शिवहरे वाणी नेटवर्क
ब्यावरा।
यदि किसी के पास कोई कला है तो उसे सहेज कर रखना और उसे विकसित करना उस व्यक्ति का कर्तव्य है। इसलिए कि कला एक ऐसी नेमत है जो लाखों में किसी को नसीब होती है। ब्यावरा की श्रीमती स्वप्ना राय शिवहरे ने भी अपनी कला उसी तरह सहेज कर रखा, और अब उम्र के उस पड़ाव पर उसे दुनिया को रूबरू कराया है, जब वह एकाग्र होकर इसे आगे बढ़ा पाने की स्थिति में हैं। हम बात कर रहे हैं ब्यावरा की श्रीमती स्वप्ना राय शिवहरे की। सिविल अस्पताल में लैब टैक्नीशियन के रूप में कार्यरत श्रीमती स्वप्ना राय शिवहरे कुछ समय पहले ही स्टेज पर आईं और आज भजन गायकी के क्षेत्र में अपनी मुख्तलिफ पहचान बना ली है।
स्वप्ना राय शिवहरे का गाया भजन 'गणपति गणराज हमारे.' और खाटू श्याम के भजनों को खासतौर पर प्रशंसकों द्वारा सराहा गया। स्वप्ना के प्रशंसकों की बढ़ती संख्या का अंदाजा यू-ट्यूब पर उनके भजनों की व्युअरशिप से भी लगाया जा सकता है। दो दिन पहले भोपाल में आयोजित मन्ना डे नाइट में अपनी मधुर गायकी की छापकर ब्यावरा लौटी हैं। इस कार्यक्रम में उनके गाये 'अपेने लिए जिए तो क्या जिए',' तुम जो आओ' जैसे मधुर गीतों को लोगों ने बेहद पसंद किया। शिवहरे वाणी से बातचीत में स्वप्ना राय शिवहरे ने बताया कि आज वह संगीत के क्षेत्र में वह अपनी पहचान बना रही हैं, तो इसका श्रेय उनके पति जितेंद्र शिवहरे एवं ससुरालीजनों को जाता है जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। स्वप्ना के पति जितेंद्र शिवहरे प्राइवेट पैथोलॉजी चलाते हैं। गुना बायपास तिराहा परम सिटी कालोनी निवासी जितेंद्र शिवहरे से उनका विवाह वर्ष 2000 में हुआ था। स्वप्ना के दो बेटे हैं, सात वर्षीय कबीर और तीन साल का शिवाय। यह ससुराल का सहयोग ही है कि स्वप्ना जब किसी कार्यक्रम में बाहर जाती हैं, बच्चों की ओर से बेफिक्र रह पाती हैं।
मूल रूप से अशोकनगर के पिपरई निवासी स्वप्ना राय शिवहरे ने बताया कि गायकी का शौक उन्हें बचपन से था। उनके पिता हरीबाबू राय खुद भी अच्छा गाते थे और वही उनकी प्रेरणा भी है। दादी भी भजन-गीतों को पसंद करती थीं। स्वप्ना ने बताया कि उनकी दादी ने उन्हें नसीहत दी थी कि जब भी स्टेज पर गाना हो तो ऐसा गीत या भजन गाना जो पहले किसी ने नहीं गाया हो। आज भी स्वप्ना जब गाने के लिए भजन या गीत को चुनती हैं, तो दादी की इस नसीहत को याद रखती हैं। स्वप्ना के मुताबिक, शादी से पहले तक वह घर में शौकीया गुनगुनाया करती थीं लेकिन मंच पर जाने की प्रेरणा और हौसला उनके पति ने दिया। उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने वर्ष 2006 में टीवी रीयल्टी शो इंडियन आइडल में ऑडीशन दिया था। इस ऑडिशन ने उनके लिए माइक की झिझक मिटाने का अहम काम किया। इसके बाद उन्होंने स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए। वह कई शहरों में गायन कर चुकी हैं।
आब गायकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मन बना चुकीं स्वप्ना ने शिवहरे वाणी को बताया कि वे राजगढ़ में गुरूजी से ट्रेनिंग लेकर अपने क्लासिकल बेस को मजबूत कर रही हैं। हर गायक की तरह स्वप्ना की भी दिली इच्छा है कि उसे किसी बड़े बैनर की फिल्म में गाने का मौका मिले और इसी लिहाज से खुद को तैयार कर रही हैं। पिछले साल एक आध्यात्मिक चैनल पर भजन गायन की रिकार्डिंग भी रिलीज हुई थी।
खुद लिखी और गाई सहस्त्रबाहु भगवान की ये आरती
स्वप्ना राय ने सहस्त्रबाहु भगवान की आरती भी गाई है जिसे काफी पसंद किया गया। खास बात यह है कि स्वप्ना ने यह आरती खुद लिखी है। स्वप्ना बताती हैं कि जो आरती उन्हें गानी थी, उसमें गायकी की दृष्टि से लय औऱ तुक की त्रुटियां थी, जिसकी वजह से उसे गाना मुश्किल हो रहा था। इसलिए यह आरती उन्हें लगभग नए सिरे से लिखनी पड़ी थी। आरती इस प्रकार हैः-
ॐ सहस्त्रबाहु देवा स्वामी सहस्त्रबाहु देवा ,माता पधिनी कहलाई पिता कार्तवीर्या
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(1).हैहय वंश तुम्हारा रक्षक तुम इसके…2 ।
रणभूमि के योद्धा सबको बल दिजे। ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(2). राजराजेश्वर कहते तुमको जग जाना …२।
हम साब शरण में आये कृपा करो देवा ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(3).लंकापति रावण को भुजाओ में बंद किया..२।
जन जन की रक्षा की विजय को प्राप्त किया ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(4).वेदों में भी महिमा आप की है गाई ..2।
आपसा बल शक्ति में ओर नही दूजा ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(5).आप महेश्वर पूजे तीर्थ बनवाया….2
बसे बीच शिवलिंग के पूजन करवाया ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा……..
(6).ऋषि गर्ग से पाया ज्ञान करि सेवा ………2 ।
दत्तात्रेय के वर से भुजाओ का बल पाया ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा…
(7). कलचुरी के तुम वंशज हम बालक तेरे ..2 ।
अपनी शरण लगाओ द्वार खड़े तेरे ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा….
(8). सहस्त्रबाहु जी की आरती जो जन नित गाता..2 ।
है जितेंद्र का कहना भक्ति बल पाता ।।
ॐ सहस्त्रबाहु देवा…
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