January 22, 2025
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अशोक शिवहरे की मौत से सबकः स्वाइन फ्लू में सरकारी व्यवस्थाओं पर करें भरोसा

by Som Sahu September 29, 2017  जानकारियां 447

 

  • मुलताई के युवा ट्रांसपोर्टर की नागपुर के एक निजी अस्पताल में मौत
  • आगरा में ढाई साल की प्रकृति शिवहरे सरकारी उपचार से पूरी तरह स्वस्थ
  • प्रकृति के घर आती रही डाक्टरों की टीम, घरवालों की सेहत पर भी रही नजर

 

सच का उजाला नेटवर्क

आगरा/मुलताई।

हम अक्सर गंभीर बीमारियों मामलों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के बजाय महंगी निजी स्वास्थ्य सेवाओं की ओर भागते हैं। हालांकि इसमें पूरी तरह हमारा-आपका दोष नहीं है, बल्कि ऐसी छवि के लिए वहां की अव्यवस्थाएं और असुविधाएं ही अधिक जिम्मेदार हैं। फिर भी कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिसमें शासन की ओर से बेहद गंभीरता से और त्वरित प्रतिक्रिया होती है। खासकर संक्रामक बीमारियों के मामले में। स्वाइन फ्लू के मामले में तो शासन के सख्त आदेश हैं कि इसके मरीजों का उपचार सरकारी अस्पताल में ही किया जाना चाहिए। किसी निजी चिकित्सक को ऐसे केस हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। लेकिन मध्य प्रदेश के मुलताई में युवा ट्रांसपोर्टर अशोक शिवहरे के उपचार में ऐसा नहीं किया गया और पिछले दिनो नागपुर के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

अशोक शिवहरे  मध्य प्रदेश में बैतूल जिले के मुलताई में इंदिरा गांधी वार्ड में रहते थे। उन्हें करीब दस दिन पहले बुखार आया था, तो उन्हें नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उन्हें स्वाइन फ्लू होने की पुष्टी हुई। फिर भी उपचार वहीं जारी रहा और करीब चार दिन पूर्व उनकी मौत हो गई।

दूसरी तरफ हमारे सामने आगरा में शिवहरे वाणी के फोटो संपादक श्री अमित शिवहरे की ढाई साल की पुत्री प्रकृति शिवहरे का मामला  है। बीते दिनों प्रकृति को भी स्वाइन फ्लू होने की पुष्टी हुई थी। इसकी जानकारी होते ही प्रकृति का उपचार कर रहे निजी चिकित्सक ने तत्काल एसएन मेडिकल कालेज में संपर्क करने को कहा। श्री अमित शिवहरे ने जब एसएन मेडिकल कालेज के अधिकारियों को बात की तो पूरा अमला हरकत में आ गया। एसएन के चिकित्सकों ने तत्काल प्रकृति को दवा दी और उसे घर पर ही रखने की सलाह देने के साथ ही देखभाल के तरीके को लेकर हिदायतें दीं। करीब दस दिन तक प्रकृति का उपचार चला। इस दौरान एसएन से चिकित्सकों की एक टीम नियमित अंतराल पर श्री अमित शिवहरे के घर आती थी, मरीज के रखरखाव का निरीक्षण करती थी, मरीज की जांच करती थी। प्रकृति की नजदीक से देखभाल कर रही उसकी मां और दादी के भी नियमित टेस्ट भी हुए, साथ ही स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए घर के सभी सदस्यों को टैमीफ्लू की टैबलेट्स और मास्क दिए। आज प्रकृति स्वस्थ है, स्वाइन फ्लू के संक्रमण से पूरी तरह मुक्त है।

लब्बोलुवाब यह, कि स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी के उपचार के लिए सरकारी व्यवस्थाएं अधिक भरोसेमंद हैं। शासन की ओर से हर जिले में किसी प्रमुख सरकारी अस्पताल में इससे निपटने के आपातकालीन इंतजाम किए गए हैं और एक निश्चित योजना भी है। आइंदा घर में कभी किसी को ऐसी बीमारी हो तो धैर्य बनाए रखें। सरकारी अस्पताल या मेडिकल कालेज में परामर्श अवश्य लें, यह आपके मरीज के भले के लिए ही है।

 

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