शिवहरे वाणी नेटवर्क
झांसी।
यूं तो गणित और साहित्य, दो विपरीत क्षेत्र हैं। गणित सीधे तौर पर जोड़-घटाने का मामला है, जिसमें संवेदना की कोई जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ कविता या साहित्य अदरअसल संवेदना से जुड़े है, और इसमें किसी गुणा-भाग की दरकार नहीं होती है। इसीलिये आम धारणा है कि साहित्यकारों की गणित कमजोर होती है, और गणितज्ञों की अक्सर साहित्य में रुचि नहीं होती। लेकिन झांसी के श्री निहालचंद्र शिवहरे ने इस मिथक को तोड़ा है, जिन्होंने गणित के प्रवक्ता के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, उम्र का एक बड़ा दौर बैंकर के रूप में जिया, और अब समाज को वित्तीय साक्षर बना रहे हैं। लेकिन जीवन के हर दौर में साहित्य से जुड़े रहे, कविताएं करते रहे।
श्री निहालचंद्र शिवहरे की कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। सामाजिक जीवन की अनेक घटनाओं को स्पष्ट रूप में, या कहें कि सटीक व्याख्या में प्रस्तुत करने वाले श्री शिवहरे अपनी कविताई से वास्तविक धरातल पर विचरण करने वाले अनोखे काव्यकार हैं। उनकी रचनाएं कोरी कल्पनाओं से परे यथार्थ पर आधारित होती है, जो सामाजिक कुरीतियों, गरीबी, पूंजीवादी संस्कृति और शोषण की व्यवस्था पर चोट करती है। साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, छंद, क्षणिकायें, अतुकांत गीत आदि में उन्होने प्रभावशाली रचनाएं लिखी हैं। उनका मानना है कि लेखक को आसान भाषा में अपनी बात लिखनी चाहिए, ताकि आम जनमानस उसे समझ सके। और, यही उनकी रचनाओं की खासियत भी है।
श्री निहाल चंद्र शिवहरे लगभग 10 वर्ष तक मृगपाल पत्रिका के सलाहकार संपादक रहे। 'अंकुरण बुद्धिजीवी वैचारिक मच झांसी' के उपाध्यक्ष रहे, 'भारतीय साहित्यकला संस्थान सीपरी बाजार झांसी' के संस्थापक सदस्य रहे और वर्तमान में सामाजिक एवं वैचारिक संस्था 'जिज्ञासा' के महासचिव हैं। वर्ष 1977 से 1982 तक बुंदेलखंड महाविद्यालय झांसी के गणित विभाग के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने 'गणित विषय के मनोरंजक तथ्य' विषय पर वार्ता प्रस्तुत की जिसे समाचार पत्रों में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। 'दूरदर्शन ज्ञानदीप मंडल 560 झांसी' के अध्यक्ष व संस्थापक के रूप अनेक सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कराया, कुछ कार्य दूरदर्शन नई दिल्ली से प्रसारित भी किए गए। वे बुंदेलखंड हिंदी शोध संस्थान झांसी की कार्यकारिणी में नामित हुए। रानी लक्ष्मीबाई क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक झांसी की पत्रिका संकल्प के संपादक की भूमिका का कुशल निर्वहन भी किया।
झांसी में सीपरी बाजार स्थित नानकगंज में रहने वाले श्री निहालचंद शिवहरे 2016 में सर्व यूपी ग्रामीण बैंक से रिटायर होने के बाद भी अपनी सक्रियता को बरकरार रखे हुए हैं और साहित्य, समाजसेवा, पत्रकारिता, बैंकिंग समेत विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में वह सर्व यूपी ग्रामीण बैंक एवं नाबार्ड के संयुक्त वित्तीय साक्षारता केंद्र झांसी में निदेशक पद पर कार्य करते हुए भारत सरकार की कैशलैस मुहीम को बढ़ाने में योगादन कर रहे हैं।
आपका जन्म 24 जून, 1956 को झांसी में हुआ, आपके पिताजी का नाम श्री चतुर्भुज शिवहरे व माताजी का नाम स्व.श्रीमती बेटीबाई है। आपका विवाह मालती देवी से हुआ। एक बेटा है गौरव जो अपनी पत्नी प्रियंका के साथ अमेरिका में सेटल है। श्री शिवहरे ने एमएससी (गणित), सीएआईआईबी (भारतीय बैंकर संस्थान, मुंबई), हिंदी उन्मुख परीक्षा (भारतीय बैंकर संस्थान, मुंबई), डिप्लोमा इन मैनेजमेंट , एडवांस डिप्लोमा इन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट व डिप्लोमा इन एचआरडी (इग्नु दिल्ली) किया है। आपके द्वारा महान गणितज्ञ रामानुजम की स्मृति में अनेक कार्यक्रम किए गए जिनमें वैदिक गणित, अथर्ववेद में भारत के योगदान की चर्चा तथा गणित में मनोरंजक तथ्यों पर वार्ता भी प्रस्तुत की गई। सिविल इंजीनियरिंग विभाग रुड़की के अध्यात्मिक अध्ययन समूह को वैदिक गणित के बाबत पत्राचार कर योगदान किया।
आगामी 8 जुलाई रविवार को आगरा में शिवहरे समाज एकता परिषद और शिवहरे वाणी के बैनर तले मेधावी छात्र-छात्रा एवं शिवहरे रत्न सम्मान समारोह का आयोजन हो रहा है। इस समारोह में श्री निहालचंद्र शिवहरे को 'शिवहरे साहित्य सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा। हालांकि आगरा मे उन्हें पहले भी सम्मानित किया जा चुका है। आगरा के सूरसदन मे हुए शिवहरे जायसवाल महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में उन्हें समाज गौरव के रूप में सम्मानित किया गया था।
साहित्य/सृजन
एक गणितज्ञ जिसे आता है संवेदनाओं का गुणा-भाग
- by admin
- October 29, 2016
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- 8 years ago
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