शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
शिवहरे वाणी पर चैत्र नवरात्र से शुरू हुई स्पेशल सीरीज की आज अंतिम कड़ी में हम उस शख्सियत से आपको रू-ब-रू करा रहे हैं, जिनकी चर्चा के बगैर यह सीरीज पूरी नहीं हो सकती थी। एक ऐसी महिला जिसने समाज और सियासत, दोनों ही मोर्चों पर नवनिर्माण के लिए बड़ी निर्भीकता के साथ संघर्ष का रास्ता अख्तियार किया है, जिसने अपनी तेजतर्रार कार्यप्रणाली से सामाजिक सेवा को नई दिशा दी है, समाजसेवा के बहाने अपने स्वार्थ सिद्ध करने वालों को अकेले दम पर चुनौती दी है, जो युवाओं के एक बड़े वर्ग को एकजुट करने का काम कर रही हैं, जो युवाओं की आवाज बन गई है, और उस बुलंद होती आवाज का नाम है भोपाल की सुश्री किरण चौकसे ।
आरसी सरकार फाउंडेशन मध्य प्रदेश की संस्थापिका सुश्री किरण चौकसे हर काम को लीक से हटकर अपनी तरह करने में विश्वास रखती हैं। इसीलिए ‘सरकार नहीं, सहारा चाहिए’ के ध्येय वाक्य के साथ उन्होंने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत की। गांवों और शहरों में घूम-घूमकर लोगों से मिलीं, उन्हें अपने विचारों से अवगत कराया, उनकी समस्याओं को जाना, और आज महज डेढ़ वर्ष के अंतराल पर उन्होंने कलचुरी समाज के युवाओं के एक बड़े वर्ग को अपने अभियान से जोड़ लिया है। यह काफिला बढ़ता जा रहा है।
किरण चौकसे कहती हैं कि उनका अभियान किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा है, भविष्य में जुड़ने का कोई इरादा भी नहीं है क्योंकि उनका लक्ष्य सामाजिक नवनिर्माण की प्रक्रिया को समाज के अंदर तेज करना है। इसीलिए उन्हें किसी पार्टी के टिकट की लालसा नहीं है। लेकिन अफसोस भी जताती हैं कि सियासी दलों के टिकट काम के आधार पर नहीं, बल्कि गॉडफादर के आशीर्वाद से मिलते हैं और राजनीति में उनका कोई गॉड फादर नहीं है। उनका मिशन है कि राजनीति में आम आदमी की आवाज बुलंद हो, उसे उसका हक मिले। साथ ही, राजनीति में कलचुरी समाज की भागीदारी बढ़े। देश में कम से कम एक कलचुरी सीएम होना ही चाहिए, साथ ही अधिक से अधिक विधायक चुने जाने चाहिए। इसके लिए वह अखिल भारतीय स्तर पर युवा संगठनों को एकजुट कर रही हैं। वह कहती हैं कि ‘बेरोजगारी और भिखारी मुक्त भारत’ उनका सपना है और इसके पूरा होने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
सुश्री चौकसे मानती हैं कि कलचुरी समाज एक बड़ा परिवार है जिसमें शिवहरे, चौकसे, राय और जायसवाल जैसे वर्ग शामिल हैं। ये सभी एक परिवार के सदस्य हैं और उनका प्रयास इन्हें एक मच पर लाना है। कलचुरी समाज में विवाह योग्य युवक-युवतियों के फेसबुक पर निःशुल्क बायोडाटा लाने की उनकी पहल काफी सफल रही है। इसके माध्यम से अब तक कई जोड़ों की शादियां हो चुकी है। कलचुरी समाज के कई मंचों पर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
लड़ने की क्षमता और सामना करने की हिम्मत सुश्री चौकसे को एक अलग कतार में खड़ा करती है। कोई बात यदि गलत लगती है तो वह उस पर सवाल उठाने से भी चूकती नहीं हैं। फिर मामला चाहे सियासत का हो या कलचुरी समाज का। यहां तक कि अपनी मां के हक के लिए वह अपने बिल्डर मामा देवेंद्र चौकसे से भी केस लड़ रही हैं जो भोपाल के ताकतवर बिल्डर माने जाते हैं।
वक्तव्य कला में माहिर सुश्री चौकसे कई आंदोलन और अभियान चला चुकी हैं। बीती 26 जनवरी को उन्होंने एक भव्य तिरंगा यात्रा निकाली थी। अब वह एक नए मिशन की तैयारी में हैं, जिसके तहत वह दिल्ली और मुंबई के कालेजों में युवा विद्यार्थियों को संबोधित कर उनमें राजनीतिक व सामाजिक चेतना का संचार करेंगी।
भोपाल में छोला रोड निवासी सुश्री चौकसे के पिता रेलवे में कर्मचारी थे, रिटायर हो चुके हैं। बड़े भाई हेमंत चौकसे गुड़गांव में जॉब करते हैं। एक भाई मुकेश चौकसे लॉज चलाते हैं, वहीं सबसे छोटा भाई रेलवे के जॉब में हैं। पत्रकार रह चुकीं सुश्री चौकसे अभी सिंगल हैं। फिलहाल कुछ अलग करने का जुनून सुश्री चौकसे को सामाजिक व राजनीतिक संघर्ष के जिस रास्ते पर ले आया है, उस पर मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्हें अभी काफी सफर तय करना है।
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