शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज में पुनर्निर्माण एवं जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से चल रहा है। इस बीच मंदिर प्रबंध समिति ने पुनर्निर्माण की मूल योजना में संशोधन करते हुए मंदिर के बहुउद्देशीय हॉल को तोड़कर दुबारा बनाने का निर्णय किया है। इसके पीछे मंशा इसके कलात्मक स्वरूप को बरकरार रखते हुए इसकी क्षमता और उपयोगिता बढ़ाने की है। प्रबंध समिति की बीती बैठक में सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है। जल्द ही इस हॉल को तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
बता दें कि मंदिर में बना यह हॉल आगरा के शिवहरे समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। सालों साल से समाजहित के कई अहम फैसले इसी हॉल में हुई बैठकों में लिये जाते रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति के चुनाव भी इसी हॉल में किए जाते रहे हैं। लेकिन, 125 साल पुरानी समाज की धरोहर के इस हॉल की छत बहुत जर्जर हो चुकी है, दीवारों की हालत भी सही नहीं है। ऐसे में इस ह़ॉल को दुबारा बनवाना जरूरी समझा जा रहा था। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री भगवान स्वरूप शिवहरे ने बताया कि बहुउद्देश्यीय हॉल का दुबारा निर्माण होने पर इसकी चौड़ाई करीब 10 फुट बढ़ जाएगी। इससे इस हॉल में जहां लोगों के बैठने की क्षमता बढ़ जाएगा, वहीं इसकी उपयोगिता में भी इजाफा होगा और यह कई अन्य कार्यों के लिए अधिक उपयुक्त हो सकेगा।
यह हॉल मुख्य मंदिर और पिछले आंगन को जोड़ता है और दोनों ओर से प्रवेश मार्ग पर पिलर लगे हैं जिन्हें बुजुर्गों ने बहुत सुरुचिपूर्ण और कलात्मक तरीके से बनवाया था। नए निर्माण में इन्हीं पिलरों को उसी अनुपात में लगाया जाएगा। साथ ही हॉल के ऊपर लगी लोहे की जालीदार मुंडेर को भी दुबारा उसी अनुपात में हॉल में स्थापित किया जाएगा। बहुत सुंदर कलाकृतियों वाली इन जालियों की खासबात यह है कि इन्हें लोहे में ढाला गया है और गुणवत्ता इतनी शानदार है कि आज सौ साल बाद भी इनमें जंग या किसी प्रकार की क्षति सामने नहीं आई है। इसी के साथ मुंडेर के साथ दीवारों पर पत्थरों को भी उसी स्थान पर लगाया जाएगा। इन लाल पत्थरों पर शानदार कलाकृतियां उत्कीर्ण हैं। कुल मिलाकर प्रबंध समिति का प्रयास है कि इस हॉल के मूल स्वरूप को यथावत रखने का प्रयास किया जाएगा जिसका आश्वासन श्री भगवान स्वरूप शिवहरे ने दिया है।
आपको बता दें कि मंदिर पुनर्निर्माण की शुरुआती योजना इस बहुउद्देशीय हॉल को तोड़े जाने का प्रस्ताव था लेकिन तत्कालीन कोषाध्यक्ष श्री सुरेशचंद्र शिवहरेजी की आपत्ति के बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था। मंदिर श्री दाऊजी महाराज दरअसल निर्माण कला का एक अनुपम उदाहरण है, जिसकी वजह से किसी समय पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में लेने का प्रयास किया था। ऐसी धरोहर का जब कभी पुनर्निर्माण या जीर्णोद्धार होता है तो आपत्तियों का उठना भी लाजिमी है।
मंदिर जीर्णोद्धार की शुरूआत मंदिर के पिछले आंगन से हुई थी, जिसमें एक बहुत भव्य और आकर्षक फव्वारा स्थापित था। यह फव्वारा नाई की मंडी स्थित गुजराता पाड़ा में रहने वाले स्व. श्री जगन्नाथ प्रसाद शिवहरे ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती भाभो की स्मृति में साठ के दशक में लगवाया था। इस भव्य फव्वारे में प्रयोग किया गया संगमरमर इतनी शानदार गुणवत्ता का था कि जयपुर के एक पत्थर व्यापारी ने इसे हाथोंहाथ 2 लाख रुपये में खरीद लिया था। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा स्व. जगन्नाथ प्रसाद शिवहरेजी के परिवारीजनों श्री गोपाल दास शिवहरे, श्री मोहनलाल शिवहरे एवं श्री सीमन्त साहू को स्व. जगन्नाथ प्रसादजी के योगदान एवं उनके परिवार के नाम की पट्टिका लगाने का आश्वासन दिया गया है। बता दें कि स्व. जगन्नाथ प्रसाद शिवहरेजी, शिवहरे वाणी के संस्थापक स्व. श्री कामता प्रसाद साहू 'उदित' के बड़े भाई थे।
फिलहाल, मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से चल रहा है। पिछले हिस्से के बेसमेंट का काम लगभग पूर्णता पर है। इसके साथ दुकानों की मरम्मत के कार्य भी हो चुके हैं। पिछले हिस्से में बने हॉल जो शादी-व्याह के लिए बनवाया गया था, को फव्वारे वाले पिछले आंगन के जोड़ते हुए एक बड़े हुए एक बड़े हॉल का रूप दिया जा रहा है।
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