शिवहरे वाणी नेटवर्क
मंदसौर।
लुप्त होती मांडना कला को उसकी अपनी ही भूमि मंदसौर से दुनिया में नई पहचान दिलाने वाली अंतरराष्ट्रीय कलाकार श्रीमती वंदना जायसवाल शिवहरे ने एक और शिखर को स्पर्श किया है। वंदना ने मंदसौर के शामगढ़ में 500 कलाकारों के साथ मांडना की कृतियां बनाकर एक और वज्र विश्व रिकार्ड कायम किया है।
यह आयोजन बीते रविवार को शामगढ़ पब्लिक स्कूल में हुआ। शामगढ़ के जायसवाल परिवार की ओर से आयोजित इस मालवा महोत्सव में सभी आयु वर्ग के 500 कलाकारों ने एक-साथ बैठकर मांडना कलाकृतियां तैयार की। वंदना द्वारा प्रशिक्षित इन प्रतिभागियों द्वारा प्राकृतिक चटखीले रंगों से तैयार की गई हर कलाकृति इतनी मोहक थी, कि वज्र अवार्ड टीम के प्रतिनिधि भी अभिभूत हो गए। वज्र अवार्ड टीम ने वंदना शिवहरे को नए वर्ल्ड रिकार्ड की ट्राफी और प्रशस्ति पत्र भेंट किया। मालवा महोत्सव में प्रतिभागियों के साथ वहां पहुंचे अन्य लोगों ने विभिन्न स्टालों, झूलों तथा मनोरंजक गेम्स का जमकर आनंद लिया। महिलाओं ने पारंपरिक सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किए। पूरा उत्सव मालवा की संस्कृति और मांडना के रंगों में सराबोर नजर आया।
इससे पहले शंख बजाने में विश्व रिकार्डधारी 10 वर्षीय संभव डबकरा ने मंच पर शंख बजाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान शामगढ़ के जायसवाल परिवार की ओर से समाजसेवा के क्षेत्र में संध्या सृजन समिति के नाम से एक एनजीओ भी शुरू किया गया।
अतिथि के रूप में विधायक हरदीप सिंह डंग, एडीजे मुबारिक मंसूरी, रामनिवास चौधरी, भूषण व्यास, ज्यूरी सदस्य, एसओ संजय चौकसे, संजय शिवहरे, संध्या देवी जायसवाल मंचासीन रहे। संचालन जलज दीक्षित ने किया। अंत में जायसवाल परिवार ने सभी का आभार व्यक्त किया।
बता दें कि शामगढ़ तहसील के जाने-माने दानी एवं समाजसेवी स्व. गोवर्धनलाल जायसवाल एवं पूर्व चेयरमैन श्रीमती संध्या देवी जायसवाल (मध्य प्रदेश कलचुरी समाज की अध्यक्ष) की पुत्री वंदना जायसवाल को लुप्त होती मांडना कला को फिर से जीवित करने का श्रेय जाता है। आपका ससुराल शिवपुरी मे है, पति संजय शिवहरे सरकारी कालेज में प्रवक्ता हैं।
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