November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर समाचार

आशी चौकसे ने कहा- मैंने अब तक अपनी रायफल नहीं खरीदी है; एशियन गेम्स की मैडल-गर्ल का पहला इंटरव्यू; भोपाल में जगह-जगह भव्य स्वागत

भोपाल।  
एशियन गेम्स में दो सिल्वर और एक ब्रांज मैडल जीतने वाली आशी चौकसे का अपने गृहनगर भोपाल लौटने पर भव्य स्वागत किया गया। राजाभोज एयरपोर्ट से लेकर आधारशिला कालोनी तक पूरे रास्ते में जगह-जगह आशी पर पुष्पवर्षा की गई। आशी के स्वागत करने वालों में भोपाल के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य लोगों के साथ कलचुरी समाजबंधु भी बड़ी संख्या में शामिल थे। कलचुरी समाज ने शाल-श्रीफल और प्रशस्ति-पत्र देकर आशी को सम्मानित किया। वहीं स्टेडियम में स्पोर्ट्स फेटरनिटी ने भी आशी के लिए सम्मान समारोह रखा। आशी आज फ्लाइट से नई दिल्ली जाएंगी, जहां से वह एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए दक्षिण कोरिया रवाना होंगी। दिल्ली रवाना होने से पहले आशी चौकसे ने शिवहरेवाणी से फोन विशेष बातचीत की और अपने व रायफल शूटिंग गेम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। पेश है आशी का वह साक्षात्कारः-

शिवहरेवाणीः-आशीजी आपको बहुत-बहुत बधाई, आपने अपने देश, अपने समाज और अपने परिवार का नाम रोशन किया है।
आशीः जी बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।
शिवहरेवाणीः- एशियन गेम्स में शानदार सफलता के बाद पहली बार अपने भोपाल लौटने पर कैसा लग रहा है।
आशीः-बहुत अच्छा लग रहा है। यहां लोगों ने मेरा जिस तरह स्वागत किया, वह अदभुत है।  स्पोर्ट्स फेटरनिटी के अलावा मेरे कलचुरी समाज ने भी जो मान मुझे दिया, उसके लिए उनका आभार व्यक्त करती हूं। 
शिवहरेवाणीः- अगला लक्ष्य क्या है, ओलंपिक ही होगा।
शीः– जी, ओलंपिक तो हर स्पोर्ट्सपर्सन का सपना होता है, मेरा भी सपना है कि मुझे ओलंपिक में खेलने का मौका मिले और मैं देश के लिए गोल्ड लेकर आऊं। फिलहाल मैं एशियन शूटिंग चैपिंयनशिप के लिए कोरिया जा रही हूं। 
शिवहरेवाणीः- आप अपने जीवन का अब तक का सबसे बड़ा क्षण किसे मानती हैं?
आशीः- एशियन गेम्स में तीन मैडल जीतना ही मैं अपनी जिंदगी की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। हालांकि वर्ल्ड कप शूटिंग में भी मैंने मैडल्स जीते हैं, और इंटरनेशनल व नेशनल कंप्टीशन्स में कई पदक जीते हैं, और मेरे लिए हर मैडल महत्वपूर्ण है। लेकिन एशियन गेम्स की कामयाबी को अब तक का सबसे बड़ा क्षण मानती हूं।
शिवहरेवाणीः- भारत में रायफल शूटिंग का भविष्य क्या है। कहा जाता है कि हमारे देश में इसकी उतनी सुविधाएं नहीं है, जिनती अन्य कई देशों में हैं?
आशीः- मुझे ऐसा नहीं लगता। हमारे भोपाल में वर्ल्ड क्लास शूटिंग रेंज है, बल्कि कई बड़े देशों में भी ऐसी आधुनिक शूटिंग रेंज नहीं होगी। भारत में सुविधाएं हैं तभी तो इस गेम में मैडल मिल रहे हैं। इस बार एशियन गेम्स में शूटर्स को जो सफलता मिली है, उससे तो भारत में इस गेम्स का भविष्य बहुत अच्छा दिखाई देता है।
शिवहरेवाणीः- रायफल शूटिंग अन्य स्पोर्ट्स से किस प्रकार भिन्न है? 
आशीः- वैसे तो सभी स्पोर्ट्स और गेम्स में फिजीकल और मेंटल स्ट्रेंग्थ की जरूरत होती है। लेकिन रायफल शूटिंग में फिजीकल से कहीं अधिक जरूरत मेंटल स्ट्रेंग्थ की होती है। प्लेयर को टारगेट पर फोकस करना होता। लक्ष्य बहुत छोटा होता है। एक-एक प्वाइंट बड़ा अंतर कर देता है। मैं खुद 3पी-50मीटर के सिंगल इवेंट में महज 0.5 प्वाइंट से सिल्वर मैडल से चूक गई थी। ऐसी कठिन स्पर्धाओं में आपकी मेंटल स्ट्रेंग्थ ही सबसे बड़ी ताकत होती है।
शिवहरेवाणीः– रायफल्स तो मार्केट में काफी महंगी आती हैं। आप जिस रायफल का यूज कर रही हैं, उसकी कीमत क्या है। आपने अपनी रायफल कब खरीदी?
आशीः- जी मैंने अब तक अपनी रायफल नहीं खरीदी है। मेरी रायफल स्पोंसर्ड (प्रायोजित) है। यह सच है कि रायफल काफी महंगी होती है, मुझ जैसी साधारण परिवार की लड़की के लिए तो इसे खरीद पाना बड़ा मुश्किल है। वैसे मैं जिस रायफल का इस्तेमाल करती हूं, यह मार्केट में साढ़े आठ लाख रुपये की है। मार्केट में इससे महंगी रायफल भी हैं, और इससे कम कीमत की भी।
शिवहरेवाणीः- रायफल शूटर बनने के लिए बच्चों को किस आयु में तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
आशीः-10 मीटर स्पर्धा के लिए बच्चे को 11-12 साल की उम्र से तैयारी शुरू करा देनी चाहिए, जबकि 3पी इवेंट के लिए 16-17 वर्ष की उम्र से तैयारी करना उचित रहता है। इसकी वजह यह है कि 10 मीटर स्पर्धा में एयर रायफल का इस्तेमाल किया जाता है जो हल्की होती है, और 11-12 वर्ष का बच्चा उसे हैंडल कर सकता है। जबकि, 3पी इवेंट में रायफल हैवी-वेट होती है जिसे बच्चे ठीक संभाल नहीं पाते, लिहाजा इसके लिए 16-17 वर्ष की आयु का होना तो जरूरी है। मैंने भी 17 साल की उम्र से रायफल शूटिंग शुरू की थी। 
शिवहरेवाणीः- अपनी सफलता में अपने पेरेंट्स और परिवार की क्या भूमिका मानती हैं?
आशीः- मेरी ही क्या, हर बच्चे की कामयाबी में उसके परिवार और पेरेंट्स की सबसे अहम भूमिका होती है। मैं तो पेरेंट्स की वजह से ही यहां तक पहुंची हूं। मैंने 17 साल की उम्र में रायफल सीखना शुरू किया, तब मेरे पापा अपने तमाम काम को छोड़कर मुझे शूटिंग रेंज ले जाते थे, और वहां से घर लेकर आते थे। आमतौर पर गर्ल-चाइल्ड के मामले में सेफ्टी इश्युज को लेकर पेरेंट्स चिंतित रहते हैं। लेकिन, मेरे मम्मी-पापा ने मुझ पर भरोसा किया और मुझे बाहर भी भेजा। मैं अमृतसर में खालसा कालेज से बीए फाइनल कर रही हूं।
शिवहरेवाणीः– इस गेम से अपने अंदर कोई बदलाव महसूस करती हैं क्यां?
आशीः अपनी बात करूं तो मुझे लगता है कि शूटिंग में आने के बाद मेरा टेम्परामेंट काफी बदला है। अब मैं बहुत शांत स्वभाव की हूं, पहले ऐसी नहीं थी। यह शायद शूटिंग की वजह से ही हुआ है। इस गेम में टारगेट पर निशाना साधते वक्त सांस रोकनी पड़ती है, शरीर को पूरी तरह स्थिर रखना होता है। और, यह सब शांत रहकर हो सकता है। धीरे-धीरे यह आपके स्वभाव में शामिल हो जाता है। मैं मानती हूं कि एक शूटर के शांत स्वभाव बहुत जरूरी है, तभी कामयाबी मिल सकती है। 
शिवहरेवाणीः- शिवहरेवाणी के माध्यम से युवाओं को कोई संदेश देना चाहेंगी।
आशीः- युवाओं से यही कहूंगी कि वे जिस भी फील्ड में जाएं, वहां दिल से प्रयास करें। सफलता आसानी नहीं आती, इसमे समय लगता है, इसलिए निराश न हों, धैर्य के साथ प्रयास में जुटे रहें। एक रायफल शूटर को भी निरंतर कड़ी मेहनत और प्रैक्टिस के बावजूद दो साल बाद ही रिजल्ट मिल पाते हैं। 
शिवहरेवाणीः आशीजी आपने हमसे बात की, इसके बहुत-बहुत शुक्रिया और एशियन चैंपियनशिप के लिए शुभकामनाएं।
आशीः आपको भी बहुत धन्यवाद और शिवहरेवाणी के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं।

महापौर मालती राय समेत इन कलचुरी समाजबंधुओं ने किया स्वागतः-
आशी कॉलोनी में किए गए स्वागत कार्यक्रम में महापौर मालती राय, कांग्रेस के कार्यवाहक जिला अध्यक्ष प्रकाश चौकसे, बनवारीलाल चौकसे, एमएल राय, कलचुरी सेना अध्यक्ष कौशल राय, संजय चौकसे, कलचुरी महासभा जिला अध्यक्ष प्रदीप राय, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता पप्पू राय, प्रमोद राय, मराठा कलार समाज के अध्यक्ष राजन सेवईवार, गौरीशंकर चौकसे, जितेंद्र राय, प्रकाश राय, शुभम राय, सुशीला चौकसे सहित अनेक समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

 

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