November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

आगरा की इस जगह से है सहस्त्रबाहु का अनोखा रिश्ता…कल मनाया जाएगा जयंती समारोह

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा। 
आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तनी तिथि है, जो भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की जयंती के रूप में मनाई जाती है। आज संपूर्ण कलचुरी समाज उनका स्मरण कर रहा है, देशभर में कार्तवीर्य अर्जुन की जयंती समारोह मनाए जा रहे हैं। आगरा की भूमि से भगवान सहस्त्रबाहु के अनोखा रिश्ता है, जिसके अवशेष झगड़ैला ताल के रूप में आज भी मौजूद हैं। झगड़ैला ताल आगरा में रुनकता में है जो परशुराम की भूमि है। जैसा कि नाम से ही संकेत मिलता है कि इस ताल का संबंध किसी झगड़े से रहा होगा। तो हम आपको बताते हैं इसकी पूरी कहानी। 

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सहस्त्रबाहु का मूल नाम कार्तवीर्य अर्जुन था। वह प्रतापी तथा शूरवीर थे। उन्होंने अपने गुरु दत्तात्रेय को प्रसन्न करके वरदान के रूप में हज़ार भुजाएँ प्राप्त की थीं, जिसके बाद से उन्हें कार्तवीर्य अर्जुन सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है। सहस्त्रबाहु भगवान इतने पराक्रमी थे कि उन्होंने एक बार नर्मदा नदी के तट पर लंकापति रावण को बंधक बनाकर उसके अभिमान को चूर-चूर कर दिया था। 

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खैर, झगड़ैला ताल की कहानी भगवान सहस्त्रबाहु और परशुराम के युद्ध से जुड़ी हुई है। बताते हैं कि रुनकता में झगड़ैला ताल के पास ही परशुराम के पिता जमदग्नि का आश्रम हुआ करता था। एक बार सहस्त्रबाहु और उनकी सेना ने एक सामरिक अभियान से लौटते समय जमदग्नि के आश्रम में विश्राम किया।

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उस समय परशुराम आश्रम में नहीं थे। जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु और उसके सैनिकों का राजसी स्वागत किया और अपनी  कामधेनु गाय की सहायता से सेना के ख़ान-पान का प्रबंध किया। कामधेनु का चमत्कार देखकर सहस्त्रबाहु उस पर मुग्ध हो गए। उन्होंने जमदग्नि से कामधेनु मांग ली।

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जमदग्नि इसके लिए राजी नहीं हुए तो सहस्त्रबाहु ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे कामधेनु को बलपूर्वक अपने साथ ले चलें। भगवान सहस्त्रबाहु और उनकी सेना कामधेनु को साथ लेकर आश्रम से निकली ही थी, कि तभी परशुराम वहां आ पहुंचे। आश्रम में कामधेनु को न पाकर परशुराम क्रुद्ध हो गए।

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जमदग्नि ने उन्हें पूरा घटनाक्रम बताया । परशुराम अपना परशु कंधे पर रखकर युद्ध के लिए महिष्मती की ओर चल पड़े, जो सहस्त्रबाहु की राजधानी थी। उधर, सहस्त्रबाहु और उनकी सेना आश्रम से कुछ ही दूर स्थित ताल पर रुकी हुई थी। वहीं परशुराम से उनका सामना हो गया। इस युद्ध में सहस्त्रबाहु की सेना को परास्त होना पड़ा। 

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हालांकि भगवान सहस्त्रबाहु के जीवन की इस महत्वपूर्ण घटना से जुड़े होने के बाद भी आगरा में सहस्त्रबाहु जयंती मनाने की परंपरा गत वर्ष से ही शुरू हुई है। इस बार आगरा में लोहामंडी स्थित मंदिर श्री राधाकृष्ण में 15 नवंबर, गुरुवार को सहस्त्रबाहु जयंती समारोह मनाया जाएगा। 

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मंदिर श्री राधाकृष्ण प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता और मंदिर श्री दाऊजी महाराज प्रबंध समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री बिजनेश शिवहरे ने बताया कि मंदिर श्री दाऊजी महाराज में प्रातः नौ बजे से भगवान सहस्त्रबाहु जयंती समारोह मनाया जाएगा। समारोह में शिवहरे समाज एकता परिषद, श्री राधेसेवा समिति, शिवहरे महिला समिति और मंदिर श्री दाऊजी महाराज महिला समिति के सदस्य एवं पदाधिकारियों समेत समस्त समाजबंधुओं को आमंत्रित किया गया है।

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शिवहरे समाज एकता परिषद के अध्यक्ष श्री अंशुल शिवहरे एवं संयोजक श्री अमित शिवहरे ने बताया कि इस अवसर पर परिषद की ओर से भंडारे का आयोजन किया जाएगा। 

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