंने लगभग 15 पूर्व यह जिम्मेदारी ली थी, जब श्री किशन शिवहरे मंदिर समिति के अध्यक्ष थे। आज दोपहर को श्री अशोक शिवहरे ‘अस्सो’ एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अलका शिवहरे ने दाऊजी महाराज की पूजा अर्चना और भोग-प्रसाद लगाकर पोशाकें अर्पित कीं। इसके बाद मंदिर समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने दाऊजी महाराज के शेषनाग दर्शन किए, जो वर्ष में केवल दो बार ही होते हैं। 
आपको बता दें कि मंदिर में विराजमान दाऊजी महाराज की प्रतिमा उनकी अब तक प्राप्त प्राचीनतम प्रतिमाओं वाली मुद्रा में है जिन्हें शुंग व कुषाण काल का माना जाता है। मंदिर के दाऊजी महाराज द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित सर्पफनों (शेषनाग) से अलंकृत है, इस शेषनाग का पिछला हिस्सा (पूंछ) दाऊजी महाराज के पैरों पर गिरता है। आम दिनों में यह सर्पफन दाऊजी महाराज के मुकुट के पीछे छिप जाता है। जन्माष्टमी और दाऊजी की पूनों पर पोशाक-श्रृंगार से पूर्व मंदिर समिति के सदस्य व उपस्थित समाजबंधुओं को ही दाऊजी महाराज के शेषनाग दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो पाता है।
हर बार की तरह इस जन्माष्टमी पर भी दाऊजी महाराज व माता रेवती की मूर्तियों व भगवान श्रीकृष्ण की राधारानी एवं रुक्मणी संग दुर्लभ मूर्तियों का श्रृंगार सोने-चांदी के आभूषणों से किया गया है। दाऊजी महाराज की ठोढ़ी पर सजा हीरा उनके श्रृंगार में चार चांद लगा रहा है। दाऊजी महाराज के दरबार के आगे लड्डूगोपाल चांदी के हिंडोले में दर्शन देंगे। आपको बता दें कि सोने-चांदी के मुकुट, आभूषण या हीरा दाऊजी मंदिर संपत्ति हैं जो शायद बुजुर्गों ने दान की होंगी, और मंदिर के हर नए प्रबंधन को ये हस्तांतरित होती रही है। पूर्व अध्यक्ष श्री भगवान स्वरूप शिवहरे के कार्यकाल में इनमें कई आभूषण नए रूप में ढाले गए थे। चांदी का हिंडोला भी उनके कार्यकाल में नया लिया गया था। पंडित राजकुमार शर्मा ने बताया कि अर्धरात्रि बारह बजे दाऊजी महाराजल की पूजा अर्चना के बाद लड्डू-गोपाल का अभिषेक किया जाएगा।

 

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