August 5, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

No To Crackers …क्योंकि पर्व ही नहीं, एक भावना नाम है दीपावली

आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री भगवान स्वरूप शिवहरे की शिवहरेवाणी के माध्यम से समाज से अपीलः-

भी समाजबंधुओं को धनतेरस की बधाई।
पंचोत्सव का आज पहला दिन है। कल नरक चौदस, 7 को दीपावली, 8 को गोवर्धन और 9 को यम द्वितीया। दीपोत्सव का हर दिन आपके जीवन में खुशियां लाए, ऐसी हमारी कामना है। 

समाजबंधुओं.. आपने अखबारों में पढ़ा होगा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से हालत खराब है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को इसकी वजह बताया जा रहा है। इधर, अपने शहर आगरा को भी यूपी के 5 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है। जाड़े में वायु की गुणवत्ता का और खराब होना तय ही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पटाखे जलाने को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। 

हम सब सुप्रीमकोर्ट के फैसले की गंभीरता को समझें, और इस दीपावली पटाखों से दूर रहें। बीते रोज दाऊजी मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया है। हालांकि बैठक में ही हमारे कुछ साथियों का मानना था कि अरे दीपावली ही तो है, एक दिन की बात है..बच्चों को मौज करने दो…रोक मत लगाओ।  

आप सबने टीवी, अखबार या किसी न किसी माध्य से यह पढ़ा या सुना होगा कि रंग-बिरंगी रोशनी वाले पटाखे वातावरण में जहरीला धुआं छोड़ते हैं। आतिशबाजी में बारूद के साथ बेरियम नाइट्रेट, सीजीएम नाइट्रेट के अलावा कैडमियम, लेड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं। ये पटाखे ध्वनि और वायु प्रदूषण पैदा करते हैं।
ऐसे रसायनों वाले पटाखों के धुएं से सांस संबंधी बीमारियां होना सबसे आम बात है। हर साल दीपावली के बाद चिकित्सकों के पास मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। किसी की सांस नली सिकुड़ती है, तो किसी के गले में संक्रमण की शिकायत होती है। कई लोगों को दिल से जुड़ी दिक्कतें, हाई ब्लडप्रेशर , एलर्जी जैसी समस्याएं होती हैं, तो कुछ को अवसाद और घबराहट।
संवेदना के पहलू से देखें तो पटाखे केवल इंसानो को ही नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, दीपावली की रात पेड़ पर घोसला डालकर रहने वाली चिड़ियों, सड़क पर विचरने वाले जानवरों पर भी दीपावली की धूम-धड़ाके वाली रात भारी गुजरती है। क्या आपको अंदाजा है  कि आसमान में रंगबिरंगी रोशनी छोड़ने वाले पटाखे और राकेट कितने परिंदों की जान ले लेते हैं, कितने  जानवर झुलसते हैं। इसका कोई आंकड़ा नहीं है।
ऐसी स्थिति में दीपावली पर पटाखों को लेकर सुप्रीमकोर्ट के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। सुप्रीमकोर्ट ने केवल दो घंटे पटाखे छुड़ाने की मोहलत दी है। इस आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए। हमारा फर्ज है कि हम बच्चों और युवाओं को समझाएं कि विषैले रसायनों, तेज रोशनी और तेज आवाज वाले पटाखे न छुड़ाएं। ऐसा करके खुद को और पर्यावरण को नुकसान से बचा सकते है।
एक बात और, दीपावली अंधकार पर प्रकाश की जीत का उत्सव है। मूल परंपरा भगवान की पूजा अर्चना कर घर की दहलीज और मुंडेरो पर दीप जलाने की है। आतिशबाजी इस महान पर्व की मूल परपंरा का  हिस्सा नहीं है, साथ ही विश्व कल्याण की पवित्र भावना के विपरीत भी है।

-भगवान स्वरूप शिवहरे
अध्यक्ष, दाऊजी मंदिर प्रबंध समिति
आगरा।

    Leave feedback about this

    • Quality
    • Price
    • Service

    PROS

    +
    Add Field

    CONS

    +
    Add Field
    Choose Image
    Choose Video