बोन मैरो ट्रांसप्लांट से ठीक पहले कैंसर ने फिर कर दिया हमला
दोनों किडनियां और गुर्दे फेल, बीती रात अस्पताल में दम तोड़ा
शिवहरे वाणी नेटवर्क
उज्जैन। (30/12/2017)
कैंसर के चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु जायसवाल जिंदगी के संघर्ष में हार गया। बीती रात दो बजे इंदौर के सीएचएल अपोलो हॉस्पिटल में उसका निधन हो गया। अभिमन्यु का बोनमैरो ट्रांसप्लांट मध्य दिसंबर में होना था लेकिन उससे पहले ही कैंसर की पुरानी बीमारी ने हमला कर दिया, जिससे वह उबर नहीं पाया। बीती रात उसकी दोनों किडनियां और गुर्दे फेल हो गए। अभिमन्यु के चाचा ने रुंघे गले से शिवहरे वाणी को यह दुखद समाचार दिया। अभिमन्यु की मृत्यु के समाचार ने उनन तमाम लोगों को दुखी कर दिया, जो जिंदगी की जंग में उसके साथ खड़े थे।
दुर्भाग्य की इंतेहा यह है कि कैंसर की बीमारी ने उस वक्त अभिमन्यु पर हमला किया, जब उसके बोन मैरो ऑपरेशन में आ रही जटिलता लगभग दूर हो चुकी थी। चिकित्सकों की सलाह पर पहले बड़ी बहन का बोन मेरो डोनेट किया जाना था, लेकिन ठीक से मिलान नहीं होने पर ऑपरेशन अटक गया। बाद में पिता नीलेश का बोन मेरो सैंपल सूरत की लैब भेजा गया जहां से दिसंबर के पहले सप्ताह में रिपोर्ट ठीक आने पर चिकित्सक नीलेश के बोन मैरो को अभिमन्यु में ट्रांसप्लांट करने की तैयारी कर रहे थे। ऑपरेशन करीब 15 दिसंबर के आसपास होना था लेकिन इससे ठीक पहले अभिमन्यु में कैंसर के लक्षण सामने लगे। ऐसे में चिकित्सकों की पहली प्राथमिकता अभिमन्यु को इस मुसीबत से निकालने ही थी, मगर कैंसर का हमला इतना अधिक गंभीर और तीव्र था कि बच्चे को उससे उबार पाना मुश्किल हो गया। बीती रात अभिमन्यु ने अंतिम सांस ली।
अभिमन्यु की मृत्यु का दुखद समाचार जिसने भी सुना, स्तब्ध रह गया। सात साल के अभिमन्यु में कुछ खास था, जो समाज का एक बड़ा वर्ग उसके जीवन को बचाने की मुहीम में जुड़ गया था। अंकपात मार्ग हरिनगर निवासी नीलेश के पुत्र अभिमन्यु को सालभर पूर्व कैंसर हो गया था। पेशे से केबल ऑपरेटर नीलेश ने बेटे को बचाने के लिए जीवनभर की कमाई लगा दी, घर भी बेच दिया। कैंसर को पूरी तरह ठीक हो गया लेकिन इसे बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए बोन मैरो को बदलना जरूरी हो गया था जो बहुत महंगी प्रक्रिया है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट में करीब 12 लाख रुपये का खर्चा आता है जिसे जुटा पाना नीलेश के लिए बहुत मुश्किल था।
तब मीडिया के जरिये नीलेश की मजबूरी का पता उज्जैन के लोगों को पता चला और महाकाल की नगरी के बाशिंदों ने उसे बचाने की मुहीम छेड़ दी। शिवहरे वाणी ने अपने पोर्टल के जरिये समाजबंधुओं से सहयोग की अपील की। इस तरह दस लाख रुपये तो जुटा लिए गए लेकिन बोन मेरो डोनेट में आई परेशानी के कारण मामला खिंच गया।
गौरतलब है कि 12 अक्टूबर को शिवहरे वाणी ने अभिमन्यु की बीमारी का समाचार प्रकाशित करते हुए उसके लिए सहयोग की अपील अपने पाठकों से की थी, जिस पर आगरा की श्री राधे सेवा समिति एवं झांसी के श्री राजीव राय ने 21-21 हजार रुपये की सहायता भेजी थी। शिवहरे वाणी के उपसंपादक श्री अतुल शिवहरे ने भी 5 हजार रुपये की सहायता की थी। इसके अलावा कई अन्य पाठकों ने समाचार पढ़ने के बाद सीधे नीलेश से संपर्क किया था। श्री अतुल शिवहरे के साथ ही समस्त शिवहरे वाणी परिवार ने अभिमन्यु के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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