November 23, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

हिंदी प्रेम की अनोखी दास्तान…कृतिका राय को मिला ग्लोबल टीचर अवार्ड

शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल। 
बीता पूरा सप्ताह मातृभाषा हिंदी की हालत पर चिंता जताने, उसके प्रचार प्रसार को लेकर मंथन करने और कसमें खाने में गुजर गया। ऐसे में हिंदी के लिए इससे शुभ सूचना क्या हो सकता है कि विज्ञान की कोई टीचर स्वेच्छा से हिंदी पढ़ाने लग गई है। निश्चित रूप से ऐसी टीचर का आप भी सम्मान करना चाहेंगे। भोपाल की श्रीमती कृतिका राय प्रतिष्ठित 'एकेएस ग्लोबल टीचर्स अवार्ड' से नवाजा गया है। शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित 'अलर्ट नॉलेज सर्विसेज' की अनुषंगी संस्था एकेएस वर्ल्डवाइड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की ओर से यह सम्मान दिया गया है। बीते दिनों दिल्ली में हुए एक भव्य समारोह में कृतिका के साथ 28 देशों के शिक्षकों को अलग-अलग श्रेणियों में अवार्ड प्रदान किया गया। अमेरिका तक में हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान कर चुकीं श्रीमती कृतिका राय वर्तमान में भोपाल के मंगलम स्कूल में हिंदी की अध्यापिका हैं।

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श्रीमती कृतिका राय ने शिवहरे वाणी से बातचीत में कहा कि हिंदी विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है, और वैज्ञानिक रुझान वाला कोई भी व्यक्ति हिंदी को निश्चित रूप से प्रेम करेगा। यही कारण है कि कैमिस्ट्री छोड़ हिंदी पढ़ाने के फैसले पर उन्हें कोई हिचक नहीं हुई। भोपाल में कलचुरी सेना से जुड़े वरिष्ठ नागरिक मंच की अध्यक्षा श्रीमती कल्पना राय एवं श्री आईपी राय की पुत्री कृतिका ने कैमिस्ट्री से एमएससी करने के बाद भोपाल के एक स्कूल में कैमिस्ट्री टीचर के रूप में अपना करियर शुरू किया था।

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सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत राय से विवाह के बाद उन्हें जॉब छोड़कर अमेरिका के न्यूजर्सी जाना पड़ा। वहां वह डिपेंडेंट वीजा पर गई थीं, लिहाजा जॉब नहीं कर सकती थीं। ऐसे में उन्होंने घर पर ही हिंदी की क्लास लेनी शुरू कर दी। उनके घर के आसपास रहने वाले भारतीय परिवारों के बच्चे हिंदी पढ़ने के लिए आते थे। बाद में कई ऐसे गैर-भारतीय परिवारों के बच्चे और वयस्कों को भी हिंदी पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाया। 

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अमेरिका में 5 वर्ष रहने के बाद प्रशांत राय जॉब के सिलसिले में बेंगलुरू शिफ्ट हो गए, तो कृतिका को भी आना पड़ा। बेंगलुरू में उन्होंने एक प्रतिष्ठित इंटर कालेज में साइंस टीचर के रूप में ज्वाइन कर लिया। इस दौरान कृतिका को अहसास हुआ कि स्कूल के हिंदी की टीचर वास्तव में बच्चों को ठीक तरीके से और सही हिंदी नहीं पढ़ा पा रहे हैं।  हिंदी के व्याकरण और उच्चारण की सही जानकारी बच्चों को नहीं मिल रही है। ऐसे में उन्होंने खुद स्कूल प्रबंधन से बात की और हिंदी पढ़ाने की इच्छा जाहिर की। स्कूल प्रबंधन की स्वीकृति से वह हिंदी की टीचर बन गईं। इसी दौरान उन्होंने उज्जैन विवि से हिंदी से एमए भी कर लिया। वर्तमान में वह भोपाल में ओबेदुल्लागंज स्थित मंगलम स्कूल में हिंदी की टीचर हैं। 

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श्रीमती कृतिका राय भोपाल के ओल्ड सुभाषनगर में परिवार के साथ रहती हैं। बेटी प्रकृति राय बीए फाइनल ईयर में है, बेटा प्रख्यात 11वीं कक्षा में पढ़ता है। कृतिका बताती हैं कि हिंदी के प्रति प्रेम भी उन्हें विरासत के रूप में मिला है। उनकी माताजी श्रीमती कल्पना राय से सेंट्रल स्कूल में हिंदी की टीचर थीं और वहीं से रिटायर हुई हैं। टीचर बनने की प्रेरणा भी मां से मिली है। कृतिका का सपना है कि वह अपना खुद का स्कूल खोलें, जहां देश के नौनिहाल आधुनिक शिक्षा की ओर कदम बढ़ाएं लेकिन अपनी जड़ों से जुड़ी हिंदी भाषा से लगाव और प्रेम भी उनमे हो। 

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