शिवहरे वाणी नेटवर्क
मंदसौर।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि | त्वमेव केवलं कर्ताSसि |
त्वमेव केवलं धर्ताSसि | त्वमेव केवलं हर्ताSसि ||
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि | त्वं साक्षादात्माSसि नित्यं ||१||
हे परमपिता, गणों के अधिपति-गणपति, आपको नमस्कार है, आप ही साक्षात हैं, आप ही कर्ता हैं, आप ही दूसरों का दुख हरने वाले हैं और आप ही ब्रहम हैं। सब रूपो में आपका ही रूप है सब रूपों में आप ही दिखाई देते हैं। आप ही आत्मा के स्वरूप हैं।
रिद्धी-सिद्धी के दाता, प्रथम-पूज्य भगवान गणपति आपके घर, मंदिर और दफ्तर में पधारने वाले हैं। उनके स्वागत के लिए तैयार रहिये। कुछ ऐसा कीजिये जिससे गणपति खुश हों और प्रवास से लौटते समय आपको आशीर्वाद प्रदान करें। गणपति को अपने पिता भगवान शंकर द्वारा संरक्षित प्रकृति से प्रेम है, इसलिए गणेशजी इको-फ्रेंडली है। उनके प्रेम करने के लिए जरूरी शर्त है कि आप भी प्रकृति से प्रेम करें और उसके संरक्षण को लेकर चिंतित रहें।
मांडना कला के लिए वज्र विश्व रिकॉर्ड से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय कलाकार श्रीमती वंदना जायसवाल शिवहरे ने इस बार गणेश चतुर्दशी से पहले मंदसौर में एक अनोखा अभियान छेड़ रखा है। मदसौर के शामगढ़ की श्रीमती वंदना इन दिनों विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को मिट्टी और घर के आटे से गणपति प्रतिमा बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं। उनके मार्गदर्शन में हजारों बच्चे अब तक मिट्टी के गणपति बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और वे अपने घरों में मिट्टी के गणपति की स्थापना करेंगे। आप भी तालाब से निमंत्रण देकर मिट्टी लाएं और शुभ मुहूर्त में मूर्ति बनाकर गणेश चतुर्थी से अनन्त चौदस तक नित्य पूजा, आरती करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वैसे भी, पंच तत्वों में मिट्टी को सर्वोत्तम माना गया है।
श्रीमती वंदना जायसवाल शिवहरे ने बच्चों को शपथ दिलाई है कि वे गणपति का विसर्जन नदी में नही करेंगे, बल्कि घर में बने गमले में या पास की किसी बगिया में विसर्जन करेंगे और विसर्जन के स्थान पर पीपल का एक लगाएंगे क्योंकि पीपल एक पवित्र एवं अक्षय वृक्ष है और पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देता है। साथ ही आपका लगाया पीपल आपको हर समय गणपति बप्पा की याद दिलाता रहेगा और आपकी श्रद्धा बनी रहेगी। इसके अलावा, गणपति माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र हैं। आप भी अपने माता-पिता को प्रसन्न रखेंगे तो गणेशजी की कृपा सदैव बनी रहेगी।
खास बात यह है कि 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर एंद्र योग, तुला राशि का चंद्रमा, स्वाति नक्षत्र और गुरुवार का संयोग है। इसका आशय है कि इस बार मिट्टी की पार्थिव प्रतिमा स्थापित कर पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। पंचांग गणना अनुसार ऐसे संयोग बहुत कम बनते हैं। शुभ दिवस, शुभ नक्षत्र, शुभ योग और शुभ वार होने से श्रीगणेश सभी तरफ शुभ करने के लिए विराजेंगे। खास इन संयोग में पार्थिव प्रतिमा पूजन फलदायी होता है। यानी हर तरह के प्रायश्चित से मुक्त करता है। पर्व पूरे 10 दिन रहेगा। 13 से 22 सितंबर तक गणेशोत्सव के बाद 23 को अनंत चतुर्दशी पर पार्थिव प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
बता दें कि मंदसौर जिले में शामगढ़ तहसील के जाने-माने दानी एवं समाजसेवी स्व. गोवर्धनलाल जायसवाल एवं पूर्व चेयरमैन श्रीमती संध्या देवी जायसवाल (मध्य प्रदेश कलचुरी समाज की अध्यक्ष) की पुत्री वंदना जायसवाल को लुप्त होती मांडना कला को फिर से जीवित करने का श्रेय जाता है। आपका ससुराल शिवपुरी मे है, पति संजय शिवहरे सरकारी कालेज में प्रवक्ता हैं।
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